पौराणिक धार्मिक जागरों का 18 सितंबर को होगा समापन, दो माह तक गाए जाते हैं जागर..

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Mythological religious jagars will end on September 18. Hillvani News

Mythological religious jagars will end on September 18. Hillvani News

ऊखीमठः मदमहेश्वर घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी व रासी गाँव के मध्य में विराजमान राकेश्वरी मन्दिर में दो माह तक गाये जाने वाले पौराणिक धार्मिक जागरों का समापन आगामी 18 सितम्बर को भगवती राकेश्वरी को ब्रह्म कमल अर्पित करने के साथ होगा। पौराणिक जागरों के गायन से रासी गाँव सहित मदमहेश्वर घाटी का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। पौराणिक जागर गायन में प्रतिभाग करने वाले ग्रामीणों को जागर गायन समापन पर क्षेत्र की एक सामाजिक संस्था द्वारा पौराणिक जागर गायन सम्मान 2022 से नवाजा जायेगा। जिसमें केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत बतौर मुख्य अतिथि तथा प्रधान संगठन ऊखीमठ के पदाधिकारी व मदमहेश्वर घाटी के समस्त जनप्रतिनिधि बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत करेंगे। पौराणिक जागर गायन समापन व सम्मान समारोह की सभी तैयारियां शुरू कर दी गयी है। जानकारी देते हुए प्रधान रासी कुन्ती नेगी ने बताया कि भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में पौराणिक जागर गायन की परम्परा युगों पूर्व की है तथा ग्रामीणों द्वारा आज भी पौराणिक जागर गायन की परम्परा को जीवित रखने की सामूहिक पहल की जा रही है। राकेश्वरी मन्दिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने बताया कि भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में पौराणिक जागरों का शुभारंभ श्रावण मास की संक्रान्ति को होता है तथा आश्विन की दो गते को भगवती राकेश्वरी को ब्रह्म कमल अर्पित करने के बाद पौराणिक जागरों का समापन होता है।

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क्षेत्र पंचायत सदस्य बलवीर भटट् ने बताया कि पौराणिक जागरों के गायन में देवभूमि हरि के द्वार हरिद्वार से लेकर चौखम्बा हिमालय तक देवभूमि के पग-पग पर विराजमान सभी देवी-देवताओं का गुणगान किया जाता है तथा भगवान श्रीकृष्ण की लीला की महिमा का व्यख्यान पौराणिक जागरों के माध्यम से किया जाता है। वन पंचायत सरपंच कुंवर सिंह रावत ने बताया कि पौराणिक जागरों के गायन से रासी गाँव सहित मदमहेश्वर घाटी का वातावरण भक्तिमय बना रहता है तथा युवा भी धीरे-धीरे पौराणिक जागर गायन में रूचि रख रहे है। महिला मंगल दल अध्यक्ष गीता पंवार ने बताया कि पौराणिक जागर गायन के समापन पर भगवती राकेश्वरी को ब्रह्म कमल अर्पित करने के लिए लगभग 16 हजार फीट की ऊंचाई से ब्रह्म कमल लाने पड़ते है तथा हिमालयी क्षेत्रों से ब्रह्म कमल लाने के लिए अनेक परम्पराओं का निर्वहन करना पड़ता है। नव युवक मंगल दल अध्यक्ष दीपक खोयाल ने बताया कि पौराणिक जागर गायन के समापन का क्षण बड़ा भावुक होता है इसलिए ग्रामीण पौराणिक जागर गायन के समापन पर बढ़-चढ़कर भागीदारी करते हैं। पौराणिक जागर गायन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पूर्ण सिंह पंवार, शिवराज सिंह पंवार, अमर सिंह रावत, जसपाल सिंह जिरवाण,शिव सिंह रावत, उदय सिंह रावत, राम सिंह पंवार, कार्तिक सिंह खोयाल, विनोद सिंह पंवार, पूर्ण सिंह खोयाल, मोहन सिंह खोयाल, जसपाल सिंह खोयाल, मुकन्दी सिंह पंवार, कुलदीप पंवार ने आगामी 18 सितम्बर को पौराणिक जागरों के समापन तथा पौराणिक जागर गायन सम्मान समारोह में सभी जनमानस से सहभागिता का आवाहन किया है।

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