पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का निधन, अंतिम समय में दर्दनाक हो गई थी जिंदगी।

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पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का निधन हो गया है। मुशर्रफ लंबे समय से बीमार चल रहे थे और दुबई के अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा था। उन्होंने 79 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। मुशर्रफ अमाइलॉइडोसिस बीमारी से जूझ रहे थे। मुशर्रफ पिछले साल जून में भी तीन हफ्ते के लिए अस्पताल में भर्ती हुए थे। मुशर्रफ के परिवार ने उस समय उनके आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के माध्यम से एक बयान में कहा था कि वह बेहद कठिन अवस्था से गुजर रहे हैं, जहां से रिकवरी संभव नहीं है। आइए जानते हैं मुशर्रफ की उस बीमारी के बारे में जिनसे उनकी मौत हुई। 

क्या है अमाइलॉइडोसिस की बीमारी? 
परवेज मुशर्रफ को अमाइलॉइडोसिस नाम की बीमारी थी। ये बीमारी तब होती है जब शरीर में अमाइलॉइड नाम का प्रोटीन बनने लगता है। यह अमाइलॉइड प्रोटीन शरीर के अंगों को ठीक से काम करने से रोकता है। इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले अंगों में हृदय, किडनी, लीवर, स्प्लीन, नर्वस सिस्टम और पाचन तंत्र शामिल हैं। कई बार अमाइलॉइडोसिस कुछ अन्य बीमारियों के साथ भी होते हैं। इसके चलते पूरा शरीर कमजोर हो जाता है। धीरे-धीरे शरीर का एक-एक अंग काम करना बंद कर देता है। अमाइलॉइडोसिस का ट्रिटमेंट भी कैंसर के इलाज की तरह होता है। इसमें भी उन्हीं दवाइयों का प्रयोग होता है, जो कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल होतीं हैं। इसके अलावा इसमें भी मरीज को कीमोथेरेपी दी जाती है। साथ ही अमाइलॉइड उत्पादन को कम करने वाली दवाएं भी दी जाती हैं।

आखिरी वक्त में कैसा था मुशर्रफ का हाल? 
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, परवेज मुशर्रफ बीमारी के चलते काफी कमजोर हो गए थे। वह खुद से चल भी नहीं पाते थे। हालत ये थी कि उनसे सही से बोला भी नहीं जा पाता था। डॉक्टर्स ने उन्हें काफी बचाने की कोशिश की, लेकिन नहीं हो पाया। अमाइलॉइडोसिस के लक्षण ज्यादातर काफी सूक्ष्म होते हैं। जैसे-जैसे शरीर में अमाइलॉइडोसिस बढ़ता है, अमाइलॉइड का जमाव दिल, लीवर, प्लीहा, गुर्दे, पाचन तंत्र, मस्तिष्क और तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचने लगता है। इस बीमारी से ग्रसित मरीजों को गंभीर थकान, वजन कम होना, पेट, टांगों, टखनों या पैरों में सूजन होना, स्तब्ध हो जाना, हाथ या पैर में झुनझुनाहट, दर्द, त्वचा के रंग में परिवर्तन होना, आंखों के आस-पास त्वचा पर बैंगनी धब्बे होना, सांस लेने में कठिनाई महसूस होने लगता है। कुछ इसी तरह की समस्याओं से परवेज भी अपने आखिरी दिनों में जूझ रहे थे। 

दिल्ली में हुआ था परवेज मुशर्रफ का जन्म
बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त 1943 को दिल्ली के दरियागंज इलाके में हुआ था। 1947 में भारत विभाजन के कुछ दिन पहले ही उनका पूरा परिवार पाकिस्तान जाने का फैसला किया था। उनके पिता पाकिस्तान सरकार में काम करते थे।
1998 में परवेज मुशर्रफ जनरल बने
बता दें कि साल 1998 में परवेज मुशर्रफ जनरल बने। उन्होंने भारत के खिलाफ कारगिल जैसे युद्ध की साजिश रची। लेकिन भारत के बहादुर सैनिकों ने उनकी हर चाल पर पानी फेर दिया। अपनी जीवनी ‘इन द लाइन ऑफ फायर – अ मेमॉयर’ में जनरल मुशर्रफ ने लिखा कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी। लेकिन नवाज शरीफ की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाए।

मुशर्रफ पर लगा था राजद्रोह का आरोप
1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन करने वाले जनरल मुशर्रफ पर उच्च राजद्रोह का आरोप लगाया गया था और 2019 में संविधान को निलंबित करने के लिए मौत की सजा दी गई थी। बाद में उनकी मौत की सजा को निलंबित कर दिया गया था। 2020 में लाहौर उच्च न्यायालय ने मुशर्रफ के खिलाफ नवाज शरीफ सरकार द्वारा की गई सभी कार्रवाइयों को असंवैधानिक घोषित कर दिया था, जिसमें उच्च राजद्रोह के आरोप पर शिकायत दर्ज करना और एक विशेष अदालत के गठन के साथ-साथ इसकी कार्यवाही भी शामिल थी। 
नवाज शरीफ ने बनाया था सेनाध्यक्ष, उन्हें ही सत्ता से कर दिया बेदखल
1998 में रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने परवेज मुशर्रफ को सेना प्रमुख बनाया था। लेकिन एक साल बाद ही 1999 में जनरल मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्तापलट कर दिया और पाकिस्तान के तानाशाह बन गए। उनके सत्ता संभालते ही नवाज शरीफ को परिवार समेत पाकिस्तान छोड़ना पड़ा था।

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