अंकिता हत्याकांडः आरोपितों ने अंकिता के साथ की थी मारपीट, गवाह चिकित्सक ने जताई आशंका..
बहुचर्चित वनंतरा प्रकरण में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में गुरुवार को एम्स ऋषिकेश के एक चिकित्सक की गवाही हुई। गवाही के दौरान चिकित्सक ने आशंका जताई कि मृतका अंकिता भंडारी के शरीर पर चोटें आपसी झगड़े के कारण आई होंगी। मामले में गुरुवार को एक ही गवाह की गवाही हुई। मामले की अगली सुनवाई चार अगस्त को होगी। विशेष अभियोजन अधिकारी अवनीश नेगी ने बताया कि गुरुवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में एम्स के एक चिकित्सक के बयान हुए, जो पोस्टमार्टम टीम में शामिल थे। अपने बयानों में चिकित्सक ने बताया कि मृतका रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी के दोनों हाथों पर चोट के निशान थे।
यह भी पढ़ेंः शाबासः गोल्डन गर्ल मानसी ने फिर उत्तराखंड समेत देश का बढ़ाया मान, चीन में करेंगी देश का प्रतिनिधित्व…
चिकित्सक ने एसआइटी के समक्ष दिए गए बयानों को दोहराते हुए बताया कि पोस्टमार्टम के लिए बनाए गए पैनल की राय में मृतका के शरीर में आए चोटों के निशान दुर्घटनावश फिसलने की वजह से नहीं थे। यह भी संभावना जताई कि शरीर पर लगी सभी चोटों के निशान घटनास्थल पर झगड़े के दौरान चोट लगने के कारण आए होंगे। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अमित सजवाण व अनुज पुंडीर ने चिकित्सक से सवाल-जवाब किए। इस दौरान यह बात सामने आई कि रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की मृत्यु डूबने के कारण हुई। लेकिन, मृतका अंकिता भंडारी के शरीर की सभी चोटें मृत्यु पूर्व की थी। बताया कि मामले की अगली सुनवाई चार अगस्त को होगी। मामले में अभी तक 14 गवाहों की गवाही हो चुकी है।
यह भी पढ़ेंः उत्तराखंडः शिक्षा के मंदिर में शिक्षक के बैग में मिली शराब, वीडियो वायरल..
बता दें कि मामला लक्ष्मणझूला थाना क्षेत्र के अंतर्गत गंगा भोगपुर स्थित वनंतरा रिसोर्ट में कार्यरत रिसेप्सनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गई। मामले में पुलिस ने रिसोर्ट मालिक पुलकित आर्य, प्रबंधक सौरभ भाष्कर व सहायक प्रबंधक अंकित गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया था। तीनों इस समय जेल में हैं। शासन ने मामले की जांच के लिए एसआइटी गठित की। एसआइटी ने मामले की जांच कर आरोप पत्र अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में दाखिल कर दिया। एसआइटी की ओर से न्यायालय में दिए गए आरोप पत्र पर 18 मार्च को सुनवाई हुई, जिसके बाद न्यायालय ने एसआइटी की ओर से लगाई गई एक धारा को हटा दिया। 28 मार्च से मामले में सीजन ट्रायल शुरू हुआ।
यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड में बढ़े 118 बाघ, आंकड़ा पहुंचा 560। जहां नहीं दिखते थे, अब वहां भी दिख रहे बाघ..