धामी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को घेरा, उठाया बड़ा सवाल..

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Yashpal Arya surrounded the government on completion of 100 days of Dhami Sarkar.Hillvani News

Yashpal Arya surrounded the government on completion of 100 days of Dhami Sarkar.Hillvani News

उत्तराखंड में धामी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री धामी और भाजपा अपनी उपलब्धियां गिनवा रही है। इस कार्यक्रम को भाजपा पूरे प्रदेश में 100 दिन के विकास, समर्पण और प्रयास के रूप में जश्न मना रही है तो वहीं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य सहित कांग्रेस पार्टी पदाधिकारियों ने धामी सरकार के सौ दिन पूरे होने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सौ दिन में कुछ नहीं किया गया और अगले पांच साल का भी प्रदेश भाजपा सरकार के पास कोई रोडमैप नहीं है। नेता प्रतिपक्ष ने सत्ताधारी भाजपा सरकार पर आरोप लगाए हैं कि उत्तराखंड में सबसे अधिक भर्ती परीक्षा कराने वाला उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग अपनी कार्य प्रणाली के चलते लगातार विवादों में घिरा हुआ है…

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नेता प्रतिपक्ष ने उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग को घेरा..
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आयोग को घेरे में लेते हुए कहा कि आयोग द्वारा आयोजित लगभग हर परीक्षा में कुछ न कुछ कमी पाई गई हैं। सड़क से लेकर उत्तराखंड विधानसभा तक आयोग के काले कारनामों पर सबूतों के साथ चर्चा हो चुकी है। परंतु सरकार ने आज तक बेरोजगारों की मांग पर आयोग की कार्यप्रणाली की जांच सीबीआई से कराना तो दूर जिन मामलों में राज्यस्तरीय एसआईटी का गठन किया उनकी भी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है। ये बयान नेता प्रतिपक्ष ने एक प्रेसनोट जारी करके दिया है।

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सरकार के संरक्षण में हो रहा संगठित घोटाला..
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा है कि आयोग की उच्च स्तरीय जांच न करवा कर उत्तराखंड सरकार ने सिद्ध कर दिया है कि मध्यप्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक हर जगह जहां भी भाजपा की सरकारें हैं या रही हैं वहां नौकरी के नाम पर संगठित घोटाला सरकार के संरक्षण में हो रहा है। उत्तराखंड में सरकारी सेवाएं ही रोजगार का सबसे बड़ा आधार रही हैं। प्रदेश में 14 लाख पंजीकृत बेरोजगार हैं और लगभग 1 लाख के करीब पद रिक्त हैं। इनमें से सबसे अधिक पदों को भरने के लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग जिम्मेदार है। इस आयोग द्वारा आयोजित हर परीक्षा विवादों में रही है, बेरोजगारों ने इसके सबूत सार्वजनिक किए हैं। सबूत अकाट्य हैं पर सरकार है कि उच्च स्तरीय जांच के लिए तैयार ही नहीं है।

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जो अधिकारी तब आयोग के कर्ताधर्ता थे वे अब भाजपा में हैं शामिल…
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आगे कहा है कि उत्तराखंड में यूकेएसएससी ने 2016 में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी परीक्षा में घोटाले की खबर मिलते ही जांच बैठा दी गयी थी। प्रारंभिक जांच में ओआरएम शीट से छेड़खानी की पुष्टि होते ही कांग्रेस की हरीश रावत सरकार ने परीक्षा को निरस्त कर उच्च स्तरीय जांच बैठा दी थी। भाजपा सरकार आने के बाद तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री स्वर्गीय प्रकाश पंत जी ने जांच रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रख कर कठोर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था परंतु आज तक जांच और रिपोर्ट का तो कुछ नहीं हुआ। जो अधिकारी तब आयोग के कर्ताधर्ता थे वे भाजपा में सम्मिलित होकर एक पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार बन गए थे। ऐसे में कार्यवाही तो दूर रिपोर्ट भी किसी ने नहीं देखी।

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जेई भर्ती परीक्षा में भी 66 बच्चे एक ही कोचिंग संस्थान से निकले…
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि इसके बाद यूकेएसएसएससी द्वारा आयोजित यूपीसीएल / पिटकुल के जेई की भर्ती परीक्षा में भी 66 बच्चे एक ही कोचिंग संस्थान से निकले। जिलाधिकारी हरिद्वार की जांच में गड़बड़ी की पुष्टि हुई तो परीक्षा निरस्त करनी पड़ी। उन्होंने कहा है कि यही हाल यूकेएसएसएससी द्वारा आयोजित सहायक लेखाकार परीक्षा का हुआ। इस परीक्षा को मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाले की आरोपी और उत्तर प्रदेश में भी चार्जशीटेड संस्था एनएसईआईटी द्वारा आयोजित कराने का बेरोजगारों ने विरोध किया तो उन्हें कानूनी नोटिस भेजे गए। बताते हैं 600 प्रश्नों में से आधे से अधिक में जब गलतियां निकली तो इसी 3 जून को परीक्षा रद्द करनी पड़ी।

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इस तरह परीक्षा करवाने का कोई मतलब ही नहीं…
यशपाल आर्य ने आरोप लगाते हुए कहा वन दरोगा परीक्षा में 80000 बच्चों की परीक्षा 18 पाली में ली गयी। यहां भी 1800 में से 332 प्रश्न गलत थे। किसी पाली में 10 प्रश्न तो किसी में 27 तक प्रश्न गलत निकले। जिस पाली में जितने प्रश्न गलत उतने बोनस नंबर दिए गए। यानि 10 प्रश्न गलत होने वाली पाली के बच्चों से उस पाली के बच्चों को 17 नंबर अधिक बोनस के रूप में मिल गए जिनकी पाली में 27 प्रश्न गलत निकले थे। आज जब हर परीक्षा में 1 नंबर पर भी दर्जनों बच्चे रहते हैं वहां एक पाली के बच्चों को दूसरे से 17 नंबर अधिक देने के बाद परीक्षा करवाने का कोई मतलब ही नहीं रहता है। आर्य ने कहा है कि यही 2020 में आयोजित फोरेस्टर गार्ड परीक्षा का है। उस परीक्षा में एसआईटी जांच में 57 लड़कों द्वारा ब्लूटूथ से नकल करने की पुष्टि हुई। उनमें से 47 पकड़े गए। उन्हें अयोग्य घोषित किया गया। अब आयोग की नाकामी देखिये 10 पकड़े गए बच्चे जब हाई कोर्ट गए और वहां आयोग पार्टी ही नहीं बना। कोई पार्टी न होने के कारण इन 10 दागी बच्चों के पक्ष में फैसला आया। अब उन्हें विभाग नौकरी देगा।

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