उत्तराखंडः मुख्यमंत्री सुरक्षा के कमांडो की मौत ने खड़े किए ये 4 बड़े सवाल..
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सुरक्षा में तैनात पुलिस के कमांडो प्रमोद रावत की गोली लगने से बीते दिन मौत हो गई। घटना के समय प्रमोद मुख्यमंत्री आवास से सटे पुलिस बैरक में थे। गोली उनकी एके-47 से चली है। पुलिस अधिकारियों व फारेंसिक टीम ने मौके पर पहुंचकर पड़ताल की। अपर पुलिस महानिदेशक (प्रशासन) अभिनव कुमार व अपर पुलिस महानिदेशक (अभिसूचना) एपी अंशुमान ने जांच के बाद संयुक्त रूप से बयान दिया कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि प्रमोद रावत ने खुद गोली मारकर आत्महत्या की है या फिर यह दुर्घटना है। विस्तृत जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा। पौड़ी प्रमोद रावत वर्ष 2007 में उत्तराखंड पुलिस में पीएसी की 40वीं बटालियन में भर्ती हुए थे। वर्ष 2016 से वह मुख्यमंत्री की सुरक्षा में थे। गुरुवार दोपहर करीब तीन बजे प्रमोद के साथियों ने उन्हें फोन किया तो फोन नहीं उठा। इसके बाद जब वह बैरक में उन्हें देखने पहुंचे तो देखा कि प्रमोद लहूलुहान हालत में बिस्तर पर पड़े थे। पास ही उनकी एके-47 पड़ी थी। गोली उनकी ठोड़ी पर लगी हुई थी, जो गले के रास्ते बाहर निकलकर दीवार में जा घुसी।
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प्रमोद ने बोला था-टाइम काट रहा हूं..
बैरक परिसर में मौजूद कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने प्रमोद को टहलते हुए देखा था। पूछा, किस समय ड्यूटी पर जाना है। उन्होंने कहा- दो बजे जाएंगे, अभी इंतजार करना पड़ रहा है। इसके बाद वह अचानक अपनी बैरक में चले गए। बाद पता चला कि प्रमोद की गोली लगने से मौत हो गई है। दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को शुक्रवार को कुमाऊं भ्रमण पर जाना है। इससे पहले उनकी सुरक्षा टीम को बृहस्पतिवार 11 बजे ड्यूटी पर निकलना था। प्रमोद घर से तैयार होकर सुबह 11 बजे बैरक परिसर में पहुंच गए। यहां अचानक उन्हें पता चला कि 11 नहीं बल्कि दो बजे निकलना है। ऐसे में वह वहीं पर टहलते हुए इंतजार करने लगे। वहां मौजूद लोगों का कहना है कि प्रमोद को कभी ऐसे नहीं देखा था। वह शायद कुछ सोच रहे थे। उनसे पूछा भी गया कि क्यों टहल रहे हो तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि अब ड्यूटी का समय दो बजे हो गया है, इसलिए टाइम काट रहा हूं।
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प्रमोद ने 16 जून से मांगी थी छुट्टी
सूचना पाकर पुलिस के आला अधिकारियों समेत आइजी गढ़वाल करन सिंह नगन्याल, एसएसपी दलीप सिंह कुंवर और एसपी सिटी सरिता डोबाल घटनास्थल पहुंचे और स्वजन को सूचना दी। अपर पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने बताया कि कमांडो प्रमोद रावत को एके-47 से गोली लगी है। उन्होंने बताया कि प्रमोद के स्वजन बुधवार को ही देहरादून से गांव लौटे थे। उनके गांव में इस महीने भागवत पूजा है, इसलिए प्रमोद ने 16 जून से छुट्टी मांगी थी। फारेंसिक टीम मामले की जांच कर रही है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, छुट्टी मंजूर भी हो गई थी। उनके परिवार में भी कोई ऐसी दिक्कत नहीं बताई जा रही है। मृतक के मोबाइल की भी जांच की जा रही।
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उठ रहे ये चार बड़े सवाल
1- प्रमोद रावत की मौत की घटना के बाद कई सवालों के जवाब आने अभी बाकी हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि यदि प्रमोद ने खुद को गोली मारी तो इसके कारण क्या रहे?
2- क्यों उन्हें खुद को गोली मारने के लिए विवश होना पड़ा?
3- अगर दुर्घटनावश गोली चली तो कैसे चल गई?
4- प्रमोद की छुट्टी को लेकर भी चर्चा हैं। बताया जा रहा है कि प्रमोद ने 16 जून से छुट्टी मांगी थी और वह मंजूर भी हो गई थी, तो यह बात क्यों सामने आई कि छुट्टी न मिलने के कारण उन्होंने गोली मारी? इस मामले में पुलिस स्वजन से भी बात करेगी, इसके बाद ही सही कारणों का पता चल पाएगा।
चार बहनों के इकलौते भाई थे प्रमोद रावत
कमांडो प्रमोद रावत की पत्नी व चार साल का बेटा यहीं दून में विजय पार्क स्थित आवास में रहते हैं। स्वजन के अनुसार, पौड़ी गढ़वाल के कफोलस्यू पट्टी के ग्राम अगरोड़ा में पले बढ़े प्रमोद रावत चार बहनों के इकलौते भाई थे। उनके पिता फौज से सेवानिवृत्त हैं।
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क्यों नहीं सुनाई दी गोली चलने की आवाज
परिसर में कुल पांच बैरक हैं। इनमें सीएम की सुरक्षा में तैनात 10 से 11 कमांडो रहते हैं। इससे ज्यादा अन्य सुरक्षाकर्मी भी यहां रहते हैं। लेकिन, दोपहर के समय एक बैरक में गोली चल जाती है और इसकी आवाज किसी को सुनाई नहीं देती। इस बात पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है। वहां मौजूद लोग यह भी बताते हैं कि यहां अक्सर छतों पर बंदर कूदते रहते हैं। कभी लकड़ी गिराते हैं तो कभी बराबर वाले परिसर की टिन शेड पर कूदते हैं। हो सकता है कि जब गोली चली हो तो लोगों ने बंदरों की उछलकूद समझकर इसे नजरअंदाज कर दिया हो। इसके अलावा हवा में अक्सर जाली वाले दरवाजे जोर-जोर से चौखट से टकराते हैं। बैरक परिसर में गूंज के साथ यह आवाज भी भयंकर लगती है। शायद इस कारण भी गोली की आवाज और इस तरह की आवाज में लोग भेद न कर पाए हों।
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