केदारनाथ धाम के नाम पर सियासी घमासान, भाजपा-कांग्रेस में वार-पलटवार..
उत्तराखंड में अभी कोई चुनावी माहौल तो नहीं है लेकिन फिर भी प्रदेश की सियासत में उबाल आया हुआ है। इस बार यह उबाल राजनीतिक नहीं बल्कि धार्मिक रूप में है। जिसमें भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। अन्य संगठन भी इस मामले में कूदे लेकिन धरना-प्रदर्शन कर शांत हो गये। तीसरे की कोई गुंजाइश कम ही नजर आ रही है। मामला बाबा केदार के धाम से जुड़ा हुआ है। दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति के निर्माण का कांग्रेस पुरजोर विरोध कर रही है। जबकि पूर्व में मुंबई में बदरीनाथ मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में पूर्व सीएम हरीश रावत के शामिल होने के सवाल पर कांग्रेस ने चुप्पी साधी हुई है। वहीं दिल्ली में बन रहे केदारनाथ मंदिर के निर्माण में सरकार के किसी भी तरह से शामिल होने की बात से सरकार और भाजपा पूरी तरह से इनकार कर रही है। वहीं ट्रस्ट के संस्थापक ने भी सरकार का इस मंदिर निर्माण से कोई सरोकार न होने की बात मीडिया से कही है लेकिन फिर भी विवाद थम नहीं रहा है। या यह कहा जाये कि विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने में जुटा हुआ है। इसी के चलते कांग्रेस ने बुधवार को हरिद्वार से ‘केदारनाथ बचाओ’ पदयात्रा शुरू की है जो केदारनाथ धाम में समाप्त होगी।
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सियासी संग्राम और तेज होने के पूरे आसार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अचानक केदारनाथ पहुंच कर बाबा केदार के दर्शन किए और वहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया। सियासी जानकार इसे संयोग नहीं कांग्रेस पर पलटवार की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं। उनके मुताबिक, ये सारी सियासी कसरत केदारनाथ सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर है, जो भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद खाली हो चुकी है। हिंदुओं की आस्था के पवित्र धाम बदरीनाथ की सीट पर उपचुनाव जीतने के बाद प्रदेश कांग्रेस खासी उत्साहित है। अब पार्टी ने केदारनाथ उपचुनाव के लिए ताकत झोंकनी शुरू कर दी है। बदरीनाथ उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ उठी हवाओं को वह केदारनाथ तक बहाना चाहती है। हवा बनाने के लिए उसने राहुल गांधी की पैदल यात्रा को जरिया बनाया है। वहीं कांग्रेस द्वारा हरिद्वार से शुरू की गई केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा दरअसल उसकी इसी चुनावी रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेसी पैदल यात्रा कर चार अगस्त को केदारनाथ पहुंचेंगे। इस बीच जहां-जहां यात्रा गुजरेगी, वहां-वहां सभाएं होंगी। कांग्रेस के मंसूबों को भाजपा भांप चुकी है। मुख्यमंत्री का केदारनाथ जाकर पूजा-पाठ करना, एक दिन पहले तीर्थ पुरोहितों के साथ उनकी वार्ता और धाम से लौट कर उनका कांग्रेस पर हमला बोलना सियासी रणनीति का हिस्सा है। आने वाले दिनों में केदारनाथ पर सियासी संग्राम और तेज होने के पूरे आसार हैं।
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बाबा केदार की महत्ता को लेकर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण- भट्ट
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस की केदारनाथ बचाओ यात्रा को राजनीतिक करार देते हुए इसे विधानसभा की केदारनाथ सीट के उपचुनाव में लाभ लेने की कोशिश बताया। उन्होंने कटाक्ष किया कि हिटो केदार और एल्बम निर्माण पर जनता की गाढ़ी कमाई लुटाने वाले अब केदार बचाने निकले हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपनी सरकार के कार्यकाल में धाम के नाम पर हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार का जवाब भी देना चाहिए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस का बाबा केदार की महत्ता को लेकर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है। सनातन के विषय में बोलने का भी कांग्रेस को नैतिक अधिकार नहीं है। कांग्रेस ने अपनी सरकारों के कार्यकाल में केदारनाथ समेत चारों धामों और प्रदेश के पावन स्थलों के विकास को लेकर कभी कोई काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि जो लोग केदारनाथ धाम के सम्मान एवं महत्व की रक्षा की बात करते हैं, उनकी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और बीकेटीसी के तत्कालीन अध्यक्ष गणेश गोदियाल को बाबा केदार के गर्भगृह में जूते पहनकर प्रवेश करते सबने देखा है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री रावत को केदारनाथ के तत्कालीन विधायक की हिटो केदार यात्रा के लिए दिए गए 25 लाख रुपये की धनराशि का भी हिसाब देना चाहिए। उन्होंने यात्रा को अराजनीतिक बताने के कांग्रेस के बयान पर भी कटाक्ष किया और कहा कि किसी राजनीतिक दल की यात्रा या अभियान, अराजनैतिक कैसे हो सकता है। कांग्रेस को यह गलतफहमी कैसे हो गई कि उसके नेता विश्व को बचाने वाले भगवान भोलेनाथ को बचाने का दावा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपनी इस यात्रा का असल उद्देश्य स्पष्ट करना चाहिए। उन्हें यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि इस यात्रा का असल मकसद क्या है? कहा कि उत्तराखंड में निकाली गई पिछली सभी यात्राओं की तरह यह यात्रा भी पूरी तरह फ्लॉप होने वाली है।
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पीसीसी चीफ ने दिया यह बयान
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि ये कोई राजनीतिक यात्रा नहीं है, बल्कि भाजपा के धर्म के साथ राजनीतिक खिलवाड़ के लिए है। करन माहरा ने कहा कि उत्तराखंड में धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इसी के विरोध में कांग्रेस की ओर से केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा पदयात्रा शुरू की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि ये यात्रा सनातन धर्म की जागरूकता के लिए है और दिल्ली में केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर निर्माण का विरोध भी करते रहेंगे।
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली के बुराड़ी में एक ट्रस्ट केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बना रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाथों मंदिर का शिलान्यास होने के बाद से मंदिर का विरोध तेज हो गया है। कांग्रेस लगातार केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाने का विरोध कर रही है तो वहीं केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों ने धरना प्रदर्शन भी किया। हालांकि मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद उन्होंने अपना धरना खत्म कर दिया।
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