माता लक्ष्मी के आग्रह पर भगवान विष्णु ने किया था इस ताल का निर्माण, यहां मिलती अपार शान्ति..

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केदार घाटी के ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार हो रही बारिश से केदार घाटी के सुरम्य मखमली बुग्याल अनेक प्रजाति के पुष्पों से सुसज्जित होने लगे है। केदार घाटी के सुरम्य मखमली बुग्यालों में अनेक प्रकार के रंग बिरंगे फूल खिलने से बुग्यालों की सुन्दरता पर चार चांद लगने शुरू हो गयें है तथा स्थानीय युवाओं ने सुरम्य मखमली बुग्यालों की सुन्दरता से रुबरु होने के लिए केदार घाटी, मदमहेश्वर घाटी व कालीमठ घाटी के ऊंचाई वाले इलाकों की ओर रूख कर दिया है! मदमहेश्वर घाटी के बुरूवा व गडगू गाँव से लगभग 20 किमी दूर सोन पर्वत की तलहटी में बसे विसुणीताल का भूभाग भी इन दिनों अनेक प्रजाति के पुष्पों से आच्छादित होने के कारण विसुणीताल का भूभाग नव नवेली दुल्हन की तरह सजने लगा है।

विसुणीताल के चारों तरफ फैले भूभाग को प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है। इन दिनों विसुणीताल के चारों तरफ जया, विजया, कुखणी, माखुणी, रातों की रानी सहित अनेक प्रजाति के पुष्प देखने को मिल रहे है। लोक मान्यताओं के अनुसार विसुणीताल का निर्माण लक्ष्मी के आग्रह पर स्वयं भगवान विष्णु ने किया था इसलिए इस तालाब को विसुणीताल के नाम से जाना जाता है। विसुणीताल के निकट भेड़ पालकों के अराध्य क्षेत्रपाल का मन्दिर विराजमान है जहां भेड़ पालकों द्वारा नित्य पूजा-अर्चना की जाती है। क्षेत्रपाल के कपाट भी अन्य तीर्थों की तर्ज पर बन्द होने व खुलने की परम्परा है। भेड़ पालकों द्वारा दाती त्यौहार विसुणीताल के निकट मनाया जाता है। भेड़ पालकों का दाती त्यौहार कुल पुरोहित द्वारा दी गयी तिथि पर रक्षाबंधन के आसपास मनाया जाता है। विसुणीताल के जल से स्नान करने के बाद चर्मरोग दूर हो जाते है। विसुणीताल नवम्बर से फरवरी तक हिमाच्छादित रहता है तथा इस भूभाग में अनेक प्रकार की बेशकीमती जडी़ – बूटियों का अतुल भण्डार है।

जिला पंचायत सदस्य कालीमठ विनोद राणा बताते है कि सोन पर्वत के आंचल में बसे विसुणीताल के निकट पर्दापण करने से भटके मन को अपार शान्ति मिलती है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट् ने बताया कि विसुणीताल बुरुवा या फिर गडगू गाँव टिंगरी, थौली, सोन पर्वत होते हुए पहुंचा जा सकता है। क्षेत्र पंचायत सदस्य गडगू लक्ष्मण सिंह नेगी, सुदीप राणा ने बताया कि यदि पर्यटन विभाग की पहल पर प्रदेश सरकार विसुणीताल को पर्यटन मानचित्र पर अंकित करने की पहल करती है तो मदमहेश्वर घाटी के पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ बुरूवा व गडगू गाँव में होम स्टे योजना को भी बढा़वा मिल सकता है। भेड़ पालक प्रेम सिंह ने बताया कि इन दिनों टिंगरी से लेकर विसुणीताल तक का लगभग 10 किमी का भूभाग प्राकृतिक छटा से सुशोभित है।

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