देश का पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड जहां टनल पार्किंग होगी शुरू..

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Uttarakhand tunnel parking will start. Hillvani News

Uttarakhand tunnel parking will start. Hillvani News

उत्तराखंड में पर्यटन की बेशुमार संभावना और इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी पर लगातार बहस होती है, लेकिन अब इस मामले में पहाड़ों को एक बड़ी सौगात मिलने जा रही है। अब उत्तराखंड के उन हिल स्टेशनों को अंडरग्राउंड टनल पार्किंग मिलेगी, जहां पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और जाम व पार्किंग की समस्या से न केवल पर्यटकों बल्कि स्थानीय लोगों और प्रशासन को भी जूझना पड़ता है। अत्याधुनिक तकनीक से बनने वाली इस तरह की पार्किंग के मामले में दावा किया जा रहा है कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा, जहां इस तह की पार्किंग व्यवस्था होगी। टनल पार्किंग के लिए प्रदेश में चार कार्यदायी संस्थाएं हैं लेकिन इसकी पर्यावरणीय चुनौतियां भी कम न होंगी। पर्यावरणविदों ने इसे महाविनाश का रास्ता करार दिया है।

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कुल करीब 180 पार्किंग स्थल चिन्हित
प्रदेश सरकार पहाड़ में पार्किंग की समस्या से निजात दिलाने के लिए टनल पार्किंग की शुरुआत कर रही है। यह पार्किंग अभी तक देश में कहीं भी नहीं है। दावा है कि उत्तराखंड इस तरह का प्रयोग करने वाला देश का पहला राज्य होगा। प्रदेशभर में कुल करीब 180 पार्किंग स्थल चिन्हित किए गए हैं, जिनमें टिहरी और पौड़ी जिले में पहले चरण में 12 टनल पार्किंग के स्थान चिन्हित किए गए हैं। एनएचआईडीसीएल के अलावा अब टनल पार्किंग निर्माण के लिए कैबिनेट ने टीएचडीसी, यूजेवीएनएल और आरवीएनएल को कार्यदायी संस्था बना दिया है। नैनीताल, मसूरी और अन्य पर्यटन स्थलों पर भी जल्द अंडर ग्राउंड पार्किंग का काम शुरू हो जाएगा और पर्यटकों को जाम से मुक्ति के साथ ही अत्याधुनिक पार्किंग सुविधा भी मिलगी।

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कैबिनेट बैठक में मिल चुकी है मंज़ूरी
आपको बता दें कि आरवीएनएल पहले से ही पहाड़ में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन का काम कर रही है। आरवीएनएल ने कई बड़ी टनल का निर्माण भी किया है। वहीं, यूजेवीएनएल और टीएचडीसी ने जल विद्युत परियोजनाओं के लिए टनल निर्माण किए हैं। सरकार का मानना है कि इससे निश्चित तौर पर पार्किंग की बड़ी समस्या का समाधान होगा। वहीं आपको बता दें कि पहाड़ों में इस तरह की छोटी-छोटी टनल्स को पार्किंग के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाएगा। असल में यह प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग द्वारा रखा गया था, जिसे धामी सरकार की बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में मंज़ूरी मिल गई।

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यह होंगी चुनौतियां
टनल पार्किंग के इस सपने को धरातल पर उतारने में सरकार के लिए कई चुनौतियां भी पेश आ सकती हैं। इनमें सबसे पहले चुनौती पर्यावरणीय स्वीकृति की है। केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति के बाद ही काम शुरू हो सकेगा। ऐसी ही अनुमति की वजह से प्रदेश में कई जल विद्युत परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं। दूसरी ओर इन टनल के निर्माण के दौरान निकलने वाला मलबा भी बड़ी चुनौती बनकर उभर सकता है। हालांकि सरकार का तर्क है कि सभी नियमों का पालन करते हुए टनल निर्माण किए जाएंगे।

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