क्या अब देश में रह जाएंगे सिर्फ 4 सरकारी बैंक? इन बैंकों का खत्म होगा वजूद, पढ़ें पूरी खबर…

0
Government Bank. Hillvani

केंद्र सरकार के पब्लिक सेक्टर बैंक (PSB) कंसोलिडेशन प्लान पर बड़ा अपडेट सामने आया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सरकार एक महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है। जिसके तहत वित्त वर्ष 2027 तक केंद्र सरकार बैंकों के मर्जर को लेकर बड़ी तैयारी कर रही है। सरकारी बैंकों के मर्जर का प्लान तैयार हो रहा है। अगर सब योजना के मुताबिक पूरा हुआ तो साल 2027 तक देश में 12 बैंकों के बजाए सिर्फ 4 सरकारी बैंक रह जाएंगे। छोटे सरकारी बैंकों को बड़े बैंकों में मिलाने की तैयारी चल रही है। सरकार के प्लान के हिसाब से विलय पूरा होने पर देश में सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा-यूनियन बैंक जैसे बड़े सरकारी बैंकों का नाम रह जाएंगे। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट को मजबूत करना, ऑपरेशनल कैपेसिटी में सुधार लाना और उन्हें ग्लोबल स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाना है। योजना के तहत पहले छोटे बैंकों का बड़े बैंकों में विलय किया जाएगा और बाद में उन्हें कंसोलिडेट करके चार बड़ी यूनिट्स बनाई जाएंगी, जो भारत की आर्थिक वृद्धि और बढ़ती लोन डिमांड को पूरा करने में सक्षम होंगी।

केनरा-यूनियन बैंक का विलय
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार केनरा बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के विलय की दिशा में सक्रिय है। इस मर्जर से चार मुख्य सरकारी बैंकों में से एक की रचना होने की संभावना है। इसके अलावा इंडियन बैंक और यूको बैंक को भी इसी संरचना में इंटीग्रेट करने पर विचार किया जा रहा है, जिससे एक और बड़ा बैंक बनेगा।
मिड-साइज बैंकों का मर्जर
मिड-साइज बैंक जैसे इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI), बैंक ऑफ इंडिया (BoI) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BoM) को SBI, PNB या बैंक ऑफ बड़ौदा में मर्ज किए जाने की उम्मीद है। पंजाब एंड सिंध बैंक के मामले पर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। बताया जा रहा है कि अंतिम रूपरेखा के अनुसार, इसका भी चार बड़े बैंकों में से किसी एक में विलय किया जा सकता है।

कई स्तर की जांच और अनुमोदन प्रक्रिया
इस मर्जर प्लान को पहले वित्त मंत्री के समक्ष अनुमोदन के लिए रखा जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद यह योजना कई स्तर की जांच से गुजरेगी, जिसमें कैबिनेट सचिवालय, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की नियामक टिप्पणियां शामिल हैं। इस दौरान योजना की विस्तृत रिकॉर्डिंग और चरणबद्ध कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
कंसोलिडेशन से बैंकिंग सेक्टर को मिलेगा लाभ
सरकार का मानना है कि इस पुनर्गठन से भारत के हाई ग्रोथ टारगेट को देखते हुए बैंकिंग सेक्टर बढ़ती लोन डिमांड के लिए तैयार रहेगा। बड़े और मजबूत सरकारी बैंक बड़े लोन देने, इंफ्रा प्रोजेक्ट्स को फाइनेंस करने और निजी बैंकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होंगे। अधिकारियों के अनुसार, कंसोलिडेशन से ब्रांच नेटवर्क को युक्तिसंगत बनाने, कॉस्ट घटाने और पूरे सिस्टम में कैपिटल उपयोग में सुधार भी संभव होगा।

सरकारी बैंकों के विलय को लेकर लोगों के मन में सवाल है कि आखिर ये किया क्यों जा रहा है?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मर्जर के फैसले के पीछे देश में एक ऐसा बैंकिंग सिस्टम बनाना है, जो न सिर्फ पैमाने में बड़ा हो, बल्कि ग्लोबल लेबल का हो, जो दुनिया के बैंकों के सामने खड़ा हो सके। बड़ा बैंक होने से उसकी पूंजी मजबूत होगी, बैंक के क्रेडिट देने की क्षमता ज्यादा होगी। बैंकों का एनपीए कम होगा तो वो बढ़ती जरूरतों को पूरा कर सकेगी। सरकार भारत में वर्ल्ड क्लास बैंक बनाने की तैयारी में जुटी है। बैंकिंग इकोसिस्टम को मजबूत बनाने के लिए मर्जर की तैयारी की जा रही है।

ये पहली बार नहीं है, जब सरकारी बैंकों का विलय किया गया हो, इससे पहले 2017 से 2020 तक सरकार की ओर से बैंकों के विलय की कई धाराएं चली और सरकार ने बैंकों का विलय कर बड़े बैंक बनाए। इस फैसले से देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 27 से 12 रह गई और आगे ये घटकर सिर्फ 4 रह सकती है। बैंकों के विलय की लिस्ट में इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब एंड सिंध बैंक जैसे पब्लिक सेक्टर के छह छोटे बैंकों का नाम शामिल है। बता दें कि नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में छोटे बैंकों के निजीकरण या मर्जर का विकल्प दिया है। इन बैंकों के विलय से करोड़ों खाताधारकों और 2,29,800 कर्मचारियों पर असर होगा। भले ही सरकार दावा कर रही हो कि कर्मचारियों की नौकरियां नहीं जाएंगी, लेकिन जब इन बैंकों का मर्जर होगा तो निश्चित तौर पर कई शाखाएं बंद होगी। एक ही तरह के काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या बढ़ने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, प्रमोशन से लेकर सैलरी बढ़ोतरी पर असर होगा। कर्मचारियों को ट्रांसफर का दर्द झेलना पड़ सकता है। इतना ही नहीं बैंकिंग सेक्टर में नई नौकरियों के लिए विकल्प कम हो जाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed