English छोड़ फिर हिंदी की शरण में आया शिक्षा विभाग! जानें आखिर क्या है मामला?

Education Department came under the shelter of Hindi leaving English. Hillvani News
उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई को अंग्रेजी में ही कराए जाने की बाध्यता को खत्म कर दिया गया। अब शिक्षक छात्रों की सुविधा एवं उनकी मांग के अनुसार हिंदी या अंग्रेजी किसी भी भाषा में विज्ञान विषय पढ़ा सकते हैं। शिक्षा महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी ने सभी सीईओ को नई व्यवस्था लागू करने के आदेश दे दिए। बकौल तिवारी शासन से भी इसकी औपचारिक अनुमति ली जा रही है।
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अंग्रेजी में पढ़ाने से आ रही व्यवहारिक कठिनाइयां
कक्षा तीन से अंग्रेजी में विज्ञान की पढ़ाई शुरू करने का फैसला कुछ जल्दबाजी भरा भी रहा। सरकारी स्कूलों में पहली, दूसरी और कक्षा में भाषाई रूप से अपेक्षाकृत कमजोर रहने वाले छात्र-छात्राओं पर अंग्रेजी का एकाएक बड़ा बोझ आ गया। शिक्षक भी इसे लेकर काफी असहज थे। विभिन्न स्तर पर यह मुद्दा उठने पर शिक्षा विभाग ने फीडबैक जुटाया। इसमें भी पाया गया कि विज्ञान को अंग्रेजी में पढ़ाने से व्यवहारिक कठिनाइयां आ रही हैं।
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छात्रों के लिए 12वीं के बाद चुनौती
हिंदी माध्यम से विज्ञान की पढ़ाई करने पर इंटरमीडिएट के बाद छात्रों को प्राइवेट स्कूल के छात्रों के साथ कड़ा मुकाबला करना पड़ता है। मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रतियोगी परीक्षाएं और उसके बाद उच्च शिक्षा में अंग्रेजी का ही बोलबाला है। ऐसे में सरकारी स्कूलों के छात्र अक्सर पिछड़ जाते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सैद्धांतिक रूप से भले ही मातृभाषा, स्थानीय भाषा की पैरवी की जाती है, लेकिन वास्तविकता में उच्च व तकनीकी शिक्षा में वर्चस्व अंग्रेजी का ही है।
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2017 में लिया गया था फैसला
राज्य में वर्ष 2017 में सरकारी स्कूलों में कक्षा तीन से लेकर 12वीं तक विज्ञान की पढ़ाई को अंग्रेजी माध्यम से कर दिया गया था। इसके पीछे मंशा छात्रों को 12वीं के बाद मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि विभिन्न करियर क्षेत्रों में भाषाई रूप से मजबूत करने की थी। यह व्यवस्था पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे की प्राथमिकता में शामिल थी।
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