क्या आपके बच्चों का मन स्कूल में नहीं लगता? या स्कूल जाने से लगता है डर? वजह सुन उड़ जाएंगे आपके होश..
एक उम्र के होने के बाद हर बच्चे को पढ़ाई के लिए स्कूल जाना पड़ता है। लेकिन कुछ स्थितियों में बच्चे स्कूल जाने से कतराते हैं और इससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं। फेमस पर्सनैलिटी जैसे कि बिल गेट्स और मार्क जुकरबर्ग स्कूल ड्रॉप आउट हैं और अगर आपका बच्चा कहे कि उसे भी स्कूल ड्रॉप करना है तो आप क्या कहेंगे? अमेरिका में तो लाखों बच्चे हर साल स्कूल ड्रॉप करते हैं लेकिन भारत में यह चलन थोड़ा कम है। बच्चे कई वजह से स्कूल जाना बंद कर सकते हैं लेकिन ये उन्हें भविष्य और संपूर्ण विकास को प्रभावित कर सकता है। बच्चे के पैरेंट्स से स्कूल छोड़ने की इच्छा जाहिर करना चिंता की बात है लेकिन किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले आपको यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि बच्चा ऐसा क्यों चाह रहा है। यहां जानिए कि…. पढ़ें पूरी रिपोर्ट…..
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आखिर बच्चों के मन में स्कूल छोड़ने का ख्याल क्यों आता है?
बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़नाः स्कूल छोड़ने का सबसे आम कारण है बच्चों पर गलत असर पड़ना। कई बार बच्चे कम उम्र से ही शराब, ड्रग्स, इंटरनेट और टीवी की लत में उलझ जाते हैं। इससे पढ़ाई में उनका मन नहीं लग पाता है और स्कूल जाना तो उन्हें बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता है।
पढ़ाई में दिक्कतः अब इस बात से तो आप भी सहमत होंगे कि हर बच्चा पढ़ाई में अव्वल नहीं होता है। पढ़ाई में कमजोर बच्चों को अक्सर स्कूल जाने में आफत आती है। जो बच्चे खासतौर पर गणित और इंग्लिश में फेल या कमजोर होते हैं, उनके स्कूल ड्रॉप करने के चांसेस ज्यादा होते हैं।
परिवार की जरूरतेंः ये पहलू भारत में ज्यादा देखा जाता है, जहां कम उम्र में ही बच्चों पर जिम्मेदारी आने की वजह से उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ता है। जहां मां-बाप की इनकम कम होती है, वहां बच्चों को अपने परिवार को सपोर्ट करने के लिए अक्सर स्कूल छोड़ना पड़ जाता है।
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खराब सेहतः सेहत खराब होने का भी असर बच्चे की सीखने की क्षमता और स्कूल में उसकी परफॉर्मेंस पर पड़ता है। बचपन में कोई बीमारी हो और वो लंबे समय तक बनी रहे, तो बच्चे को स्कूल जाने में दिक्कत आ सकती है।
बोरिंग लगता है स्कूलः कुछ बच्चों को स्कूल बोरिंग लगता है और उनका पढ़ाई में बिलकुल भी मन नहीं लगता है। 9वीं और 10वीं कक्षा तक आते-आते कई बच्चों को स्कूल बोरिंग लगने लगता है। वो स्कूल देरी से जाना चाहते हैं, क्लास बंक कर देते हैं और लंच ब्रेक में बैठे रहते हैं। पढ़ाई और स्कूल से लगाव ना होने की वजह से अक्सर बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं। किसी भी वजह से बच्चे का स्कूल या पढ़ाई छोड़ने का मन करना, पैरेंट्स के लिए एक बड़ी परेशानी है।
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छोटे बच्चों को स्कूल जाने से डर क्यों लगता है?
