उत्तराखंड में आदमखोर गुलदार का आतंक! 12 दिन बाद मिला 75 साल के बुजुर्ग का क्षत-विक्षत शव..

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उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में गुलदार का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन गुलदार के हमलों के बढ़ रहे मामलों ने वन विभाग की चिंता बढ़ा दी है। एक दुखद खबर टिहरी गढ़वाल के घनसाली तहसील से सामने आया है। जहां तहसील के अंतर्गत ग्यारह गांव हिन्दाव के ग्राम पंचायत डांगसेरा के दुबड़ी गांव के निवासी जगत सिंह उम्र 75 साल के वृद्ध इंसान को आदमखोर गुलदार ने अपना निवाला बनाया है। जगत सिंह विगत 24 जुलाई से लापता थे। ग्रामीणों की खोज के बाद बीते शुक्रवार को दुबड़ी गांव के पास जंगल में पतरेडा नामक तोक में उनका शव क्षत विक्षत हालत में मिला। जिसमे उनके दोनों हाथ पैर शरीर से पूरी तरह गायब थे। ग्रामीणों ने बताया कि दुबडी गांव के जगत सिंह जो कि पिछले 24 जुलाई से घर से गायब थे। गायब की सूचना ग्रामीणों ने वन विभाग को दी। जबकि 12 दिन बाद ग्रामीणों को जगत सिंह आधा शरीर मिला। जिसे आदमखोर गुलदार ने अपना निवाला बनाया दिया था।

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आपको बता दें कि टिहरी जनपद के घनसाली और बालगंगा क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं अब आम होती जा रही है जो कि रुकने का नाम नहीं ले रही है। विगत कुछ माह पूर्व ही इसी गांव में गुलदार ने एक 8 वर्षीया मासूम को अपना निवाला बना दिया था। जिसके एक हफ्ते बाद विभाग द्वारा सूटर बुलाकर आदमखोर गुलादार को ढेर कर दिया गया था। जबकि हाल ही में बालगंगा तहसील के केमरियासौड़ गांव में गुलदार ने एक महिला को घायल कर दिया था। क्षेत्र में लगातार दूसरी घटना है जब आदमखोर गुलदार ने इंसान को अपना निवाला बनाया। ग्रामीणों ने वन विभाग से आदमखोर गुलदार को मारने का आदेश और क्षेत्र में छोड़े अन्य गुलदारों को पकड़ने की मांग की है।

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ग्रामीण का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से लोगों में दहशत का माहौल है। स्कूली बच्चों, जंगल में घास के लिए जाती हुई महिलाओं को इसका खतरा बना हुआ है। सभी स्थानीय प्रतिनिधि भी इस पर संज्ञान लें। अपने गांव, क्षेत्र की आम जनता को आदमखोर गुलदार से सुरक्षित रखने पर आवश्यक कदम उठाए। वहीं वन विभाग का कहना है कि हमें पूर्व में कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई थी। हमें ग्रामीणों द्वारा 5 अगस्त को सूचना दी गई जिसके बाद हमारी समस्त टीम घटना स्थल के लिए रवाना हुई। दुबड़ी गांव के पास जंगल में पतरेडा नामक तोक में उनका शव छत विछत हालत में मिला। शरीर के दोनों हाथ पैर पूरी तरह गायब हो रखे थे। शेष बचे अवसेस भाग को पिलखी लाया गया। वहीं पिलखी शेष बचे भाग को बौराड़ी पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। शनिवार को वन विभाग भिलंगना रेंज द्वारा परिजनों को मिलकर शोक संवेदना व्यक्त कर गांव में जागरूकता का संदेश दिया गया।

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