उत्तराखंड में बड़ा भूकंप कर सकता है महाविनाश, वैज्ञानिक रिसर्च में आई हैरान करने वाली बातें..

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उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। उत्तराखंड का ज्यादातर इलाका भूकंप के लिहाज से जोन चार और पांच में हैं। इसलिए बार-बार भूकंप की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। आपको बता दें कि हिन्दुकुश के बजाय हिमालय के दूसरे हिस्से में 6.6 तीव्रता वाले भूकंप का केंद्र रहता तो व्यापक नुकसान हो सकता था। वैज्ञानिकों मुताबिक, हिन्दुकुश रीजन में अक्सर भूकंप की गहराई अधिक रहती है, इसलिए नुकसान कम होता है। बाकी मध्य एवं पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में भूकंप की गहराई कम रहने से नुकसान कहीं ज्यादा हो जाता है।

देहरादून के वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों के आंकलन के मुताबिक, हिन्दुकुश रीजन में भूकंप की गहराई औसतन 150 से 180 किमी रहती है। बाकी हिमालयी रीजन में गहराई 10 से 50 किमी तक ही रहती है। भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक, यदि इस तीव्रता से जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, नेपाल से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भूकंप आया होता तो भीषण आपदा का सामना करना पड़ सकता था। यहां के भूकंप में भूगर्मीय वजहों से अधिक गहराई नहीं होती है। उत्तराखंड के चमोली में 1999 में 6.5, उत्तरकाशी में 1991 में 6.4 तीव्रता के भूकंप भारी नुकसान पहुंचा चुके हैं। वहीं सिक्किम में 2011 में 6.9 तीव्रता का भूकंप आया था, इसकी गहराई सिर्फ 40 किमी थी।

हिमालय पर साल का दूसरा सबसे बड़ा भूकंप अफगानिस्तान के हिन्दुकुश रीजन में मंगलवार की देर रात आया, 6.6 मेग्नीट्यूड का भूकंप संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र में साल का दूसरा सबसे बड़ा भूकंप था। इससे पहले ताजिकिस्तान में इसी साल 23 फरवरी को 6.7 मेग्नीट्यूड का भूकंप आया था। मंगलवार रात के बाद भी अफगानिस्तान में तीन और हल्के भूकंप आ चुके हैं। भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक, ऑफ्टर शॉक के कारण अभी अफगानिस्तान में तीन-चार तीव्रता के छोटे भूकंप आने का सिलसिला चलता रहेगा।

यह है हिन्दुकुश रीजन में भूकंप का कारण
हिन्दुकुश हिमालय की ही एक शाखा है, जो उत्तरी पाकिस्तान से मध्य अफगानिस्तान तक फैली है, लेकिन इसकी भूगर्भीय संरचना हिमालय के बाकी रीजन से अलग है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, हिन्दुकुश रीजन में इंडियन और यूरेशियन प्लेट में टकराहट के बाद इंडियन प्लेट से टूटा एक अस्थिर हिस्सा है, यह नीचे धंस रहा है। यही वजह है कि हिन्दुकुश में बाकी हिमालयी रीजन के मुकाबले अधिक गहराई पर भूंकप आ रहे हैं।

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