मेरी बातः इस बात पर मुंह खोल लीजिए।
लेख- वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अजय ढौंडियाल
हम सरकारें बनाते हैं उन पर फिर सवाल उठाते हैं। ये हक है हमको, लेकिन हम सरकार बनाने के बाद फिर मोहरों के तौर पर इस्तेमाल होते हैं। ये समझने की पहले ज़रूरत है। गड़बड़ी, घोटाले नई बात कहां है पर हम तो हो हल्ला ही मचा सकते हैं। जांचें भी सरकारें ही करती हैं। ना विपक्ष करता और न जनता। जब जांच हो रही हो और आरोपी गिरफ्तार हो रहे हों तो भरोसा बंधता है, भरोसा किया जाना चाहिए। हम खुद कहते हैं कि भरोसे पर दुनिया टिकी है। तो? राजनीति में सत्ताधारी को गिराने और कुचलने का ही धर्म है, कर्म है। खैर, ये उनका काम। हमारे छोटे से राज्य को बार बार राजनीतिक तौर पर अस्थिर करके किसका नुकसान किया जाता है? जन जन का। आपका, मेरा, आपके और हमारे परिवार का और हमारे सभी जानने वालों का। शायद हम इसको नहीं समझ पाते। जबकि ये सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार सिर्फ पैसा लेना, गबन करना और नौकरी लगाना ही थोड़े ही है। जन जन का अहित राजनीतिक अस्थिरता से होता है। सरकार किसी की भी बनाओ लेकिन उसको अस्थिर मत होने दो। इस बात पर मुंह खोल लीजिए।
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