उत्तराखंड में मानसून के साथ मुश्किलों की शुरुआत..
उत्तराखंड में मानसून आने के साथ ही मुश्किलों की शुरुआत हो गई है। पर्वतीय क्षेत्रों में हो रही शरुआती बारिश ने ही जीवन अस्त व्यस्त कर दिया है जबकि अभी मानसून का पूरा सीजन बाकी है। मानसून की पहली बारिश के बाद सही आपदा की तस्वीरें दिखने लगी है वहीं नदिया और गदेरे उफान पर हैं। बीते दो दिनों में हुई बारिश के बाद आए मलबे ने कुल 138 सड़कों की राह रोक दी थी। इनमें से 92 सड़कों को खोल दिया गया था। वहीं प्रदेशभर में 46 सड़कें अब भी बंद हैं।
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बीते सुबह से शुरू हुई बारिश से बदरीनाथ राजमार्ग सिरोहबगड़ और गौरीकुंड हाइवे नौला पानी में बंद हो गए। चमोली जनपद में भी देर रात से शुरू हुई मूसलाधार बारिश से जिले में 12 ग्रामीण संपर्क मार्ग जगह-जगह मलबा आने से बंद है। नंदानगर, पोखरी, देवाल, थराली विकासखंडों में कई सड़कें मलबा आने से बंद पड़ी है। बारिश होने से बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब की तीर्थयात्रा में भी गिरावट आई है। पर्वतीय जिलों में भारी बारिश के चलते मलबा आने से कई सड़कें बंद हो गई है।
लोक निर्माण विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, प्रदेश में बंद सड़कों को खोलने के लिए 235 जेसीबी मशीनों को काम पर लगाया गया। बुधवार देर शाम तक छह राज्य मार्ग, चार मुख्य जिला मार्ग, चार अन्य जिला मार्ग, 30 ग्रामीण सड़कें और दो पीएमजीएसवाई की सड़कें बंद थीं। अधिकतर बंद सड़कें पर्वतीय जिलों उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी की हैं। कुमाऊं क्षेत्र में पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चंपावत, बागेश्वर, नैनीताल जिलें में भी सड़कें अवरुद्ध हुई हैं। भारी बारिश में पहाड़ी से मलबा आने के कारण प्रदेश में तीन स्थानों पर दुर्घटनाएं भी हुई हैं। इनमें तीन लोगों की मौत हुई है। इनमें रुद्रप्रयाग, चमोली और पिथौरागढ़ में हुई है।
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