असफलता का डरः बच्चों का मन बहुत कोमल होता है। स्कूल के पहले दिन अगर उनके साथ कोई बात हो जाए या कुछ गलत हो जाएं तो वे स्कूल न जाने का मन बना लेते हैं। उनके मन में आत्मविश्वास की कमी हो सकती है और वे रोज स्कूल जाने से भी डरने लगते हैं। यहीं नहीं इस डर के कारण बच्चे कुछ नया करने से भी डरने लगते हैं क्योंकि वह असफल नहीं होना चाहते हैं लेकिन साथ ही पेरेंट्स को बच्चे को यह समझने की जरूरत होती है कि बिना कोशिश किए वे सफल नहीं हो सकते हैं।
सामाजिक परिस्थितियों का भयः पहली बार जब बच्चे घर से स्कूल के लिए जाते हैं, तो उन्हें लोगों का भी डर होता है क्योंकि वह बाहरी लोगों से खुलकर अपनी बातें कहने में सक्षम नहीं होते हैं। वह दूसरे बच्चे से बात करने या टीचर के कुछ पूछने पर भी रोने लगते हैं। इसके अलावा उन्हें स्कूल के नियमों का पालन करने में भी परेशानी हो सकती है।
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दूसरे बच्चे की तुलना में खुद को कम समझनाः स्कूल के शुरूआती दिनों में बच्चे अपने दोस्तों या क्लास के बच्चों के साथ हर बात पर कॉम्पिटीशन करते हैं। चाहे फिर पढ़ाई हो या खेल वे आगे रहने की कोशिश करते हैं और ऐसा करना सही भी है लेकिन कई बार हार जाने या न कर पाने के डर से भी बच्चे स्कूल जाने से मना करते हैं। वह अपनी तुलना में अपने साथियों को बेहतर समझने लगते हैं। इसके अलावा अगर बच्चे को अन्य बच्चों की तुलना में सीखने में अधिक समय लगता है, तो वे डरने लगते हैं।
घर या परिवार छोड़ने का डरः बच्चा जन्म से लेकर 2-3 साल की उम्र तक केवल अपने परिवार वालों के साथ ही समय बिताता है। ऐसे में बाहरी लोगों या स्कूल रूटीन को फॉलो करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा नहीं होता है, तो उन्हें नए लोगों को देखकर या अन्य बच्चों के साथ भी असहज महसूस हो सकता है। अपने पेरेंट्स से दूर रहने के बारे में सोचकर ही कई बच्चे रोने लगते हैं। जिसके कारण बच्चे काफी तनाव लेने लगते हैं।
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दूसरों से अलग होने का डरः कई बार बच्चे स्कूल के शुरूआती दिनों में यह महसूस करते हैं कि उन्हें अन्य बच्चों की तुलना में सीखने में अधिक समय लगता है और स्कूल में उनकी इस कमी का मजाक बनाया जाता है। कई बार क्लास में किसी सवाल का जबाव न दे पाने के कारण टीचर भी बच्चों के डांटते हैं ऐसे में बच्चे स्कूल न जाने का बहाना ढूढ़ने लगते हैं ताकि अपनी कमियों को छुपाया जा सकें क्योंकि कई बार पेरेंट्स भी उन्हें उनकी कमियों को दूर करने में मदद करने की जगह उल्टा डांटते हैं। इससे बच्चों को मनोबल कम हो जाता है।
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छोटे बच्चों को स्कूल जाने के लिए कैसे तैयार करें
1- सबसे पहले एक पेरेंट्स के तौर पर आपको ये समझने की जरूरत होती है कि जितना आप इस समस्या को इग्नोर करेंगे या बच्चे पर दबाव बनाएंगे। इन कारणों से समस्या और बढ़ती जाएगी।
2- बच्चे से बात करें, हमेशा उनसे उनके दोस्त बनकर उनसे बात करें। उन्हें अपने स्कूल और स्कूल की मस्ती के बारे में बताएं। उन्हें समझाने की कोशिश करें कि स्कूल बहुत मजेदार जगह है और उन्हें स्कूल जाकर खुशी मिलेगी।
3- इसके अलावा उन्हें खुद स्कूल लेने और छोड़ने जाएं और उनसे रोजाना स्कूल के बारे में बात करें और कुछ गलत होने पर भी उन्हें इस बारे में प्यार से समझाएं ताकि वे अपनी कमियों और गलतियों को पॉजिटिव तरीके से लें।
4- इसके अलावा आप बच्चे के दोस्त बनाने में मदद करें और उनके दोस्त के साथ उन्हें खेलने और कुछ क्रिएटिविटी करने का मौका दें ताकि वह स्कूल जाने के लिए उत्साहित रहें और दोस्त के साथ खुश रहें।
5- अगर बच्चे को स्कूल के किसी खास शख्स या टीचर की डांट से डर लग रहा है, तो आपको संबंधित व्यक्ति से बात करनी चाहिए और बच्चे की मदद करने की कोशिश करनी चाहिए।
6- इसके अलावा हमेशा उनके दोस्त बनकर उनसे बात करें ताकि वह अपनी सारी बातें आपसे शेयर कर सकें। इसके अलावा उन्हें स्कूल के लिए सभी तरह की नई चीजें लाकर दें। जैसे बोतल, बैग और लंच बॉक्स।
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