जन बजट की तैयारी में धामी सरकार, 7 जून से शुरू होगा विधानसभा बजट सत्र। जानें खास बातें..
देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा का पूर्णकालिक बजट 7 जून से शुरू होने जा रहा है। जिस संबंध में प्रमुख सचिव हीरा सिंह बोनाल ने आदेश जारी कर दी है। हालांकि, बजट सत्र को लेकर पहले से ही शासन तैयारियों में जुटा हुआ है। हालांकि, यह पूर्णकालिक बजट गैरसैंण में होने जा रहा है। दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह पहला पूर्णकालिक बजट होने जा रहा है। विधानसभा सत्र को देखते हुए उत्तराखंड शासन ने प्रश्नोत्तर के लिए मंत्रियों के बीच बीते दिन, वारों का बंटवारा कर दिया था।
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प्रश्नोत्तर को लेकर डे शेड्यूल पहले हो चुका जारी
जिसके तहत सोमवार को प्रश्नोत्तर के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल प्रश्नों का जवाब देंगे। मंगलवार को प्रश्नोत्तर के दौरान कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज प्रश्नों का जवाब देंगे। बुधवार को प्रश्नोत्तर के दौरान कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य और चंदन राम दास प्रश्नों का जवाब देंगे। गुरुवार को प्रश्नोत्तर के दौरान कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत और सुबोध उनियाल प्रश्नों का जवाब देंगे। शुक्रवार को प्रश्नोत्तर के दौरान कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और सौरभ बहुगुणा प्रश्नों का जवाब देंगे।
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समाज के हर तबके से लिए जा रहे हैं सुझाव
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चाहते हैं कि इस बार का आम बजट पूरी तरह से जन बजट हो। यही वजह है कि सरकार जगह-जगह संवाद करके समाज के हर तबके से बात करने उनकी राय ले रही है। इस संवाद से आने वाले जन उपयोगी सुझावों के प्रस्ताव बजट में शामिल किए जाएंगे। सीएम पुष्कर सिंह धामी और वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल इन दिनों समाज के हर तबके के साथ संवाद कर रहे हैं। चुनावी व्यस्तता के बाद भी सीएम धामी खुद भी इस तरह के संवाद में शामिल हो रहे हैं। अब तक नैनीताल और देहरादून में इस तरह से संवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है।
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सरकार जनता को देना चाह रही संदेश
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री धामी चाहते हैं कि इस बार के बजट में आम जन की भी सीधी हिस्सेदारी हो। यही वजह है कि इन संवाद कार्यक्रमों के जरिए आने वाले सुझावों और राय पर अफसरों की टीम मंथन कर रही है। देखा जा रहा है कि इन सुझावों के प्रस्ताव किस तरह से बजट में शामिल किए जा सकते हैं और इनका जन सामान्य के जीवन पर कितना असर होगा। सरकार की कोशिश है कि बजट तैयार करते वक्त संवाद कार्यक्रमों से मिल रहे सुझावों को उसमें शामिल किया जा सके। ऐसा होने पर जनता में यह संदेश भी जाएगा कि सरकार ने उनकी दिक्कतों को खुद सुना और निराकरण के प्रावधान भी बजट में किए।
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