विजिलेंस के आंकड़ेः उत्तराखंड में घूस लेते पकड़ा गया हर चौथा आरोपी अधिकारी, खुले कई राज…
प्रदेश में जिन अधिकारियों पर सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी की नकेल कसने की जिम्मेदारी है, वहीं खुद घूस लेने जैसे अपराध में शरीक हो रहे हैं। राज्य बनने से अब तक घूसखोरी के जो मामले पकड़े गए हैं उनमें हर चौथा आरोपी किसी सरकारी दफ्तर का अधिकारी होता है। इसकी पुष्टि विजिलेंस के आंकड़े कर रहे हैं। राज्य बनने के बाद विजिलेंस ने अब तक 261 अधिकारी और कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े हैं। इनमें 198 कर्मचारी हैं, वहीं 63 अधिकारी ऐसे हैं जिन्हें राजपत्रित अधिकारी यानि ग्रेड ए का दर्जा प्राप्त है। यह संख्या कुल मामलों की करीब 25 फीसदी है। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि रिश्वत लेने में सरकारी दफ्तरों के कर्मचारी ही नहीं अधिकारी भी शामिल रहे हैं।
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वर्ष 2005 से मामले में हुई बढ़ोतरी
राज्य बनने के पांच साल बाद रिश्वतखोरी के मामले तेजी से बढ़े हैं। वर्ष 2005 में पहली बार 10 अधिकारी- कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े गए, जबकि 2006 और 2007 में 11- 11, 2008 में 13, 2009 में 33, 2010 में 26 और 2011 में 12, 2013 में 18, 2015 में 19, 2016 में 24 अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े गए। वर्ष 2023 की बात करें तो अब तक दो अधिकारी और छह कर्मचारी रिश्वत लेते हुए या रिश्वत लेने के आरोप में पकड़े गए हैं।
विजिलेंस की कार्रवाई कारगर
आरोपी अधिकारी-कर्मचारियों को ट्रैप करने में विजिलेंस की कार्रवाई सटीक बैठी है। विजिलेंस ने प्राप्त शिकायतों में से 247 मामलों में जाल बिछाया। इन कार्रवाई में 261 अधिकारी-कर्मचारियों रिश्वत लेते पकड़े गए।
गोपनीयता के साथ मिलता है सम्मान
सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी की शिकायत करने वाले की पहचान गोपनीय रखी जाती है। आरोप सही पाए जाने और आरोपी के पकड़े जाने के बाद विजिलेंस की ओर से शिकायतकर्ता को सम्मानित भी किया जाता है। बीते दिनों हल्द्वानी सेक्टर विजिलेंस ने कुमाऊं के शिकायतकर्ताओं को मोबाइल फोन सेट देकर सम्मानित किया था। धीरेंद्र गुंज्याल, एसपी विजिलेंस, हेडक्वार्टर देहरादून का कहना है कि सरकारी दफ्तरों से घूसखोरी खत्म करने के लिए लोगों को जागरूक होना होगा। लोग रिश्वत मांगने की शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1064 पर कर सकते हैं।
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