उत्तराखंड में फिर महसूस हुए भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 3.9 रही तीव्रता..
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल स्थित बागेश्वर जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.9 रही। हालांकि जान-माल को कोई नुकसान पहुंचने की खबर नहीं है। भूकंप का केंद्र कपकोट के सोंग क्षेत्र के निकट 10 किमी गहराई में था। शनिवार को उत्तराखंड में भूकंप के झटकों से फिर धरती डोली। बागेश्वर जिले सहित आसपास के क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किया गए। तहसील से मिली सूचना के अनुसार अभी किसी प्रकार के नुकसान की सूचना नहीं मिली है। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 3.9 मैग्नीट्यूड मापी गई। जानकारी के मुताबिक भूकंप 3 बजकर 47 मिनट पर आया था। पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।
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आपदा अधिकारी शिखा सुयाल ने जानकारी देते हुए बताया बागेश्वर के विकासखंड कपकोट के सोंग में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप की तीव्रता 3.9 मापी गई है, जो 3 बजकर 47 मिनट पर आया था। बता दें कि उत्तराखंड भूकंप के अति संवेदनशील जोन पांच और संवेदनशील जोन चार में आता है। ऐसे में हिमालयी प्रदेशों में से एक उत्तराखंड में भूकंप के लिहाज से संवेदनशील राज्य है और यहां विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें तो इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं, जबकि ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन पांच और चार में आते हैं।
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साथ ही आपको बता दें कि हिमालयी क्षेत्र में इंडो-यूरेशियन प्लेट की टकराहट के चलते जमीन के भीतर से ऊर्जा बाहर निकलती रहती है। जिस कारण भूकंप आना स्वाभाविक है। 1999 से 2018 तक तक करीब 5500 से छह हजार तक भूकंप आए, इसमें से छह सौ से अधिक भूकंप की तीव्रता 3.5 मैग्नीटयूड थी। ऐतिहासिक बड़े भूकंप (सात-आठ रिक्टर स्केल) की बात करें तो कुमाऊं मंडल में वर्ष 1334 व 1505 में बड़ा भूकंप आ चुका है। जिसमें एक भूकंप का व्यापक असर हरिद्वार के लालढांग तक व दूसरे का पंजाब तक महसूस किया गया था। तब से लेकर अब तक कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है, जबकि भूगर्भ में तनाव की स्थिति लगातार बनी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है।
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