दुष्कर्म कानून का दुरुपयोग कर रही कुछ महिलाएं, भेजा जाए जेल- हाईकोर्ट

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Hillvani-Highcourt-Uttarakhand

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दुष्कर्म के मामले में हाईकोर्ट नैनीताल ने उन महिलाओं को लेकर कड़ी टिप्पणी की, जो पहले खुद ही पुरुष मित्रों के साथ होटलों या अन्य किसी स्थानों पर जाकर शरीरिक संबंध बनाती हैं और फिर मतभेद होने पर दुष्कर्म का आरोप लगाती हैं। कोर्ट ने ऐसे आरोपों को कानून का दुरुपयोज बताया है। साथ ही कहा है कि इस तरह का आरोप लगाने वाली महिलाओं को जेल भेज दिया जाना चाहिए। नैनीताल हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप के बढ़ते मामलों के बीच कहा है कि कई महिलाएं इस कानून का दुरुपयोग कर रहीं है। कोर्ट का कहना है कि ऐसी महिलाओं को जेल भेज देना चाहिए

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महिलाएं कानून का हो रहा दुरुपयोग
शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने के मामले में दायर चार्जशीट व समन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की एकलपीठ न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने कहा कि कुछ महिलाएं कानून का दुरुपयोग कर रही हैं। कोर्ट ने कहा कि अक्सर देखने में आया है कि पहले महिलाएं अपनी मर्जी से पुरुष मित्र के साथ होटलों से लेकर कई जगह जाती हैं फिर मतभेद पैदा होने पर इस कानून का दुरुपयोग करती हैं। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए ये भी कहा कि जो इस तरह के गलत और झूठे आरोप लगाती हैं, ऐसी महिलाओं को जेल भेज देना चाहिए।

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महिलाएं इस कानून का कर रही दुरुपयोग-कोर्ट
कोर्ट ने एक अन्य मामले का हवाला दिया कि एक युवती ने तो खुद अपने केस की पैरवी करते हुए कहा कि उसके पुरुष मित्र ने शादी का झांसा देकर कई जगह ले जाकर उसकी मर्जी के बिना शारीरिक संबंध बनाए। कोर्ट ने कहा कि शारीरिक संबंध केस दर्ज कराने से 15 वर्ष पूर्व से बने आ रहे हैं और एफआईआर अब की जा रही है। आखिर क्यों? कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिसमें साफ नजर आ रहा है कि महिलाएं इस कानून का दुरुपयोग कर रहीं हैं।

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सहमति से बनाए शारीरिक संबंध, बलात्कार की श्रेणी में नहीं
एक मामले में कोर्ट ने कहा कि कई महिलाएं यह जानते हुए कि उनका पुरुष मित्र पहले से शादीशुदा है इसके बाद भी उसके साथ संबंध बनाती हैं और बाद में शादी का झांसा देकर दुष्कर्म के नाम पर केस दर्ज कराती हैं। कोर्ट ने कहा कि जो युवती ऐसा कर रही है वह बालिग व समझदार है। कोई बच्ची नहीं है जो पुरुष के झांसे में आ जाए। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जब किसी बालिग के साथ सहमति से शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं तो वह बलात्कार की श्रेणी में नहीं होगा।

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