पेपर लीक मामला: 15-15 लाख में डील, 2 आरोपियों ने भी दी परीक्षा, परीक्षा से पहले कराई तैयारी..
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा का पेपर बाकायदा गिरोह बनाकर लीक किया गया था। जिस फर्म से जुड़े कर्मचारी ने पेपर लीक किया, वह फर्म के जरिए आयोग में कामकाज देखता है। परीक्षा में चयन कराने के लिए गैंग ने 15 लाख रुपये प्रति छात्र लिए। अभी तक साठ लाख रुपये मुख्य सरगना को दिए जाने की बात सामने आई है। इसमें 37.10 लाख रुपये बरामद हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार 20 से ज्यादा युवाओं को गैंग ने चयन कराने की डील कर तैयारी कराई। युवकों को परीक्षा से पहले रामनगर के रिजॉर्ट में बुलाकर तैयारी कराई गई। सुबह तीन बजे गैंग संचालकों ने अपने वाहनों से इन परीक्षार्थियों को उनके केंद्रों तक छोड़ा।
इस गिरोह का जयजीत सिंह मास्टर माइंड बताया जा रहा है। उसने ही आयोग के दफ्तर में जाकर परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न अन्य आरोपियों को उपलब्ध कराए थे। पूछताछ में खुलासा हुआ है कि प्रश्नों के बदले अभ्यर्थियों से 10 से 15 लाख रुपये लिए गए थे। यही नहीं, दो आरोपी मनोज जोशी और गौरव नेगी खुद भी परीक्षा में बैठे और पास हो गए। मेरिट में मनोज का 42वां और गौरव नेगी का 53वां स्थान था। मनोज अल्मोड़ा के लोअर कोर्ट में बाबू है। एसटीएफ की गिरफ्त में आए सभी छह आरोपी एक-दूसरे के माध्यम से आपस में मिले थे।
मनोज जोशी वर्ष 2014 से 2018 तक रायपुर स्थित आयोग के कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी था। 2018 में विभागीय शिकायत पर उसे हटा दिया गया था। जयजीत दास गोपनीय कार्य करने वाली आउटसोर्स एजेंसी आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन इंडिया में कंप्यूटर प्रोग्रामर है। आयोग के कार्य के लिए अक्सर उसका कार्यालय में आना-जाना था। इसी दौरान उसकी मुलाकात बालकिशन जोशी से हुई थी। वहीं, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाला दूसरा आरोपी मनोज जोशी का भी आयोग के कार्यालय परीक्षाओं की जानकारी के संबंध में आना-जाना था। इस कारण उसकी भी दोस्ती मनोज जोशी से हो गई थी। वह डालनवाला स्थित डेल्टा डिफेंस कोचिंग इंस्टीट्यूट में परीक्षा की तैयारी करता था। यहां उसकी पहचान कोचिंग सेंटर के डायरेक्टर कुलबीर सिंह से हुई थी।
कुलवीर के माध्यम से उसकी पहचान शूरवीर सिंह और अतर सिंह चौहान से हुई थी। एक और आरोपी गौरव नेगी, जो एक निजी स्कूल में शिक्षक है और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है, उसकी मुलाकात भी मनोज जोशी से परीक्षाओं की तैयारियों को लेकर हुई थी। इसके बाद सभी ने गिरोह बनाकर परीक्षा में गड़बड़ी की योजना बनाई। फिर दोनों मनोज ने कंप्यूटर प्रोग्रामर जयजीत से मुलाकात की और योजना के बारे में बताया। पेपर लीक कराने के लिए तीनों के बीच 60 लाख रुपये में डील हुई। इसके बाद जयजीत ने आयोग के दफ्तर में जाकर परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों का डाटा तैयार कर मनोज जोशी के माध्यम से अन्य आरोपियों को दे दिए।
रामनगर के रिजॉर्ट में अभ्यर्थियों को याद कराए थे प्रश्न
जयजीत की ओर से प्रश्न उपलब्ध कराए जाने के बाद मनोज जोशी, कोचिंग डायरेक्टर कुलवीर सिंह, शूरवीर सिंह चौहान गौरव ने परीक्षा तिथि से एक दिन पूर्व अभ्यर्थियों को रामनगर स्थित एक रिजॉर्ट में बुलाया था। वहां मनोज के नाम से तीन कमरे बुक थे। इसके बाद पैैसे देने वाले अभ्यर्थियों को प्रश्न याद कराए गए। अगली सुबह उन्हें परीक्षा केंद्र पहुंचा दिया गया था। एसएसपी ने बताया कि फिलहाल अभ्यर्थियों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है कि वे कितने थे और कौन-कौन से सेंटर पर परीक्षा देने गए थे। अभी तक जो बात सामने आई है, उसके अनुसार अधिकतर अभ्यर्थियों ने देहरादून और हरिद्वार में परीक्षा दी थी।
आयोग की अन्य परीक्षाएं भी संदेह के घेरे में
स्नातक स्तर की परीक्षा में धांधली का खुलासा होने के बाद अब आयोग की अन्य परीक्षाएं भी संदेह के घेरे में आ गई हैं। क्योंकि, जो गिरोह पकड़ा गया है, उसके सभी सदस्य वर्ष 2015 से आपस में मिलते रहे हैं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि गिरोह ने कहीं अन्य परीक्षाओं में भी गड़बड़ी तो नहीं की है। एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि फिलहाल तो ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन आरोपियों से पूछताछ जारी है। साथ ही मामले की विस्तृत जांच की जा रही है। जो सामने आएगा, उसी के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।
अदने कर्मचारियों ने कैसे लीक किया पेपर
जानकार इस पूरे प्रकरण में मात्र गैर सरकारी अदने से कर्मचारियों की संलिप्तला पर संदेह कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार जयजीत की पहुंच प्रश्नपत्रों तक नहीं थी, लेकिन बीते कई साल से आयोग में आने जाने से उसकी जान पहचान तकरीबन सभी से थी। ऐसे में जानकार जयजीत को सिर्फ मध्यस्त के तौर पर देख रहे हैं। ऐसे में इस कांड का मास्टरमाइंड कोई और हो सकता है।