Agnipath Yojna: जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने पर बवाल, भर्ती पर उठे सवालों पर सेना ने दी सफाई..
Agnipath Yojna: केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के लिए अग्निवीरों के लिए भर्ती शुरू हो चुकी है। इस योजना की भर्ती जून से ही शुरु हो चुकी हैं, लेकिन अब खबर सामने आई है कि सेना में भर्ती के लिए जाति प्रमाण पत्र की मांग की गई है। अब इसे लेकर विपक्ष एक बार फिर भड़क गया है। विपक्षी पार्टियां पहले से ही अग्निपथ योजना का विरोध कर रही थीं लेकिन जाति प्रमाण पत्र को लेकर विवाद और गहरा गया है। साथ ही सैन्य भर्ती में जाति व धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सेना ने सफाई दी है। सैन्य अधिकारियों का कहना है कि अग्निपथ योजना के तहत सैन्य भर्ती प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पहले भी जाति व धर्म प्रमाण पत्र मांगा जाता रहा है। दरअसल, अग्निपथ योजना के लिए जाति व धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सियासत शुरू हो गई थी। आप सांसद संजय सिंह व जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने सैन्य भर्ती से संबंधित एक स्क्रीन शॉट को शेयर कर योजना पर सवाल खड़े किए थे। दोनों ने कहा था कि सैन्य भर्ती में जाति व धर्म प्रमाण पत्र की क्या जरूरत है। संजय सिंह ने दावा किया था कि भारत के इतिहास में पहली बार सैन्य भर्ती में जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है।
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अग्निवीर योजना में भर्ती के लिए जाति प्रमाण पत्र मांगने पर भड़का विपक्ष।
बिहार के नेता तेजस्वी यादव ने तंज कसा है कि क्या जाति के आधार पर छंटनी की तैयारी हो रही है। फिलहाल अग्निपथ योजना (Agnipath Yojna) का विरोध लगभग शांत हो चुका है। युवा अग्निवीर बनने की तैयारी में जुट गए हैं। लेकिन अब सेना में बहाली पर एक नई सियासत छिड़ गई है। मामला जाति प्रमाण पत्र मांगने का है। इस मुद्दे को जदयू ने उठाया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से पूछा ये सवाल।
दरअसल जदयू ने सेना की भर्ती में जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सवाल किया है। जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने राजनाथ सिंह को संबोधित एक ट्वीट में यह कहा कि सेना की बहाली में जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने की क्या जरूरत है, जब इसमें आरक्षण का कोई प्रविधान ही नहीं है।
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वरुण गांधी ने भी खड़े किए सवाल।
भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी सैन्य भर्ती में जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, सेना में किसी भी तरह का कोई आरक्षण नहीं है पर अग्निपथ की भर्तियों में जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। क्या अब हम जाति देख कर किसी की राष्ट्रभक्ति तय करेंगे? सेना की स्थापित परंपराओं को बदलने से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर जो प्रभाव पड़ेगा उसके बारे में सरकार को सोचना चाहिए।
संजय सिंह ने क्या कहा था?
संजय सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल पर सेना बहाली के जुड़ा एक स्क्रीन शॉट शेयर किया। उन्होंने लिखा, “मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते? भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। मोदी जी आपको अग्निवीर बनाना है या जातिवीर?”
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बीजेपी ने किया पलटवार।
बीजेपी ने इन आरोपों पर पलटवार किया। बीजेपी सोशल मीडिया हेड अमित मालवीय ने संजय सिंह के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि सेना ने 2013 में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में स्पष्ट किया था कि वह जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर भर्ती नहीं करती है। प्रशासनिक सुविधा और परिचालन आवश्यकताओं के लिए एक क्षेत्र से आने वाले लोगों के समूह को एक रेजिमेंट में रखने को उचित ठहराती है। अमित मालवीय ने आगे लिखा कि हर चीज के लिए पीएम मोदी को दोष देने की इस सनक का मतलब है कि संजय सिंह जैसे लोग हर दिन अपने पैर को मुंह में डालते हैं। सेना की रेजीमेंट प्रणाली अंग्रेजों के जमाने से ही अस्तित्व में है। स्वतंत्रता के बाद इसे 1949 में एक विशेष सेना आदेश के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया था। मोदी सरकार ने इसमें कुछ नहीं बदला।
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सेना के अधिकारी ने दी सफाई।
इस पूरे विवाद पर सेना की ओर से कहा गया है कि आवेदकों के लिए उनका जाति प्रमाण पत्र और जरूरत पड़े तो धर्म प्रमाण पत्र हमेशा से सेना भर्ती में लिया जाता रहा है। इस मामले में अग्निवीर भर्ती योजना में कोई बदलाव नहीं किया गया है। भारतीय सेना के अधिकारी की ओर से कहा गया है कि अगर जवान ड्यूटी के दौरान शहीद होता है या ट्रेनिंग के दौरान किसी वजह से उसकी मृत्यु होती है तो उसके अंतिम संस्कार के लिए भी उसकी धर्म की जानकारी की जरूरत होती है ताकि उसके रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किए जा सके।
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