उखीमठः अघोषित विद्युत कटौती से जनता परेशान, कार्यालयों का कामकाज सहित छात्रों की पढ़ाई भी ठप्प..
ऊखीमठः केदार घाटी सहित विभिन्न इलाकों में विगत कई दिनों से हो रही अघोषित विधुत कटौती से उपभोक्ताओं में विभाग के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है जो कि कभी भी सड़कों पर फूट सकता है। क्षेत्र में हो रही अघोषित विधुत कटौती से भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में शाम – सुबह होने वाले वेदपाठ प्रभावित होने के साथ ही सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों का कामकाज, नौनिहालों का पठन-पाठन तथा विधुत व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है। बता दें कि विधुत विभाग की अनदेखी के कारण केदार, कालीमठ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ घाटियों में विगत एक माह से लगातार विधुत कटौती किये जाने से उपभोक्ताओं में विभाग के प्रति खासा आक्रोश बना हुआ है। सीमान्त गांवों के जनप्रतिनिधि व ग्रामीण अपने विकास कार्यों तथा नौनिहालों के विभिन्न प्रमाण पत्रों को बनाने के लिए मीलों दूरी का सफर तय करने के बाद तहसील व विकासखण्ड मुख्यालय पहुंचते है मगर विधुत आपूर्ति ठप रहने से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है।
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कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ प्रदेश महामंत्री व पूर्व व्यापार संघ अध्यक्ष आनन्द सिंह रावत ने बताया कि क्षेत्र में लगातार हो रही अघोषित विधुत कटौती से नौनिहालों का पठन – पाठन खासा प्रभावित होने के साथ विधुत व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का व्यवसाय भी खासा प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा प्रदेश में अघोषित विधुत कटौती होना यहाँ के जनमानस के साथ सरासर धोखा है। उनका कहना है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहाड़ की जवानी व पहाड़ के पानी का नारा देकर सत्तासीन तो हुए थे मगर पहाड़ का पानी से यहाँ के जनमानस को कोई लाभ नहीं मिला है जबकि यहाँ का युवा भी रोजगार के लिए दर – दर भटक रहा है। उन्होंने कहा कि अघोषित विधुत कटौती के बाद भी विधुत विभाग द्वारा उपभोक्ताओं को भेजें जा रहे विधुत बिलों में किसी प्रकार की कटौती नही होने से विभागीय कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। स्थानीय व्यापारी विजय पंवार ने बताया कि क्षेत्र में लगातार हो रही विधुत कटौती से व्यापारियों का व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच पूर्व अध्यक्ष मदन भटट् ने बताया कि क्षेत्र में लगातार विधुत कटौती होने से आपदा प्रभावित अन्धेरे में रात्रि गुजारने के लिए विवश हैं तथा विधुत कटौती होने पर आपदा प्रभावितों के मन में भय पैदा होना स्वाभाविक ही है।
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