भू-कानूनः अधिक भूमि खरीद पर लगे रोक, उद्योग, पर्यटन, शिक्षण संस्थान के हों मानक। पढ़ें पूरी सिफारिशें..
भू-कानून समिति ने सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। समिति ने भू आवंटन को लेकर हिमाचल की तर्ज पर सख्त भू कानून बनाने की पैरवी की है। सिफारिश में कहा गया है कि निवेश के नाम पर उतनी ही जमीन खरीद और आवंटन को मंजूरी दी जाए, जितनी वास्तविक जरूरत है। समिति ने भूमि खरीद के बजाय लीज पर देने की व्यवस्था पर भी जोर दिया है। भू-कानून समिति ने 80 पेज की रिपोर्ट में 23 सिफारिशें की हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भू कानून समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। समिति की रिपोर्ट का गहन अध्ययन कर व्यापक जनहित और प्रदेश हित में समिति की संस्तुतियों पर विचार किया जाएगा। इसी के अनुरूप भू कानून में संशोधन किया जाएगा।
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12.5 एकड़ से अधिक भूमि खरीद पर लगे रोक
उत्तराखंड में उद्योग, पर्यटन और शिक्षण संस्थान के नाम पर 12.5 एकड़ से ज्यादा भूमि की खरीद पर रोक लगाई जाए। भू कानून समिति ने अपनी रिपोर्ट में भूमि खरीद की सीमा को लेकर सख्त संस्तुति की है। समिति ने कहा कि 12.5 एकड़ से ज्यादा भूमि की खरीद की मंजूरी देने के शासन के अधिकार पर भी रोक लगाई जाए। किसी को भी जरूरत से ज्यादा जमीन खरीदने का हक न दिया जाए। समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा समय में राज्य सरकार पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में औद्योगिक, आयुष, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, शिक्षा, उद्यान, विभिन्न प्रसंस्करण, कृषि और पर्यटन के लिए 12.5 एकड़ से ज्यादा भूमि दे रही है। आवेदक संस्था, कंपनी समेत किसी को भी आवेदन करने पर भूमि उपलब्ध कराई जाती है। समिति ने यह व्यवस्था तत्काल खत्म करने की सिफारिश की है। समिति ने इसके स्थान पर हिमाचल की तरह भूमि की न्यूनतम आवश्यकता के आधार पर जमीन देने पर जोर दिया है। साथ ही कहा-सूक्ष्म, लघु व मध्यम श्रेणी के उद्योगों को जमीन की खरीद करने की मंजूरी देने का डीएम को मिला वर्तमान अधिकार भी समाप्त किया जाए। हिमाचल प्रदेश की तरह इस संबंध में मंजूरियां सिर्फ शासन स्तर से दी जाएं। यह मंजूरी भी भूमि की न्यूनतम आवश्यकता के आधार पर ही दी जाए।
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राजस्व रिकॉर्ड से लिंक किया जाए आधार कार्ड
समिति की रिपोर्ट में राज्य में नगर निगम सीमा से बाहर दूसरे प्रदेश के लोगों के लिए जमीन खरीदने के सख्त मानक हैं। कोई भी बाहरी व्यक्ति 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन नहीं खरीद सकता। इसके बाद भी एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम पर अलग अलग 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि खरीदकर खेल कर दिया जाता है। भू कानून समिति ने इस पर रोक लगाने को पूरे परिवार के आधार राजस्व रिकॉर्ड से लिंक करने का नियम बनाने पर जोर दिया है।
बंदोबस्त शुरू करने की सिफारिश
भू कानून समिति ने राज्य में भूमि बंदोबस्त की प्रक्रिया बड़े स्तर पर शुरू करने की सिफारिश की है। समिति ने प्रदेश में साढ़े 12.5 एकड़ से अधिक भूमि आवंटन पर रोक लगाने की भी पैरवी की है। 250 वर्ग मीटर तक भूमि खरीद के लिए सख्त नियम बनाने की सिफारिश की गई है।
उद्योग दें 70 प्रतिशत स्थानीय को रोजगार
भू कानून समिति ने सिफारिश की है कि यदि उत्तराखंड में जमीन लेकर कोई उद्योग लगाता है तो वह 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराए। उच्च पदों पर भी योग्यता के आधार पर स्थानीय को प्राथमिकता दी जाए।
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उत्तराखंड में जमीन का दुरुपयोग रुके
समिति ने निवेश की संभावनाओं और भूमि की अनियंत्रित खरीद फरोख्त के बीच संतुलन स्थापित करने पर जोर दिया है। रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में निवेश और रोजगार बढ़ाने के साथ भूमि के दुरुपयोग को रोकने पर विशेष फोकस किया जाए। भू-आवंटन ऐसा हो, जिससे राज्य में विकास के लिए निवेश बढ़े और रोजगार के अवसर बढ़ें। जमीन का अनावश्यक दुरुपयोग रोका जाए। समिति ने कहा है कि हिमाचल जैसा भू-कानून बनाने के लिए उत्तराखंड (यूपी जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) में संशोधन किया जाए। वर्तमान में डीएम स्तर से कृषि, उद्यान के लिए कृषि भूमि खरीद को मंजूरी दी जा रही है। कृषि, औद्यानिकी की बजाय रिसॉर्ट या निजी बंगले बना कर भूमि का दुरुपयोग हो रहा है। इससे पहाड़ में लोग भूमिहीन हो रहे हैं। इससे रोजगार सृजन भी नहीं हो रहा है।
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जमीन खरीदने के मानक सख्त हों
समिति ने कहा है कि जमीन खरीद और सरकार की ओर से जमीन आवंटन की मंजूरी देने के मानक बेहद सख्त किए जाएं। उपयोग की जरूरत से अधिक जमीन किसी भी सूरत में खरीदने न दी जाए। साथ ही जमीन लीज पर देने की व्यवस्था पर जोर दिया जाए। इन मामलों में डीएम के अधिकारों को सीमित किया जाए। शासन की भूमिका को बढ़ाया जाए। सरकार को रिपोर्ट सौंपने के दौरान भू कानून समिति के अध्यक्ष सुभाष कुमार, सदस्य अजेंद्र अजय, अरुण ढौंडियाल, डीएस गर्ब्याल, समिति के सदस्य सचिव दीपेंद्र कुमार चौधरी मौजूद रहे।
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