जुलाई से इन राशियों की खुलेगी किस्मत। खत्म होगी शनि की ढैय्या, शनि स्तुति और मंत्र से मिलेगा चमत्कारिक लाभ…
भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र शनि देव महाराज को देवाधिदेव भगवान भोलेनाथ ने न्याय के देवता का वरदान दिया है। शनि देव महाराज सभी लोगों के शुभ अशुभ कर्मों का फल प्रदान करते हैं। शनिदेव 12 जुलाई को स्वराशि कुंभ से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर राशि में शनि देव वक्री चाल से चलेंगे। वक्री शनि के मकर राशि में आते ही कर्क और वृश्चिक राशियों के ऊपर से शनि की ढैय्या ख़त्म होगी। जुलाई 2022 में इन 2 राशियों के ऊपर भगवान शनि देव महाराज की विशेष कृपा होगी। शनि की कुदृष्टि हटेगी और इनका कल्याण होगा। इसलिए कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों को शनिवार के दिन शनि देव महाराज की पूजा अर्चना का विशेष फल प्राप्त होता है। शनिवार के दिन शनि देव के मंदिर में जाकर तेल और काला तिल चढाने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
यह भी पढ़ेंः उत्तराखंडः मौसम विभाग ने अगले पांच दिनों के लिए पूर्वानुमान किया जारी..
इन राशियों पर होगी शनि की कृपा
कर्क राशि: कर्क राशि वाले जातकों पर शनि देव महाराज की कृपा बढ़ेगी। जुलाई से कर्क राशि वाले ढैय्या के प्रकोप से मुक्त हो जाएंगे। इन्हें कारोबार में सफलता प्राप्त होगी। रुका हुआ कार्य संपन्न होगा।
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि वाले के ऊपर से भी ढैय्या का प्रकोप जुलाई महीने से ही समाप्त हो रहा है। भगवान शनि की कृपा से इनके कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में पदोन्नति के आसार हैं। आय के नवीन स्रोत बनेंगे।
यह भी पढ़ेंः Viral Video: डेरिंग दादी का डेंजर वाला अडवेंचर। 70 साल की दादी को आया जोश, पुल से गंगा में लगाई छलांग.. देखें वीडियो
शनि स्तुति और मंत्र से मिलेगा चमत्कारिक लाभ
1- क्रोडं नीलांजनप्रख्यं नीलवर्णसमस्नजम्। छायामार्तण्डसम्भूतं नमस्यामि शनैश्चरम्।।
2- नमोर्कपुत्राय शनैश्चराय नीहारवणाजनमेचकाय। श्रुत्वा रहस्यं भवकामदश्च फलप्रदो में भव सूर्यपुत्र।।
3- मनोस्तु प्रेतराजाय कृष्णदेहाय वै नमः। शनैश्चराय क्रूराय शुद्धबुद्धिप्रदायिने।।
4- य एभिर्नामभिः स्तौति तस्य तुष्टा भवाम्यहम्। मदीयं तु भयं तस्य स्वपेपि न भविष्यति।।
शनि मंत्र
1- ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः
2- ऊँ शं शनैश्वराय नमः
3- ऊँ शं शनैश्चराय नमः
4- ऊँ ऐं ह्रीं स्त्रहं शनैश्चराय नमः
5- ऊँ स्वः भुवः भूः ऊँ सः खौं खीं खां ऊँ शनैश्चराय नमः
यह भी पढ़ेंः रंगकर्मी व लोक गायक नवीन सेमवाल का निधन, “मेरि बामणी बामणी गीत से बनाई थी नई पहचान”
शनि देव की कृपा प्राप्ति के उपाय
1- निर्दोष रत्न-नीलम/जामुनिया/कटेला सवा पांच रत्ती का धारण करना चाहिए। उसे पंचधातु में जड़वाकर शनिवार के दिन किसी ब्राह्मण को घर बुलाकर उसकी शोडषोपचार पूजा व प्राण प्रतिष्ठा करवाकर धारण करना चाहिए। अगर जातक प्राण प्रतिष्ठा करवाने की स्थिति में नहीं हैं तो रत्न को रात्रि में गाय के कच्चे दूध में रखकर प्रातःकाल गंगा जल में पवित्र करके धारण किया जा सकता है।
2- पीपल के वृक्ष के नीचे सायंकाल में दीपक जलाकर सात परिक्रमा करें। सात लड्डू कुत्ते को खिलाएं। इससे शनि अनुकूल फल प्रदान करते हैं।
3- किसी भी शनिवार को जब पुष्य नक्षत्र हो तो बिछुवा बूटी की जड़ व शमी की जड़ को काले धागे में बांधकर दाहिनी भुजा में धारण करने से शनि का दुष्प्रभाव कम होने लगता है।
4- काले रंग के घोड़े की नाल खोजकर लाएं। शनिवार के दिन लुहार से मध्यमा उंगली के नाप के बराबर अंगूठी बनवाकर घर ले आएं। उसे स्वच्छ जल में धोकर रातभर कच्चे दूध में डुबोकर प्रातःकाल में श्रद्धा से दाहिनें हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करें।
यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड में जीएसटी सेस जारी रहने से फायदा या नुकसान?
5- शनिवार के दिन लोहे के बर्तन में तेल भरकर उसमें 7 दाने काले चने डाल दें। 7 दाने जौ के, 7 जाने काली उड़द के और उसमें सवा रुपया रखकर उसमें अपना मुंह देखकर दान करें या शनि मंदिर में रख दें।
6- भैंसा या घोड़े को शनिवार के दिन काला देसी चना खिलाने से शनि ग्रह अनुकूल होता है।
7- शुक्रवार की रात सवा-सवा किलो देसी चना तीन जगह भिगोयें। शनिवार की सुबह उन्हें सरसों के तेल में छौंककर श्रद्धा से शनिदेव को भोग लगातर पहला सवा किलो चना घोड़े या भैंसे को खिला दें। दूसरा सवा किलो चना कुष्ठ रोगियों को बांट दें। वह तीसरा सवा किलो चना अपने ऊपर से उतारकर किसी सुनसान स्थान में जहां चार रास्ते जाते हों, उसके बीच में रखकर आ जाएं।
8- अगर आप कोर्ट कचेहरी से परेशान हों तो श्री शनिदेव की आराधना, साधना और शनि अभिषेक अवश्य करें।
यह भी पढ़ेंः मुख्यमंत्री धामी ने कैबिनेट मंत्रियों को दिए ये बड़े निर्देश..
Disclaimer:यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि hillvani.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।