उत्तराखंडः हिमालय क्षेत्र में मिला एक अद्भुत अज्ञात ताल, 6 सदस्यीय ट्रेकिंग दल ने खोजा यह नया ताल..
मदमहेश्वर से लगभग 60 किमी दूर पनपतिया ग्लेशियर के निकट 16500 ऊंचाई पर प्रकृति प्रेमियों ने एक नये ताल की खोज की है। इस बार विभिन्न क्षेत्रों के 6 सदस्यीय दल डिजिटल रूट बनाकर अज्ञात ताल के निकट पहुंचा है। अज्ञात ताल सहित विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण करने के बाद दल सकुशल वापस पहुंच गया है। 60 किमी की दूरी तय करने के लिए दल को को 6 दिन का समय लगा तथा दो दिन का समय दल को ग्लेशियरों में व्यतीत करना पड़ा। इस पैदल ट्रैकों को तय करने के लिए दल द्वारा सारे उपकरण साथ रखे हुए थे तथा दल के अनुसार यह पैदल ट्रैक जोखिम भरा है। इस अज्ञात ताल तक पहुंचने के लिए दल द्वारा लगभग पाँच महीने तक गूगल अर्थ मैप में हिमालय का गहन अध्ययन कर डीजीटल रुट तैयार कर अज्ञात ताल के खोज अभियान को सफल बनाया। दल में शामिल गौण्डार गाँव निवासी अभिषेक पंवार ने बताया कि इस अज्ञात ताल तक पहुंचने के लिए मदमहेश्वर-धौला क्षेत्रपाल-कांचनीखाल वाला रूट तय करना पड़ता है तथा पैदल ट्रैक सिर्फ अनुमान के अनुसार तय करना पड़ता है क्योंकि अत्यधिक ऊंचाई पर नेटवर्क सुविधा न होने से गुगल की मदद नहीं ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि मदमहेश्वर से अज्ञात ताल तक पहुंचने के लिए लगभग 60 किमी की दूरी तय करने पड़ती है तथा ट्रैक जोखिम भरा है। अज्ञात ताल की लंबाई 160 मीटर, चौड़ाई 155 मीटर है। ताल के नामकरण को लेकर उस पूरे क्षेत्र का अध्ययन किया जाएगा जो प्राचीन ताल व कुंड से सजा हुआ है।
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दल में शामिल गौण्डार निवासी आकाश पंवार ने बताया कि अज्ञात ताल तक पहुंचने के लिए दल को 6 दिन का समय लगा तथा 2 दिन का समय ग्लेशियरों में व्यतीत करना पड़ा। उन्होंने बताया कि अज्ञात ताल लगभग 16500 की ऊंचाई पर है तथा ताल की परिधि लगभग 1 किमी है। दल में शामिल बडियारगढ़-टिहरी गढ़वाल निवासी विनय नेगी ने बताया कि अज्ञात ताल का पानी हरा होने के कारण ताल की गहराई अधिक होने का अनुमान लगाया आ सकता है तथा ताल में पत्थर डालने पर पानी के बुलबुले उठ रहे है। मनसूना गिरीया निवासी दीपक पंवार ने बताया कि ताल के चारों तरफ बीहड़ चट्टान है ताल के चारों तरफ बुग्याल नहीं है क्योंकि अत्यधिक ऊंचाई के कारण उस क्षेत्र में बर्फ अधिक समय तक रहती है। बडियारगढ़- टिहरी निवासी ललित लिंगवाल ने बताया कि अज्ञात ताल तक पहुंचने के लिए अदम्य साहस होने के साथ सभी उपकरण व मेडिकल किट साथ रखना अनिवार्य है तथा ऊंचाई वाले इलाकों में विधुत, संचार जैसी सुविधाओं का अभाव होने से पैदल ट्रैक जोखिम भरा है। खंडाह-श्रीनगर गढ़वाल निवासी अरविन्द रावत ने बताया कि मदमहेश्वर धाम से लगभग 13 हजार फीट की ऊंचाई वाले भूभाग को प्रकृति ने बड़े खूबसूरत तरीके से सजाया है मगर 13 हजार फीट की ऊंचाई के बाद का भूभाग बर्फबारी के कारण चट्टानों से भरा हुआ है इसलिए चट्टानों वाले भूभाग को तय करने में अधिक समय लगता है।
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