आयुष्मान योजना: उत्तराखंड़ के प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों से जमकर लूट, कई राज खुले…

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Heavy loot from patients in private hospitals of Uttarakhand. Hillvani News

Heavy loot from patients in private hospitals of Uttarakhand. Hillvani News

उत्तराखंड के प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों से इलाज के नाम पर लूट हो रही है। इलाज के बिल बढ़ाने के चक्कर में अस्पताल मरीजों की सामान्य बीमारी को भी बेहद गंभीर दिखा रहे हैं। बुखार के मरीजों को कई दिनों तक आईसीयू में डालकर इलाज का बिल बढ़ाने की करतूत की जा रही है। आयुष्मान योजना को चला रही स्टेट हेल्थ एजेंसी ने प्राइवेट अस्पतालों की यह गड़बड़ी पकड़ी है। तीन सालों में अभी तक 45 करोड़ के फर्जी बिल पकड़े जा चुके हैं। हैरानी की बात यह है कि एक दो नहीं बल्कि राज्य के 37 प्राइवेट अस्पतालों को ऐसा करते हुए पकड़ा जा चुका है। इन अस्पतालों को तो योजना से बाहर किया जा चुका है लेकिन उनकी करतूतों की वजह से राज्य के अन्य प्राइवेट अस्पतालों पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

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ऊधमसिंह नगर के अस्पताल गड़बड़ी में सबसे आगे
उत्तराखंड में आयुष्मान योजना के तहत अभी तक सबसे अधिक गड़बड़ियां ऊधमसिंह नगर जिले में पकड़ी गई हैं। अभी तक पकड़े गए कुल 37 अस्पतालों में से 25 अकेले ऊधमसिंह नगर जिले के हैं। मरीजों के साथ लूट करने वाले अस्पतालों में दूसरा नंबर देहरादून जिले के अस्पतालों का है। यहां के नौ अस्पताल गड़बड़ी करते पकड़े जा चुके हैं। जबकि तीन अस्पताल हरिद्वार के भी फर्जीवाड़ा करते पकड़े गए हैं।
आम लोगों का क्या
राज्य के प्राइवेट अस्पताल जब सरकारी योजना में इतने बड़े स्तर पर गड़बड़ी कर रहे हैं तो इलाज के लिए आने वाले आम लोगों के साथ क्या किया जा रहा होगा यह आसानी से समझा जा सकता है। प्राइवेट अस्पतालों में इलाज लगातार महंगा होता जा रहा है। एक बार मरीज अस्पताल भर्ती हुआ नहीं बिल का मीटर शुरू हो जाता है। आयुष्मान में पकड़े गए फर्जीवाड़े की वजह से अब राज्य के अन्य अस्पताल भी सवालों के घेरे में हैं।

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फर्जीवाड़े के चार उदाहरण
ओपीडी में हो सकता था मरीज का इलाजः काशीपुर के ही एक निजी अस्पताल में उन मरीजों को भी इलाज के लिए भर्ती किया गया जिनकी पैथोलॉजी रिपोर्ट सामान्य थी। मरीज का इलाज ओपीडी में हो सकता था लेकिन अस्पताल ने मरीजों को एक सप्ताह भर्ती रखा। एक नहीं बल्कि एक दर्जन से अधिक मरीजों के साथ यह किया गया और इसके बदले तीन लाख से अधिक के बिल बनाए गए।
सामान्य रिपोर्ट के बाद भी आईसीयू में भर्तीः काशीपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किए गए एक मरीज को सामान्य बुखार के लक्षण थे। मरीज की पैथोलॉजी रिपोर्ट भी सामान्य थी लेकिन अस्पताल ने बिल बढ़ाने के चक्कर में मरीज को आईसीयू में भर्ती कर दिया। बाद में 90 हजार का बिल भुगतान के लिए थमा दिया गया।

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आईसीयू से सीधे डिस्चार्ज कियाः काशीपुर के ही एक अन्य प्राइवेट अस्पताल ने इलाज का बिल बढ़ाने के लिए सामान्य मरीजों को एक सप्ताह तक आईसीयू में भर्ती रखा। हैरानी की बात यह है कि इन सभी मरीजों को आईसीयू में रखने के बाद वार्ड में शिफ्ट करने की बजाए सीधे डिस्चार्ज कर दिया गया। इससे मरीजों की बीमारी को लेकर संदेह पैदा हो गया।
फर्जी डॉक्टर दिखाकर किया इलाजः काशीपुर के ही एक अन्य अस्पताल में मरीजों का इलाज ऐसे डॉक्टरों के नाम से दिखाया जा रहा था जो उस अस्पताल में कभी तैनात ही नहीं रहे। पैथोलॉजी रिपोर्ट से लेकर कार्डियोलॉजी के इलाज फर्जी दिखाकर लाखों के बिल भुगतान के लिए बना दिए गए।
डीके कोटिया, चेयरमैन स्टेट हेल्थ एजेंसी ने कहा कि आयुष्मान योजना में अभी तक 24 हजार मरीजों के बिलों में 45 करोड़ के करीब की गड़बड़ी पकड़ी जा चुकी है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिल बढ़ाने के चक्कर में अस्पताल ऐसा कर रहे हैं।

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