शीतकाल के लिए बंद हुए यमुनोत्री-गंगोत्री धाम के कपाट।
आज भैयादूज पर शीतकाल के लिए भगवान केदारनाथ धाम के कपाट सुबह 8:30 बजे बंद हो गए हैं। 29 अक्तूबर को डोली अपने शीतकालीन पूजा गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी। उधर दोपहर 12:09 मिनट पर शीतकाल के लिए यमुनोत्री धाम में मां यमुना मंदिर के कपाट बंद किए गए। माता की डोली अपने मायके खरसाली के लिए प्रस्थान किया। गुरुवार सुबह मां यमुना के भाई शनिदेव सोमेश्वर देवता की डोली खरशालीगांव से यमुनोत्री धाम के लिए रवाना हुए। यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल व पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल ने बताया कि भैयादूज पर दोपहर 12:09 पर विधिविधान के साथ यमुनोत्री धाम के कपाट बंद किए गए। इससे पहले सुबह 8:30 बजे मां यमुना के मायके खरशाली गांव से उनके भाई शनिदेव सोमेश्वर देवता की डोली बहन को लेने यमुनोत्री धाम के लिए रवाना हुई। यमुनोत्री धाम में इस बार रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालुओं ने धाम में पहुंच कर मां यमुना के दर्शन किए करीब पांच लाख श्रद्धालु पहुंचे।
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वहीं बुधवार को अन्नकूट के पावन पर्व पर दोपहर 12.01 बजे विधि-विधान के साथ करीब दो हजार श्रद्धालुओं की मौजूदगी में गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर किए गए थे। मां गंगा की भोगमूर्ति सेना के बैंड और पारंपरिक ढोल-दमाऊं की अगुवाई में मुखबा के लिए रवाना हुई। बुधवार को मां गंगा की डोली यात्रा मार्कंडेय पुरी स्थित चंडी देवी के मंदिर में रात्रि विश्राम किया। आज बृहस्पतिवार को गंगा की भोगमूर्ति मुखबा स्थित गंगा मंदिर में विराजमान होगी। शीतकाल में श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन व पूजा-अर्चना मुखबा में ही कर सकेंगे। मां गंगा के कपाट बंदी से पूर्व विशेष पूजा अर्चना के साथ गंगा सहस्त्रनाम पाठ किया गया। मंदिर समिति के पदाधिकारी व तीर्थ पुरोहित हरीश सेमवाल, सुरेश सेमवाल, महेश सेमवाल, मुकेश सेमवाल, संजीव सेमवाल, पवन सेमवाल आदि ने गंगा की भोग मूर्ति का शृंगार किया। तय मुहूर्त में दोपहर 12.01 बजे मंदिर के भीतर अखंड ज्योति के साथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।