केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग कर रहा ब्रह्म कमल सहित बेशकीमती जडी़-बूटियों का संरक्षण..

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Baskimiti herbs including Brahma Kamal are being protected. Hillvani News

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केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ऊखीमठ वन क्षेत्र गुप्तकाशी की केदारनाथ यूनिट ने केदारनाथ धाम में ब्रह्म पौधशाला सहित तीन ब्रह्म वाटिकाओं के जरिये ब्रह्म कमल सहित बैसकीमिती जडी़-बूटियों के संरक्षण व संवर्धन का जिम्मा उठाया है। केदारनाथ में ब्रह्म पौधशाला में ब्रह्म कमल के पुष्पों का उत्पादन करना विभाग का मुख्य उद्देश्य देश-विदेश के तीर्थ यात्रियों को ब्रह्म कमल के पुष्पों से रूबरू करवाना है तथा केदार पुरी के चारों ओर फैले भूभाग में ब्रह्म वाटिका में जडी़-बूटियों का संरक्षण व संवर्धन करना है। बता दें कि केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में केदारनाथ में 0:22 हेक्टेयर में ब्रह्म कमल पौधशाला में ब्रह्म कमल के पुष्पों का उत्पादन शुरू किया था तथा आज तक विभाग का प्रयास निरन्तर जारी है। विभाग द्वारा आज तक ब्रह्म कमल पौधशाला में लगभग 4700 ब्रह्म कमल के पुष्पों के अलावा अन्य जडी़-बूटियों का उत्पादन निरन्तर जारी है।

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विभाग द्वारा ब्रह्म पौधशाला के अलावा केदार पुरी के चारों तरफ फैले भूभाग में तीन हेक्टेयर में अलग-अलग स्थानों पर ध्यान ब्रह्म कमल वाटिका, मोदी ब्रह्म कमल वाटिका तथा भैरव ब्रह्म कमल वाटिका का निर्माण कर विभिन्न प्रजाति की जडी़-बूटियों के संरक्षण व संवर्धन का जिम्मा लिया है। पौधशाला व तीनों वाटिका की देखभाल का जिम्मा एक वन दरोगा, एक वन आरक्षी तथा दो स्थानीय युवाओं ने लिया है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार तीनों ब्रह्म वाटिकाओं में वित्तीय वर्ष 2020-21 में ब्रह्म कमल 200, बज्रदत्ती 200, कुटकी 1740, भूतकेशी 30, आरचू 18, कूट 12, केदार पाती 6 के अलावा भृंगराज, सालमपंजा, पंच काव्य, जेनीफर, अतीश के पौधों का रोपण किया गया था जबकि इस वर्ष तीनों ब्रह्म वाटिकाओं में ब्रह्म 720, कुटकी 66 स्टोवेरी 50 पौधों का रोपण किया गया है।

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ब्रह्म पौधशाला व ब्रह्म वाटिका के संरक्षण व संवर्धन का जिम्मा संभाले वन आरक्षी प्रदीप रावत ने बताया कि ब्रह्म वाटिकाओ में जडी़-बूटी रोपण करते समय पर्यावरण का विशेष ख्याल रखना पड़ता है क्योंकि जडी़ बूटी रोपण के लिए यदि गडढे का आकार बड़ा होता है तो मखमली बुग्यालों में भूस्खलन का खतरा बना रहता है तथा चारों ओर फैली मखमली घास के संरक्षण का भी ध्यान रखना पड़ता है। उनके अनुसार ब्रह्म वाटिकाओं में रोपित ब्रह्म कमल प्रथम वर्ष में बर्फबारी के कारण ऊपरी हिस्सा जल जाता है इसलिए रोपित ब्रह्म कमल को अंकुरित होने में तीन वर्ष का समय लगता है। ब्रह्म कमल वाटिका में कार्य कर रहे चौमासी निवासी अंकुश तिन्दोरी, बद्री तिन्दोरी का कहना है ब्रह्म कमल वाटिकाओं की देखभाल के लिए चौबीस घंटे सजग रहना पड़ता है तथा वाटिकाओ में कार्य करते समय बड़ी सावधानी बरतनी पडती है क्योंकि थोड़ी सी मानवीय चूक से प्रकृति को बड़ा नुकसान हो सकता है।

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