उत्तराखंडः ये कैसे लागू हुई नई शिक्षा नीति? विषय हैं न शिक्षक, कॉलेजों के लिए सिरदर्द बनी नई नीति..

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New education policy became a headache for colleges. Hillvani News

New education policy became a headache for colleges. Hillvani News

देश की नई शिक्षा नीति गढ़वाल विश्वविद्यालय के कॉलेजों में बनकर रह गई। यहां न तो छात्रों को पढ़ने के लिए विषयों को विकल्प दिया गया और न ही पढ़ाने के लिए शिक्षकों का इंतजाम। हालात यह हैं कि सिलेबस न आने की वजह से छात्र और शिक्षक परेशान हैं। आपको बता दें कि स्कूली शिक्षा के बाद अब उच्च शिक्षा विभाग में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू कर दी गई है। रविवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय उच्च शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसका विधिवत शुभारंभ किया। कार्यक्रम में उच्च शिक्षा विभाग के शैक्षिक सत्र 2022-23 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति का शुभारंभ करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि उत्तराखंड ने सबसे पहले स्कूली शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2022 को लागू किया गया।

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ऐसे दिए गए विषयों के विकल्प
बीएससी पीसीएम में तीन ग्रुप बनाए गए। कोर-1 ग्रुप में केमिस्ट्री, फिजिक्स, मैथ्स, कोर-2 ग्रुप में केमिस्ट्री, मैथ्स, फिजिक्स और एडिशनल सब्जेक्ट ग्रुप में केमिस्ट्री, मैथ्स व फिजिक्स का विकल्प दिया गया। इसी प्रकार, बीएससी सीबीजेड में कोर-1 ग्रुप में बॉटनी, केमिस्ट्री, जूलॉजी, कोर-2 ग्रुप में बॉटनी, केमिस्ट्री, जूलॉजी और एडिशनल सब्जेक्ट ग्रुप में बॉटनी, केमिस्ट्री जूलॉजी का विकल्प दिया गया। बीए में भी इसी तरह से विषयों का विकल्प दिया गया है।
वैल्यू एडेड कोर्स और स्किल एनहांसमेंट कोर्स आए लेकिन टीचर नहीं
नई शिक्षा नीति के मुताबिक छात्रों को दो क्रेडिट के वैल्यू एडेड कोर्स और दो क्रेडिट के स्किल एनहांसमेंट कोर्स पढ़ने हैं। इसके लिए एनवायरमेंट साइंस और स्किल एनहांसमेंट में योगा जैसे कोर्स शामिल हैं। गजब बात यह है कि डीएवी, डीबीएस, एमकेपी, एसजीआरआर जैसे किसी भी कॉलेज में इन पाठ्यक्रमों को पढ़ाने वाला टीचर नहीं है।

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यह है नई शिक्षा नीति
दरअसल इसमें किसी भी छात्र को विषयों के चयन की आजादी है। मसलन, बीएससी में वह फिजिक्स, केमिस्ट्री के साथ ही तीसरे विषय के तौर पर बॉटनी ले सकता है। विषय तीन समूह में बंटे होते हैं। कोर-1 के लिए छह क्रेडिट, कोर-2 के लिए छह और एडिशनल सब्जेक्ट के लिए चार क्रेडिट तय हैं।
पूरे विषयों के सिलेबस नहीं मिले
गढ़वाल विश्वविद्यालय ने अपने संबद्ध कॉलेजों पर नई शिक्षा नीति लागू तो कर दी है लेकिन अभी तक पूरे विषयों के सिलेबस नहीं मिले हैं। हालात यह हैं कि मुख्य विषयों के शिक्षकों भी को बेसिक पढ़ाना पड़ रहा है। सिलेबस न आने की वजह से छात्र चिंतित हैं कि आखिर परीक्षा कैसे देंगे।
सिरदर्द बनी कॉलेजों के लिए नई शिक्षा नीति
कॉलेजों के लिए नई शिक्षा नीति बड़ा सिरदर्द बन गई है। डीएवी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ.केआर जैन का कहना है कि चूंकि उनके पास पीसीएम, सीबीजेड, पीएमएस से अलग ग्रुप के लिए कोर्स गढ़वाल विवि से एप्रूव नहीं हैं, इसलिए वह नए विकल्प देने में असमर्थ थे। उन्होंने बताया कि सिलेबस के लिए भी वह लगातार विवि से पत्राचार कर रहे हैं।

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