वर्तमान राजनैतिक परिस्थितियों में रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी हो सकते हैं सबसे सर्वमान्य व उपयुक्त विकल्प।
बद्रीनाथ विधानसभा के उपचुनाव चुनाव परिणाम व केदारनाथ विधानसभा में होने वाले उप चुनाव के मध्यनजर भाजपा सरकार को जनता व कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान कर इस विषय पर अवश्य विचार करना चाहिये। क्योंकि वर्ष 2017 व वर्ष 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को चमोली व रुद्रप्रयाग में व्यापक जनसमर्थन हासिल हुआ है। ख़ासतौर पर रुद्रप्रयाग विधानसभा में दोनों लोकसभा चुनावों में भी भाजपा प्रत्याशी को बहुत ही व्यापक जनसमर्थन हासिल हुआ है। हालांकि संगठन की दृष्टि से भाजपा ने सन्तुलन बनाने का प्रयास अवश्य किया है। चमोली से ब्राह्मण चेहरे के रूप में महेन्द्र भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष व राज्य सभा सदस्य बनाया है। केदारनाथ विधानसभा से भी आशा नौटियाल,अजेन्द्र अजय व चंडीप्रसाद भट्ट को दायित्व दिया गया है, तीनों ही ब्राह्मण समाज से हैं। ऐसे समय में रुद्रप्रयाग विधायक भरत सिंह चौधरी धामी सरकार की मंत्रिमंडल में सबसे उपयुक्त व सर्वमान्य विकल्प हो सकते हैं।
विधायक भरत सिंह चौधरी हो सकते हैं सबसे मजबूत विकल्प।
1- दोनों जिलों से भरत सिंह चौधरी दोनों बार के विधानसभा चुनावों में सर्वाधिक मतो से जीत कर आये हैं।
2- पिछले विधान सभा चुनाव में भी भरत सिंह चौधरी पूरे प्रदेश में सर्वाधिक अन्तर से जीतने वाले विधायक थे।
3- सबसे अहम बात यह है कि उत्तर प्रदेश के जमाने में भी भरत सिंह चौधरी विधानसभा का चुनाव लड़कर 18000 मत प्राप्त कर चुके हैं। तब चमोली व पौड़ी व वर्तमान जिला रुद्रप्रयाग को मिलाकर कर्णप्रयाग विधानसभा होती थी। जिसका अहम हिस्सा थैलीसैण ब्लॉक, पाबौ, पोखड़ा, बिरोंखाल, कर्णप्रयाग ब्लॉक, गैरसैंण ब्लॉक व थराली ब्लॉक होता था।
4- कई बार सदन के भीतर मुख्यमंत्री सहित नेता प्रतिपक्ष व सरकार के वरिष्ठ मंत्री भी भरत सिंह चौधरी की कार्यशैली व दूरदर्शिता की प्रशंसा कर चुके हैं।
5- भरत सिंह चौधरी कर्णप्रयाग विधानसभा से भी चुनाव लड़ चुके हैं।
6- भरत सिंह चौधरी के पास न सिर्फ 2 बार की जीत का बल्कि 5 बार की हार का भी ब्यापक अनुभव है।