उत्तराखंडः हिमालय में बर्फ का सूखा.. ओम पर्वत से गायब हुआ ‘ऊं’, अब रह गया बस काला पहाड़..
हिंदू धर्म से जुड़े कई ऐसे पवित्र स्थल हैं, जो चमत्कारिक हैं। जैसे अमरनाथ की गुफा और ओम पर्वत। हर साल अमरनाथ में बर्फ से अपने आप तय जगह पर बर्फ से शिवलिंग बनता है, जिसके दर्शन करने के लिए लाखों भक्त कई किलोमीटर लंबा दुर्गम रास्ता तय करके पहुंचते हैं। इसी तरह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में ओम पर्वत है। इस पर्वत पर हर साल बर्फ से ‘ऊं’ की आकृति बनती है। ओम पर्वत चीन सीमा से लगते लिपुलेख दरें के पास है। इस आकृति के कारण ही यह पर्वत ओम पर्वत नाम से मशहूर है। पर्वत पर बर्फ पिघलने से विश्व प्रसिद्ध ओम पर्वत से अब ॐ गायब हो गया है। अब यहां महज काला पहाड़ नजर आ रहा है। पर्यावरणविद और स्थानीय लोग वैश्विक तापमान में वृद्धि और उच्च हिमालयी क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे हैं।
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उच्च हिमालयी क्षेत्र में तेजी से पिघल रही बर्फ
पिथौरागढ़ जिले के धारचूला तहसील की व्यास घाटी में स्थित ओम पर्वत 5,900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर स्थित नाभीढांग से ओम पर्वत के दर्शन होते हैं। एक दशक पूर्व तक ओम पर्वत और इसके आसपास की पहाड़ियां वर्ष भर बर्फ से लकदक रहती थीं। वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी के कारण अब उच्च हिमालयी क्षेत्र की बर्फ भी तेजी से पिघलने लगी है। हाल के वर्षों में शीतकाल में कम हिमपात के कारण तापमान बढ़ते ही हिमनदों की बर्फ पिघलने लगती है। इस वर्ष ओम पर्वत की बर्फ पिघलने से ओम गायब हो गया है।
गायब हुई ‘ॐ’ की आकृति
पहली बार ऐसा हुआ है कि ओम पर्वत बर्फ से बनने वाली ‘ॐ’ की आकृति गायब हो गई है। खबरों के मुताबिक ओम पर्वत पर इस साल ‘ॐ’ की आकृति नहीं बनी है। वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग तो इसकी बड़ी वजह है ही, साथ में यहां पर पर्यटन काफी बढ़ रहा है। टूरिज्म बढ़ने के कारण सड़कें बनाई जा रही हैं, टूरिस्ट्स की सुविधा के लिए कई स्ट्रक्चर्स बनाए जा रहे हैं, जिससे हिमालय रीजन के वातावरण पर बुरा असर पड़ रहा है।
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भगवान शिव से है सीधा कनेक्शन
ओम पर्वत पिथौरागढ़ जिले से 170 किलोमीटर दूर नाभीढांग में स्थित है। नास्तिकों को भी यह चमत्कार आश्चर्य में डालता है कि कैसे हर साल इस पर्वत पर बर्फ से ओम की आकृति बन जाती है। यह जगह शिवशक्ति के आशीर्वाद की गवाह है। कहा जाता है इस पर्वत पर कोई भी भगवान शिव की उपस्थिती और आशिर्वाद महसूस कर सकता है। ओम पर्वत के धार्मिक और पौराणिक महत्व का उल्लेख महाभारत, रामायण एवं वृहत पुराण, जैसे ग्रंथों में मिलता है।
कहलाता है छोटा कैलाश
स्कंद पुराण के मानस खंड में आदि कैलाश एवं ‘ॐ’ पर्वत की यात्रा को कैलाश मानसरोवर यात्रा जितना ही महत्व दिया गया है। इसलिए इसे छोटा कैलाश भी कहा जाता है। हिमालय में ओम पर्वत को विशेष स्थान माना जाता है। बता दें कि इस पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से 6,191 मीटर यानी 20,312 फीट की ऊंचाई पर है। खास बात ये है कि जब इस पर्वत पर सूर्य की पहली किरण पड़ती है तो ओम शब्द आपको अलग ही चमकता हुआ नजर आएगा। जो देखने में बहुत अद्भुत लगता है।
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