केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत का निधन, देहरादून के मैक्स अस्पताल में ली अंतिम सांस..
केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत का मंगलवार रात उपचार के दौरान निधन हो गया। रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन सफल नहीं होने से उन्हें हायर सेंटर रेफर किया गया था। दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान उनके साथ एक हादसा हो गया था। जिससे बाद से उनका स्वास्थ्य खराब बना हुआ था। केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत दो दिन से मैक्स अस्पताल में वेंटिलेटर पर थीं। रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर के बाद हुई सर्जरी के बाद भी वह उबर नहीं पाईं। उनके स्वास्थ्य में थोड़ा सुधार की स्थिति में उन्हें एयर लिफ्ट कर हायर सेंटर ले जाने की तैयारी की गई थी। लेकिन उनका शरीर साथ नहीं दे रहा था। जिसके बाद मंगलवार रात उपचार के दौरान लगभग रात्रि साढ़े दस बजे उनका निधन हो गया। वह 68 साल की थीं। उनका अंतिम संस्कार बुधवार को उनके पैतृक स्थान पर होगा।
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चोट ने ले ली जान: उत्तराखंड में वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान शैलारानी रावत गिर गई थीं। इससे उन्हें आंतरिक चोट आई थी। चोट से मांस फटने के कारण उन्हें कैंसर भी हो गया था। करीब तीन वर्ष तक चले इलाज के बाद वह स्वस्थ्य होकर अपने घर लौटी थीं। फिर से राजनीति में सक्रिय हो गईं। कुछ माह पूर्व ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ की सीढ़ियों से गिरने के कारण उनकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर आ गया था। परिजनों द्वारा उन्हें हायर सेंटर ले जाया गया, जहां उनकी सर्जरी की गई। दुखद ये रहा कि ये सर्जरी सफल नहीं हो पाईं। इसके बाद से उनका स्वास्थ्य लगातार खराब रहने लगा था।
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शैलारानी का राजनीतिक करियर: केदारनाथ विधायक शैलारानी का राजनीतिक करियर मिलाजुला रहा। उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों की ओर से राजनीति की। उनका राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू हुआ था। 2012 में शैलारानी कांग्रेस के टिकट से जीतकर विधानसभा पहुंची थीं। हरीश रावत की सरकार के दौरान मची भगदड़ में शैलारानी भी 9 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गई थीं। बीजेपी के टिकट से उन्होंने 2017 में केदारनाथ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में वो हार गई थीं। इसके बावजूद बीजेपी हाईकमान ने उन पर विश्वास बनाए रखा। 2022 में पार्टी ने उन्हें फिर से केदारनाथ विधानसभा सीट से टिकट दिया। इस बार के चुनाव में शैलारानी रावत ने विजय हासिल की थी।
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