राष्ट्रीय ध्वज पर क्यों हो रही है ओछी राजनीति? क्या आप जानते हैं तिरंगे का कैसे करें सम्मान?
तिरंगे में 135 करोड़ से ज्यादा की आबादी को एकजुट रखने की अपार शक्ति है लेकिन जब तिरंगे को लेकर ही राजनीति होने लगे तो यह बहुत ही दुखद है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की शान के लिए अपनी कुर्बानी देने वाले शहीदों की शहादत को याद करने के मकसद से शुरु हुए “हर घर तिरंगा” अभियान पर भी अब राजनीति छिड़ गई है। एक तरफ भाजपा हर घर तिरंगा अभियान चला रही है तो वही दूसरी तरफ कांग्रेस भारत जोड़ो तिरंगा यात्रा निकाल रही है। तिरंगे पर भी जहां राजनीति होने लगे, ऐसा सिर्फ हमारे देश में ही संभव है, जो बेहद अफ़सोसजनक है। तिरंगा न तो पहले इतने सालों तक केंद्र की सत्ता में रही कांग्रेस की बपौती था और न ही वह आज बीजेपी की है। तिरंगा भारत की आन, बान और शान का ऐसा गौरवशाली प्रतीक है, जिसने देश को आज़ादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। इसे लहराते हुए ही न जाने कितने लोगों ने फांसी का फंदा चूम लिया और आने वाली नस्ल में अंग्रेजों के ख़िलाफ़ लड़ने का जज़्बा पैदा किया था।
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क्या है हर घर तिरंगा अभियान का मकसद
आजादी के अमृत महोत्सव अभियान के तहत यह अभियान शुरू किया गया है। बीते 22 जुलाई को खुद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से अपने घर पर तिरंगा फहराने की अपील की है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि यह मुहिम तिरंगे के साथ हमारे जुड़ाव को गहरा करेगी। उन्होंने जिक्र किया कि 22 जुलाई, 1947 को ही तिरंगे को राष्ट्रध्वज के रूप में अपनाया गया था। उन्होंने लिखा, ‘इस साल, जब हम ‘आजादी का अमृत’ महोत्सव मना रहे हैं, तो आइए ‘हर घर तिरंगा’ आंदोलन को मजबूत करें। 13 अगस्त से 15 अगस्त के बीच अपने घरों में तिरंगा फहराएं या प्रदर्शित करें। यह मुहिम राष्ट्रध्वज के साथ अपने जुड़ाव को गहरा करेगी।’इस अभियान के माध्यम से सरकार ने 20 करोड़ घरों पर तिरंगा लहराने का लक्ष्य रखा है। सभी निजी और सरकारी प्रतिष्ठान भी इसमें शामिल होंगे। लाखों लोग अभी से अपने घरों, सोशल मीडिया प्रोफाइल आदि में तिरंगा लगाने की शुरुआत कर चुके हैं।
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कांग्रेस ने भारत जोड़ो तिरंगा यात्रा का मकसद
देश की आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ पर कांग्रेस ने भारत जोड़ो का नारा दिया है जिसके तहत भारत जोड़ो तिरंगा यात्रा पूरे देश भर में कांग्रेस पार्टी और कार्यकर्ताओं द्वारा निकाली जा रही है और इस तिरंगा यात्रा के माध्यम से भारत जोड़ो के नारे के साथ कांग्रेस पार्टी भारत में जातिवाद और हिन्दू मुस्लिम की राजनीति के खिलाफ सामाजिक सौहार्द बनाने का कार्य करने के लिए यह यात्रा निकाल रही है। धर्म के नाम पर जो सांप्रदायिक ताकतें देश को तोडना चाहती है, जाति धर्म के नाम पर आपस में लड़ाना चाहती है, इसके खिलाफ कांग्रेस ये तिरंगा यात्रा और भारत जोड़ो का नारा पूरे देश भर में पहुंचा रही है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि इस यात्रा और नारे के तहत कांग्रेस देश को फिर से जोड़ने का काम करेगी।
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हर भारतवासी को पता होना चाहिए तिरंगे का कैसे करें सम्मान
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के सामने पूरा भारत देश नतमस्तक होता है, देश का हर नागरिक तिरंगे का दिल से सम्मान करता है। भारत के संविधान में तिरंगे का अपमान करना दंडनीय अपराध माना गया है, जिसे लेकर सजा का भी निर्धारण किया गया है। तीन रंगों से बना तिरंगा केसरिया, सफेद और हरा ये तीनों रंग देश के प्रतीक है, जिसमें केसरिया बलिदान का, सफेद शांति का और हरा रंग हरियाली यानी स्वतंत्रता का प्रतीक है। आज देश में आन-बान-शान के साथ जिस तिरंगे को फहराता है उसे 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। राष्ट्रीय ध्वज को आंध्रप्रदेश के पिंगली वेंकैया ने बनाया था। भारत की पहचान है तिरंगा, हर भारतवासी का गौरव है तिरंगा।
