Birth Anniversary: जानिए कौन थी उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली, पढ़ें गौरव गाथा..

0
Know who was Uttarakhand heroine Tilu Rauteli. Hillvani News

Know who was Uttarakhand heroine Tilu Rauteli. Hillvani News

Tilu Rauteli Birth Anniversary: देवभूमि उत्तराखंड गौरव गाथाओं से भरी पड़ी है। यहां की मातृशक्ति का धैर्य, साहस और पराक्रमण इतिहास से लेकर वर्तमान तक नजर आता है। ऐसी ही एक वीरांगाना तीलू रौतेली की आज जंयती है। जिनके साहस और शैर्य की चर्चा देशभर में होनी चाहिए थी लेकिन उनके पराक्रम की कहानियां सूबे तक ही सिमटकर रह गई। पिता, भाई और मंगेतर की शहादत का बदला लेने के लिए उन्‍होंने जिस पराक्रम और शौर्य का परिचय दिया था, वैसी दूसरी मिशाल नजर नहीं आती। रानी लक्ष्मीबाई, दुर्गावती, चांदबीबी, जियारानी जैसी पराक्रमी महिलाओं के साथ उनका नाम सम्‍मान से लिया जाता है। तो चलिए जानते हैं कौन थी तीलू रौतेली और उनकी गौरव गाथा के बारे में…

यह भी पढ़ेंः Horoscope Today 8 August: सावन का सोमवार इन राशियों के लिए वरदान समान, जानें अपना राशिफल..

15 वर्ष की उम्र में सीख ली घुड़सवारी और तलवारबाजी
तीलू रौतेली का मूल नाम तिलोत्तमा देवी था। इनका जन्म आठ अगस्त 1661 को ग्राम गुराड़, चौंदकोट (पौड़ी गढ़वाल) के भूप सिंह रावत (गोर्ला) और मैणावती रानी के घर में हुआ। भूप सिंह गढ़वाल नरेश फतहशाह के दरबार में सम्मानित थोकदार थे। तीलू के दो भाई भगतु और पत्वा थे। 15 वर्ष की उम्र में ईडा, चौंदकोट के थोकदार भूम्या सिंह नेगी के पुत्र भवानी सिंह के साथ धूमधाम से तीलू की सगाई कर दी गई। 15 वर्ष की होते-होते गुरु शिबू पोखरियाल ने तीलू को घुड़सवारी और तलवार बाजी में निपुण कर दिया था। उस समय गढ़नरेशों और कत्यूरियों में पारस्परिक प्रतिद्वंदिता चल रहा था। कत्यूरी नरेश धामदेव ने जब खैरागढ़ पर आक्रमण किया तो गढ़नरेश मानशाह वहां की रक्षा की जिम्मेदारी भूप सिंह को सौंपकर खुद चांदपुर गढ़ी में आ गया। भूप सिंह ने डटकर आक्रमणकारियों का मुकाबला किया।

यह भी पढ़ेंः ध्यान देंः आपको अंदर से नुकसान पहुंचा रही हैं ये 5 बीमारियां, ऐसे करें पहचान..

कत्‍यूरों से लड़ते हुए शहीद हो गए भाई, पिता और मंगेतर
कत्यूरियों का शासनकाल उत्तराखंड में आठवीं शताब्दी तक शासन रहा। उसके बाद गढवाल में पवार और कुमाऊं में कत्यूरियों के साथ चंद वंश का शासन रहा। धीरे-धीरे कुमांऊ में चंद वंश प्रभावशाली होते रहे और कत्यूरी इधर-उधर बिखरने लगे। उन्होंने चारों ओर लूटपाट और उत्पात मचाकर अशांति फैलाना शुरू किया। तीलू रौतेली के समय गढ़वाल एवं कुमाऊँ में छोटे-छोटे राजा, भड व थोकदारी की प्रथा थी। सीमाओं का क्षेत्रफल राजाओं द्वारा जीते गए भू-भाग से निर्धारित होता था। आज यह भू-भाग इस राजा के अधीन है तो कल किसी और राजा के अधीन। कत्यूरी राजा धामशाही ने गढवाल व कुमाऊं के सीमांत क्षेत्र खैरागढ (कालागढ के पास) में अपना अधिपत्य जमा लिया था। प्रजा इनके अत्याचारों से दुखी थी। कत्यूरी नरेश धामदेव ने जब खैरागढ़ पर आक्रमण किया तो गढ़नरेश मानशाह वहां की रक्षा की जिम्मेदारी भूप सिंह को सौंपकर खुद चांदपुर गढ़ी में आ गया। भूप सिंह ने डटकर आक्रमणकारियों का मुकाबला किया परंतु इस युद्ध में वे अपने दोनों बेटों और तीलू के मंगेतर के साथ वीरतापूर्वक लड़ते हुए शहीद हो गए।

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड बीजेपी में हो सकता है बड़ा फेरबदल…

