अब हॉस्टल के कमरों पर भी देना होगा GST, विभाग ने शुरू किया सर्वे। छात्रों की जेब पर पड़ेगा भार..

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Now students will also have to pay GST on hostel rooms. Hillvani News

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यूनिवर्सिटी, इंस्टीट्यूट और कॉलेजों के हॉस्टल के कमरों पर भी जीएसटी देना होगा। एक हजार रुपये से कम किराये पर जीएसटी लगने के चलते अब हॉस्टलों के सभी तरह के कमरे टैक्स के दायरे में आ गए हैं। इसे लेकर राज्य कर विभाग ने पूरे उत्तराखंड में यूनिवर्सिटी-कॉलेज और निजी इंस्टीट्यूटों का सर्वे शुरू कर दिया है। एकोमोडेशन सर्विस जिसमें होटल-मोटल, हॉस्टल जैसी सुविधाएं शामिल हैं, वे जीएसटी के दायरे में आती हैं। अब तक एक हजार रुपये/रोज से कम के कमरों पर जीएसटी नहीं था। इससे ज्यादातर हॉस्टल जीएसटी के दायरे में नहीं आते थे। 18 जुलाई से जीएसटी दरों में बदलाव हो गया। अब एक हजार से कम के कमरों पर भी 12 जीएसटी देना होगा। इस तरह, हॉस्टलों में सभी तरह के कमरों पर जीएसटी लागू होगा।

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छात्रों की जेब पर पड़ेगा भार
राज्य में तमाम शैक्षणिक संस्थान लग्जरी प्राइवेट हॉस्टल भी चला रहे हैं। इसके एवज में छात्रों से मोटी फीस वसूली जा रही है पर ये संस्थान जीएसटी नहीं भरते। ऐसे हॉस्टल अब जीएसटी चोरी नहीं कर पाएंगे। उधर, यूनिवर्सिटी-कॉलेजों के साथ निजी हॉस्टलों के किराये पर जीएसटी लगने से छात्रों और अभिभावकों की जेब पर असर पड़ेगा। खासकर, बड़े हॉस्टल कर से नहीं बच पाएंगे क्योंकि, इनमें से ज्यादातर का जीएसटी में पंजीकरण है। ऐसे हॉस्टल जिनका सालाना टर्नओवर 20 लाख से अधिक है, पर वे अब तक पंजीकृत नहीं थे, उन्हें लाइसेंस लेना होगा।

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छात्र-हॉस्टल फीस का विवरण जुटा रहा विभाग
राज्यकर विभाग ने बुधवार से शैक्षणिक संस्थानों का सर्वे शुरू कर दिया है। इसके तहत ऐसे बड़े संस्थान, जो खुद या थर्ड पार्टी से हॉस्टल चला रहे हैं, उनसे छात्र संख्या, जीएसटी नंबर, हॉस्टल फीस का विवरण जुटाया जाएगा। ऐसे हॉस्टल संचालक, जो जीएसटी में पंजीकृत हैं, उन्हें 18 जुलाई से जीएसटी देना होगा।

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होम स्टे और आवासीय कोचिंग भी दायरे में
उत्तराखंड में कई घरों में होम स्टे चल रहे हैं। ज्यादातर होम स्टे बुकिंग के लिए ऑनलाइन वेबसाइट या ऐप से जुड़े हैं, जिसके लिए उन्होंने जीएसटी में पंजीकरण कराया है। जीएसटी की नई दरों के चलते अब इन्हें भी टैक्स देना होगा क्योंकि, सभी तरह के कमरों पर टैक्स लग गया है। एक हजार से कम किराया दिखाकर मिल रही छूट का लाभ अब इन्हें नहीं मिलेगा। इसके अलावा कोचिंग इंस्टीट्यूट या प्राइवेट डिफेंस एकेडमी (ट्रेनिंग सेंटर), जहां आवासीय सुविधा है, वे भी इसके दायरे में आएंगे। उन्हें भी आवासीय सेवा पर 12 फीसदी जीएसटी देना होगा।

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राज्य कर विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर राकेश वर्मा ने कहा, ‘हॉस्टलों को लेकर पहले भी कवायद की थी पर कमरों का किराया प्रतिदिन एक हजार रुपये से कम होने के चलते टैक्स लागू नहीं हो पाया। अब जीएसटी की दरों में बदलाव के बाद होटल और हॉस्टल के सभी तरह के कमरे टैक्स के दायरे में आ गए हैं। इसलिए यूनिवर्सिटी-इंस्टीट्यूट और कॉलेजों का सर्वे शुरू कर दिया गया है। इस दायरे में आने वाले हॉस्टल संचालकों को जीएसटी देना होगा।’

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