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तिरंगे के सम्मान के ये हैं 11 नियम
1- किसी मंच पर तिरंगे को फहराते समय बोलने वाले का मुंह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसकी दाहनी तरफ होना चाहिए। जो भी तिरंगा फहराने के नियमों का उल्लंघन करता है उसे जेल भी हो सकती है।
2- तिरंगा हमेशा कॉटन सिल्क या फिर खादी का होना चाहिए। इसका डिजाइन हमेशा रेक्टेंगल शेप में होना चाहिए। इसके अनुपात की अगर बात करें तो 3:2 तय किया गया है।
3- तिरंगे के बीच में मौजूद अशोक चक्र में 24 तीलियां होनी चाहिए। इसके अलावा झंडे पर कुछ बनाना या लिखना गैर कानूनी होता है।
4- तिरंगा कभी भी किसी गाड़ी के पीछे, बोट या फिर प्लेन में नहीं लगाया जा सकता और न ही इसका इस्तेमाल किसी बिल्डिंग को ढकने में किया जा सकता है।
5- किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन पर टच नहीं होना चाहिए क्योंकि ऐसा होना तिरंगे का अपमान माना गया है।
6- तिरंगे का उपयोग किसी प्रकार की यूनिफोर्म या फिर सजावट के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
7- भारत में बेंगलुरू से 420 किमी स्थित हुबली एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान है, जो झण्डा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता है।
8- किसी भी अन्य झण्डे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या फिर उसके बराबर में नहीं रख सकते।
9- देश के लिए जान देने वाले शहीदों और देश के महान शख्सियतों को तिरंगे में लपेटा जाता है। इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ रखते हैं।
10- शव को जलाने या दफनाने के बाद इसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या फिर वजन बांधकर किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है।
11- कटे-फटे या फिर रंग उड़े तिरंगे को भी सम्मान के साथ जलाया जाता है या फिर वजन बांधकर किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है।
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20 साल पहले मिला यह खास अधिकार
तिरंगे के इतिहास में 26 जनवरी, 2002 का एक खास स्थान है। यही वह दिन है जब भारत के आम नागरिकों को भी अपनी मर्जी से किसी भी दिन झंडा फहराने का अधिकार मिला। इससे पहले झंडा फहराने का अधिकार तो था लेकिन सिर्फ कुछ खास अवसर, जैसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराया जा सकता है। लेकिन 26 जनवरी, 2002 से भारतीय झंडा संहिता में संशोधन के बाद आम नागरिकों को कहीं भी कभी भी राष्ट्रीय झंडा फहराने का मौका मिला। इसके बाद से आम आदमी अपने घरों, कार्यालयों और फैक्ट्रियों में किसी भी दिन तिरंगा फहरा सकते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें झंडे का पूरी तरह से सम्मान कायम रखना होता है और तय मानकों के आधार पर झंडे को फहराना होता है। इस अधिकार को दिलाने में उद्योगपति नवीन जिंदल की अहम भूमिका रही है। असल में उन्होंने इसके लिए करीब सात साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी थी। और उसी के बाद 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिकार का आदेश दिया और फिर संसद ने नियमों में संशोधन कर इसे लागू किया।
भारतीय झंडा संहिता तीन हिस्सों में बंटी हुई है।
1- पहले हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज के आकार और निर्माण और उसे जुड़े नियमों का उल्लेख है।
2- दूसरे हिस्से में आम लोग, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों द्वारा झंडा फहराने और उसके रखरखाव आदि के नियम बताए गए हैं।
3- तीसरे हिस्से में केंद्र एवं राज्य सरकार और उनके संगठन एवं एजेंसियों द्वारा झंडा फहराने उसके देखभाल से जुड़े नियमों का उल्लेख है।
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