धामी मंत्रिमंडल के विस्तार की सुगबुगाहट तेज.. जानिए क्या कहते हैं समीकरण, किसका आएगा नंबर..

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धामी मंत्रिमंडल के विस्तार का विषय फिर से राजनीतिक गलियारों में चर्चा के केंद्र में है। पिछले 15 दिनों के दौरान विधायकों, मंत्रियों, सांसदों और पूर्व मुख्यमंत्रियों की छोटी-छोटी मुलाकातें उत्तराखंड में मत्रिमंडल विस्तार की ओर इशारा कर रही है। मंत्रिमंडल विस्तार होने पर चार विधायकों की लॉटरी लग सकती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिल्ली से लौटते ही देहरादून में कैबिनेट विस्तार और दर्जाधारियों की खाली कुर्सियों को भरने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि निकाय चुनाव से पहले मुख्यमंत्री कैबिनेट का कुनबा बढ़ा सकते हैं। अभी उनके मंत्रिमंडल में चार पद खाली हैं। बेशक कैबिनेट मंत्री रहे चंदन राम दास के निधन के बाद से ही कैबिनेट में बदलाव की बातें होती रही हैं। लेकिन इस बार चर्चाएं काफी तेज हैं। इसके लिए कुछ प्रमुख मेल मुलाकातों को आधार माना जा रहा है। पहला धामी सरकार के कुछ मंत्रियों की दिल्ली दौड़, दूसरा संगठन और सरकार में मायने रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्रियों और सांसदों की केंद्रीय नेताओं से मुलाकातें और तीसरा पिछले कुछ दिनों में पार्टी के विधायकों की मुख्यमंत्री की शिष्टाचार भेंट।

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चार मंत्री पद हैं खाली
मुख्यमंत्री धामी ने अपने दूसरे कार्यकाल की जब शपथ ली थी, तब मंत्रिमंडल में तीन पद रिक्त रखे गए थे। राज्य में मुख्यमंत्री समेत 12 सदस्य ही मंत्रिमंडल में हो सकते हैं। बाद में कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन के कारण मंत्रिमंडल में रिक्त पदों की संख्या बढ़कर चार हो गई। इस सबको देखते हुए अक्सर ही मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा होती आई है। मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरों के दौरान इसे लेकर चर्चा अधिक होती है। अब यह विषय फिर से चर्चा के केंद्र में है। वजह है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का हालिया दिल्ली दौरा। यही नहीं, कई मंत्रियों ने भी इस बीच दिल्ली दौड़ लगाकर शीर्षस्थ नेताओं के दरबार में हाजिरी लगाई। इससे राजनीतिक गलियारों में भी हलचल होने लगी। यद्यपि, मुख्यमंत्री को तो अक्सर दिल्ली जाना पड़ता है, लेकिन मंत्रियों की दिल्ली दौड़ को सामान्य नहीं माना जा रहा। इसे मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर भी देखा जा रहा है।

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कैबिनेट विस्तार की अटकलों को बल
दिल्ली जाने से पहले मुख्यमंत्री ने जिस तरह से पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, अरविंद पांडेय, बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल के अलावा कई नए व पुराने विधायकों से सिलसिलेवार मुलाकातें कीं, इनसे भी कैबिनेट विस्तार की अटकलों को बल मिला है। इन अटकलों के बीच यह बात भी काफी स्पष्ट है कि सीएम ने अपनी ओर कैबिनेट विस्तार की संभावना के अभी तक कोई संकेत नहीं दिए हैं। दिल्ली जाने से पहले मुख्यमंत्री धामी से मीडिया कर्मियों ने कैबिनेट विस्तार की संभावना से जुड़ा प्रश्न पूछा भी था। लेकिन वह इसे मुस्करा कर टाल गए थे। जैसे-जैसे समय गुजर रहा है, कैबिनेट विस्तार को लेकर संगठन के स्तर से भी दबाव है। इस बार संगठन के भीतर भी कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं गरमा रही हैं। माना यह भी जा रहा है कि सीएम धामी के पास कैबिनेट विस्तार के बहाने अपने मंत्रियों की परफॉरमेंस का आकलन करने का मौका है।

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मंत्रिमंडल विस्तार पर टिकी निगाहें
दरअसल, हाल में ही भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं उत्तराख्रंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम ने संकेत दिए थे कि धामी मंत्रिमंडल में रिक्त मंत्री पदों को शीघ्र भरा जाएगा। मुख्यमंत्री के दिल्ली प्रवास से यह माना गया कि वह मंत्रिमंडल विस्तार के संबंध में केंद्रीय नेतृत्व से विमर्श कर सकते हैं। यद्यपि, मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सरकार व संगठन की ओर से साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा रहा, लेकिन सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं। चर्चा तो यहां तक भी है कि आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही कुछ मंत्री अथवा उनके विभाग बदले भी जा सकते हैं। कुछ विधायकों की मुख्यमंत्री से हुई मुलाकात को इस कड़ी में देखा जा रहा है। मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा, यह तो भविष्य के गर्त में छिपा है, लेकिन तब तक के लिए मंत्री पद के तलबगारों की धड़कनें तो बढ़ ही गई हैं।

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