हिमालय के शक्तिपीठों में से एक है भगवती मनणामाई तीर्थ, यहां हर मुराद होती है पूरी। जोखिम भरा है यहां का पैदल ट्रेक..
ऊखीमठः मदमहेश्वर घाटी के रासी गांव से लगभग 39 किमी दूर चौखम्बा की तलहटी में बसे भगवती मनणामाई का तीर्थ हिमालय के शक्तिपीठों में गिना जाता है। भगवती मनणामाई को भेड़ पालकों की अराध्य देवी माना जाता है। भेड़ पालक समय-समय पर भगवती मनणामाई की पूजा-अर्चना कर विश्व समृद्धि की कामना करते है। मनणामाई तीर्थ में हर श्रद्धालु की मुराद पूरी होती है। रासी गांव से प्रति वर्ष सावन माह में राकेश्वरी मन्दिर रासी से मनणामाई तीर्थ तक मनणामाई लोक जात यात्रा का आयोजन किया जाता है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग द्वारा यदि रासी-मनणामाई, चौमासी-मनणामाई तथा मनणामाई-खाम-केदारनाथ पैदल ट्रेकों को विकसित करने की पहल की जाती है तो मदमहेश्वर घाटी व कालीमठ घाटी के पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ मनणामाई तीर्थ को विश्व पटल पर पहचान मिल सकती है।
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लोक मान्यताओं के अनुसार एक बार भगवान शिव जी एक राक्षस की तपस्या से प्रसन्न हुए तथा वरदान मांगने को कहा! राक्षस ने अमर होने का वरदान मांगा तो शिव जी ने राक्षस को वरदान दिया कि यदि तू युद्ध के समय हिमालय का स्पर्श करेगा तो अमर हो जायेगा। भगवती काली द्वारा रक्तबीज सहित कई राक्षसों का वध किया गया तो वह राक्षस हिमालय को स्पर्श करने की इच्छा से हिमालय की ओर गमन करने लगा था चौखम्बा की तलहटी में बसे बुग्यालों तक पहुँच गया। राक्षस के हिमालय गमन होने की खबर ज्यों ही भगवती मनणामाई को लगी तो मनणामाई ने उस भूभाग को अपने योगमाया से दल दल में तब्दील कर दिया तथा राक्षस दलदल में फस गया। समय रहते मनणामाई ने राक्षस का बध किया तथा जगत कल्याण के लिए चौखम्बा की तलहटी में तपस्यारत हो गयी।
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भगवती मनणामाई के चौखम्बा की तलहटी में तपस्यारत होने पर भेड़ पालकों द्वारा समय-समय पर पूजा – अर्चना की जाती रही तो मनणामाई भेड़ पालकों की अराध्य देवी मानी गयी। प्रधान रासी कुन्ती नेगी ने बताया कि रासी गांव से सनियारा, कण्डारा गुफा, पटूडी़, थौली, शिला समुद्र, कुलवाणी होते हुए मनणामाई तीर्थ पहुंचा जा सकता है मगर पैदल ट्रेक जोखिम भरा है। उन्होंने बताया कि कालीमठ घाटी के चौमासी-खाम होते हुए भी मनणामाई धाम पहुंचा जा सकता है। राकेश्वरी मन्दिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने बताया कि रासी गांव से प्रति वर्ष सावन माह में राकेश्वरी मन्दिर रासी से मनणामाई धाम तक मनणामाई लोक जात यात्रा का आयोजन किया जाता है मगर पैदल मार्ग में संसाधनों का अभाव होने के कारण लोक जात यात्रा में सिमित ग्रामीण शामिल होते है।
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पण्डित ईश्वरी प्रसाद भटट्, रवीन्द्र भटट् बताते है कि मनणामाई तीर्थ में हर भक्त की मुराद पूरी होती है तथा यह तीर्थ मदानी नदी के किनारे बसा हुआ है तथा बरसात ऋतु में मनणामाई तीर्थ का भूभाग अनेक प्रजाति के पुष्पों से आच्छादित रहता है। क्षेत्र पंचायत सदस्य बलवीर भटट्, शिव सिंह रावत, रणजीत रावत का कहना है कि मनणामाई तीर्थ में पूजा-अर्चना करने से मनौवाछित फल की प्राप्ति होती है। जिला पंचायत सदस्य कालीमठ विनोद राणा, मदमहेश्वर विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट्, संरक्षक राकेश नेगी, दलीप रावत, हरेन्द्र खोयाल का कहना है कि यदि केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग रासी-मनणामाई व चौमासी-मनणामाई पैदल ट्रैकों को विकसित करने की कवायद करता है तो स्थानीय तीर्थाटन-पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ मनणामाई तीर्थ को विश्व पटल पर पहचान मिल सकती है।
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