राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू पहुंचीं देहरादून..

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Presidential candidate Draupadi Murmu reached Dehradun. Hillvani News

Presidential candidate Draupadi Murmu reached Dehradun. Hillvani News

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू आज सोमवार को उत्तराखंड प्रवास पर रहेंगी। सुबह करीब दस बजे वे देहरादून पहुंचीं। इस दौरान जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक और जनजाति सांस्कृतिक टीम की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार का स्वागत किया गया। सबसे पहले यहां पहुंच कर उन्होंने कचहरी स्थित शहीद स्थल पर पहुंचकर बलिदानी आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू आज सोमवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में भाजपा सांसदों, विधायकों से साथ बैठक करेंगी।

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आपको बता दें कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होगा। वहीं, 21 जुलाई को मतगणना की तारीख निर्धारित है। ऐसे में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू इन दिनों समर्थन जुटाने के उद्देश्य से देशभर का दौरा कर रही हैं। इसी सिलसिले में वह आज 11 जुलाई को राजधानी देहरादून पहुंची हैं। संसदीय कार्यमंत्री एवं वित्त मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने भाजपा के सभी 47 विधायकों और लोकसभा व राज्यसभा के सभी आठ सांसदों से बैठक में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने को कहा गया था। आज सांसदों व विधायकों की एक संयुक्त बैठक रखी जाएगी, जिसमें राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मुर्मू संबोधित करेंगी। वह सभी सांसदों व विधायकों से चुनाव में समर्थन की अपील करेंगी।

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कौन हैं द्रौपदी मुर्मू?
द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी महिला हैं। द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई ओडिशा की राजधानी भुवनेश्‍वर से की हैं। उन्होंने भुवनेश्‍वर के रमादेवी वुमेंस कॉलेज से कला में स्नातक किया। स्नातक करने के बाद उन्होंने ओडिशा सरकार के सिंचाई विभाग में एक सहायक के रूप में करियर शुरू किया था।

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पारिवारिक जीवन और संघर्ष
द्रौपदी मुर्मू की पारिवारिक जीवन के बारे में जिक्र करें तो उनका विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था। हालांकि, पति के निधन के बाद वो अपनी बेटी इतिश्री मुर्मू के साथ रहती हैं। आदिवासी परिवार में जन्म होने के चलते द्रौपदी मुर्मू का जीवन बेहद ही संघर्ष भरा रहा है। पिछड़ी जगह से आने वाली द्रौपदी मुर्मू गरीबी से भी बहुत परेशान रही हैं। एक गरीब परिवार से संबंध रखने वाली द्रौपदी मुर्मू कभी भी अपने लक्ष्य से नहीं भटकी और महेशा आगे बढ़ती रही। उनके बारे में कहा जाता है कि तंगी के हाल में भी लोगों को शिक्षित करने का भार लिया और बिना वेतन के ही श्री ऑरोबिन्दो इन्तेग्रल एजूकेशन और रिसर्च सेंटर में लोगों को शिक्षित करती थीं।

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राजनितिक सफ़र
द्रौपदी मुर्मू की राजनितिक सफ़र लगभग 1997 में शुरू हुआ था। उन्होंने पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। कुछ समय बाद वो उपाध्यक्ष भी रही। उन्होंने राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य का पद भी संभाला है। लेकिन, द्रौपदी मुर्मू की राजनितिक सफ़र में बड़ा मुकाम तब आया जब वो विधायक बनीं। साल 2000-2004 के बीच में वो मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं। इस बीच वो वाणिज्य और परिवहन का स्वतंत्र प्रभार भी संभाला था। साल 2004 के बाद दोबारा विधायक बनीं और इन बीच उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक होने का नीलकंठ अवार्ड भी दिया गया।

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