ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में 5 और 6 जून को आयोजित होगा बाल विधानसभा का सत्र…
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा 5 से 6 जून तक उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण की विधानसभा परिसर में बाल विधानसभा 2022 द्वितीय सत्र का आयोजन किया जा रहा है। आपको बता दे की उत्तराखण्ड बाल विधानसभा वर्ष 2014 में राज्य स्तर पर बच्चों को भारतीय लोकतंत्र की व्यवस्था एवं प्रणाली में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा प्लान इन्टरनेशनल के सहयोग से बाल विधान सभा का गठन किया गया है, जिसमें राज्य के सभी 13 जनपदों से 14 से 18 आयु वर्ग तक के 70 बालक-बालिकाओं को बाल विधायक चुना गया है। जिसमे विधानसभा अध्यक्ष उत्तराखण्ड द्वारा गठित बाल विधान सभा के चयनित वाले विधायकों को संरक्षक के रूप में मार्गदर्शन दिया जाता है।
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वर्ष 2022 में चतुर्थ बाल विधान सभा का गठन किया गया था तथा दिनांक 20 नवंबर 2022 को चतुर्थ बाल विधान सभा के प्रथम सत्र आयोजित किया जा चूका है, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया था एवं बाल विधानसभा के द्वितीय सत्र को गैरसैंण विधानसभा में आयोजित करवाने की घोषणा की गई थी। उसी के क्रम में 5 व 6 जून 2023 को बाल विधान सभा-2022 के द्वितीय सत्र का आयोजन गैरसैंण विधानसभा परिसर में किया जाएगा। बाल विधानसभा सत्र 06 जून को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण बतौर मुख्य अतिथि सत्र में प्रतिभाग करेगी और विधानसभा के सत्र संचालन एवं विधायी कार्यों से जुड़ी जानकारी बाल विधायकों के साथ साझा करेंगी।
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उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने बताया की कार्यक्रम का उद्देश्य बाल्यकाल से ही बच्चों को देश और प्रदेश के विकास के प्रति उन्हें जागरूक करना तथा उनमें सकारात्मक सोच को पैदा करना है। उन्होंने कहा की बाल विधानसभा का गैरसैंण में जून के पहले सप्ताह में दो दिवसीय ग्रीष्मकालीन सत्र होगा। गैरसैंण में होने वाले विधानसभाा सत्र में बाल विधायक राज्य की विभिन्न समस्याओं को उठाएंगे और प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करेंगे। साथ ही उत्कृष्ट कार्य करने वाले बाल विधायकों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण से गैरसैंण विधानसभा परिसर में सत्र करवाने हेतु अनुमति के लिए पत्र लिखा था। जिसपर विधानसभा अध्यक्ष ने उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग को अनुमति प्रदान कर दी गई थी।
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