सात वर्ष तक युद्ध कर जीत लिए 13 किले
पिता भाई और मंगेतर की शहादत के बाद 15 वर्षीय वीरबाला तीलू रौतेली ने कमान संभाली। तीलू ने अपने मामा रामू भण्डारी, सलाहकार शिवदत्त पोखरियाल व सहेलियों देवकी और बेलू आदि के संग मिलकर एक सेना का गठन किया। इस सेना के सेनापति महाराष्ट्र से छत्रपति शिवाजी के सेनानायक श्री गुरु गौरीनाथ थे। उनके मार्गदर्शन से हजारों युवकों ने प्रशिक्षण लेकर छापामार युद्ध कौशल सीखा। तीलू अपनी सहेलियों देवकी व वेलू के साथ मिलकर दुश्मनों को पराजित करने हेतु निकल पडी। उन्होंने सात वर्ष तक लड़ते हुए खैरागढ, टकौलीगढ़, इंडियाकोट, भौनखाल, उमरागढी, सल्टमहादेव, मासीगढ़, सराईखेत, उफराईखाल, कलिंकाखाल, डुमैलागढ, भलंगभौण व चौखुटिया सहित 13 किलों पर विजय पाई। तीलू रौतेली पर कई पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी हैं तथा कई नाट्य मंचित भी हो चुके हैं, परन्तु इस महान नायिका का परिचय पहाड की कंदराओं से बाहर नहीं निकल पा रहा है।

यह भी पढ़ेंः UKSSSC मामले में बड़ा खुलासा! 6 घंटे पहले वायरल हो गए थे टॉयलेट पेपर पर लिखे 63 सवालों के जवाब..

तीलू ने कत्यूरी योद्धाओं को गाजर-मूली की तरह काट डाला
सराईखेत के युद्ध में तीलू ने कत्यूरी योद्धाओं को गाजर-मूली की तरह काट डाला और अपने पिता और भाइयों की मौत का बदला लिया। यहीं पर उसकी घोड़ी बिंदुली भी शत्रुओं का शिकार हो गई। 15 मई 1683 को विजयोल्लास में तीलू अपने अस्त्र शस्त्र को तट (नयार नदी) पर रखकर नदी में नहाने उतरी, तभी दुश्मन के एक सैनिक रामू रजवार ने उसे धोखे से मार दिया। तीलू के बलिदानी रक्त से नदी का पानी भी लाल हो गया। तीलू की याद में आज भी कांडा ग्राम व बीरोंखाल क्षेत्र के निवासी हर वर्ष कौथिग आयोजित करते हैं। ढोल-दमाऊं तथा निशान के साथ तीलू रौतेली की प्रतिमा का पूजन किया जाता है। तीलू रौतेली के पराक्रम की शौर्यगाथा महज पहाड़ तक ही सीमित रह गई है। आवश्यकता है ऐसे महान योद्धा के रण कौशल, समर्पण और देश भक्ति को प्रकाश में लाने की जिससे लोग खासकर महिलाएं उनके व्यक्तित्व से प्रेरणा पा सकें।

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड में आदमखोर गुलदार का आतंक! 12 दिन बाद मिला 75 साल के बुजुर्ग का क्षत-विक्षत शव..

तीलू रौतेली पुरस्कार की कब हुई शुरूआत
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग उत्तराखंड द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रदान किया जाने वाला राज्य स्त्री शक्ति पुरस्कार उत्तराखंड राज्य गढ़वाल की वीरांगना तीलू रौतेली के नाम से वर्ष 2006 में स्थापित किया गया था। उत्तराखंड सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को वीरबाला तीलू रौतेली के नाम पर पुरस्कार दिया जाता है। इस वर्ष उत्तराखंड की 12 महिलाओं और किशोरियों को आज तीलू रौतेली पुरस्कार मिलेगा। तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए इस बार विभिन्न जिलों से 120 महिलाओं ने आवेदन किए थे। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) सर्वेचौक स्थित सभागार में इन्हें पुरस्कृत करेंगे। चयनित महिलाओं की सूची रविवार को महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग ने घोषित कर दी थी।

यह भी पढ़ेंः मौसम विभाग का पूर्वानुमान उत्तराखंड में बारिश का दौर रहेगा जारी..

तीलू रौतेली पुरस्कार 2022 के लिए चयनित महिलाओं की सूची
इस वर्ष डॉ. शशि जोशी (अल्मोड़ा), दीपा आर्य (बागेश्वर), मीना तिवाड़ी (चमोली), मंजूबाला (चम्पावत), नलिनी गोसाईं (देहरादून), प्रियंका प्रजापति (हरिद्वार), विद्या महतोलिया (नैनीताल), सावित्री देवी (पौड़ी), दुर्गा खड़ायत (पिथौरागढ़), गीता रावत (रुद्रप्रयाग), लता नौटियाल (उत्तरकाशी), प्रेमा विश्वास (ऊधमसिंह नगर) शामिल हैं। इन्हें साहित्य, खेल, सामाजिक कार्य, बालिका शिक्षा, पत्रकारिता, स्वच्छता, महिला स्वयं सहायता समूह, आजीविका संवर्द्धन जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए इस पुरस्कार को चयनित किया गया। टिहरी जिले से एक भी महिला का चयन नहीं हो पाया। बताया गया कि वहां से प्राप्त एकमात्र आवेदन को जिला स्तरीय समिति ने ही निरस्त कर दिया था।

यह भी पढ़ेंः UKSSSC Paper Leak :  उत्तरकाशी का मोरी क्षेत्र चर्चा में आया, 80 पास उम्मीदवार बने पहेली।

Rate this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिलवाणी में आपका स्वागत है |

X