उत्तराखंडः फिर सुर्खियों में आया नई विधानसभा मसला, सियासी घमासान शुरू..

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Political turmoil after getting forest clearance of assembly building. Hillvani News

Political turmoil after getting forest clearance of assembly building. Hillvani News

देहरादून के रायपुर में प्रस्तावित विधानसभा भवन की फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिलने के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है। चर्चा है कि नए विधानसभा भवन निर्माण की प्रक्रिया मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री काल में शुरू की गई थी। वहीं पूरी प्रक्रिया को लेकर हरीश रावत ने बीजेपी पर निशाना साधा है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि उनका एक ही सपना है गैरसैंण में विधानसभा भवन का निर्माण हो लेकिन देहरादून के रायपुर में प्रस्तावित विधानसभा भवन की प्रक्रिया जिनके कार्यकाल में शुरू हुई वो तो खुद आज बीजेपी का हिस्सा है। हालांकि राज्य की तीसरी विधानसभा बनाने की राह में अभी पर्यावरणीय स्वीकृति का पेच फंसा है। रायपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रस्तावित विधानसभा भवन के निर्माण के लिए राज्य सरकार को करीब 60 हेक्टेयर भूमि ट्रांसफर हो चुकी है। शेष भूमि के लिए अभी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अंतिम मंजूरी नहीं मिली है।

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एक दशक से लटका नई विधानसभा और सचिवालय भवन के प्रस्ताव
देहरादून में पिछले एक दशक से लटका नई विधानसभा और सचिवालय भवन के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी मिल चुकी है। देहरादून के रायपुर क्षेत्र में 60 हेक्टेयर भूमि पर विधानसभा, सचिवालय भवन और आधारभूत सुविधाओं के प्रस्ताव पर मिली केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद जल्द ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इसके अलावा 60 हेक्टेयर की भूमि पर फॉरेस्ट क्लीयरेंस भी मिल चुका है। वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर एक वाइल्डलाइफ मिटिगेशन प्लान केंद्रीय मंत्रालय को भेजा जाएगा। इसके बाद ही वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी हो पाएगी। नई सरकार के गठन के बाद देहरादून के रायपुर क्षेत्र में नई विधानमंडल भवन और नया सचिवालय बनाने की चर्चाएं गरम हैं। हालांकि अभी चयनित स्थान पर भूमि का पूरी तरह से हस्तांतरण नहीं हो पाया है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से सैद्धांतिक मंजूरी पूर्व में मिल चुकी है। आसपास वनीय क्षेत्र होने की वजह से मंत्रालय ने कुछ शर्तें लगाई हैं, जिनके वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर एक योजना का प्रस्ताव तैयार होना है। वन विभाग के मुताबिक, प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय मंत्रालय को भेजा जाएगा।

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करीब 61 हेक्टेयर वन भूमि का हस्तांतरण होना शेष
रायपुर में नई विधानसभा और सचिवालय भवन निर्माण के लिए करीब 300 एकड़ यानी करीब 121.45 हेक्टेयर भूमि चिह्नित है। इसमें से करीब 60 हेक्टेयर भूमि पर वनीय स्वीकृति मिल चुकी है। इसके लिए 2017 में ही राज्यसंपत्ति विभाग 7.62 करोड़ रुपये वन विभाग में जमा करा चुका है। शेष करीब 61 हेक्टेयर भूमि के लिए उसे करीब 16 करोड़ रुपये जमा कराने हैं। राज्यसंपत्ति विभाग ने अभी यह धनराशि जमा नहीं कराई है।

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नई विधानसभा बनाने की जरूरत क्यों?
देहरादून में नई विधानसभा बनाने के पीछे जो कारण बताए जा रहे हैं, उनमें सबसे बड़ी वजह मौजूदा विधानसभा का छोटा आकार है। प्रदेश की सर्वोच्च प्रतिनिधि सभा की गरिमा के हिसाब से इसे भव्य, सुरक्षित और भावी जरूरतों को पूरा करने वाला होना चाहिए। शहर के बीचोंबीच होने की वजह से सत्र के दौरान स्थानीय शहरवासियों को ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। विधानसभा और सचिवालय शहर से बाहर होने पर देहरादून शहर पर दबाव कम होगा।

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खुलकर पैरवी करने से सत्तारूढ़ दल की हिचक हमेशा से दिखाई दी
देहरादून में एक और विधानसभा भवन बनाए जाने की खुलकर पैरवी करने से सत्तारूढ़ दल की हिचक हमेशा से दिखाई दी है। यही वजह है कि इस प्रस्ताव पर किसी भी सरकार में बहुत तेजी नहीं दिखी। लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि मौजूदा सरकार और विधानसभा के स्तर पर भवन निर्माण को लेकर दिलचस्पी दिखाई दे रही है। यही वजह है कि यह मसला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। जानकारों के मुताबिक, खुलकर पैरवी इसलिए नहीं हो रही है कि सरकारों को हमेशा से ही तीन-तीन विधानसभाओं के औचित्य और पहाड़ बनाम मैदान के सियासी सवालों का सामना करना पड़ सकता है।

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विपक्ष की सरकार पर तीखी प्रतिक्रिया
रायपुर क्षेत्र में नई विधानसभा और सचिवालय भवन बनने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही हैं। हालंकि, ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर रही है। विपक्ष का मानना है कि ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में अब तक न अधिकारी-कर्मचारियों की तैनाती हुई है ना ही सरकार ने गैरसैंण पर ध्यान दिया है। इसके बावजूद देहरादून के रायपुर क्षेत्र में नए बनने जा रहे विधानसभा और सचिवालय भवन के साथ-साथ आधारभूत सुविधाओं को लेकर विपक्ष की क्या प्रतिक्रिया रहती है वह देखने वाली बात होगी।

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