दम तोड़ता कृषि महाविद्यालय। खंडहरों में तब्दील पहाड़ की कृषि शिक्षा, नजरें फेरे बैठे विधायक और जन प्रतिनिधि। करोड़ों स्वाह…

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The Agricultural College of Chirbatia is shedding tears of misery.Hillvani News

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पहाड़ की पारंपरिक खेती को आधुनिक तकनीक से बेहतर करने की दिशा में रुद्रप्रयाग के सीमांत गांव चिरबटिया में पर्वतीय कृषि महाविद्यालय खोला गया था। उद्देश्य था कि पहाड़ के किसानों की कृषि व्यवस्था को और बेहतर किया जा सके और युवाओं को भी इसकी शिक्षा दी जाए। लेकिन अपनी स्थापना के कुछ ही वर्षो में इसने दम तोड़ दिया। विकासखंड जखोली का चिरबटिया क्षेत्र रुद्रप्रयाग विधानसभा का सीमांत गांव है जहां उद्यान विभाग को पर्वतीय कृषि महाविद्यालय भरसार की शाखा में तब्दील कर शाखा खोली गई है। उस वक़्त के रुद्रप्रयाग विधायक और कृषि मंत्री हरक सिंह रावत ने कृषि महाविद्यालय चिरबटिया का शुभारंभ किया।

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सिर्फ नाम का कृषि विश्वविद्यालय
पर्वतीय कृषि महाविद्यालय के शुरुआत में माली की ट्रेनिंग कर 2 बैच पासआउट हुए हैं और इस महाविद्यालय में बीएससी एग्रीकल्चर के कोर्स की भी शुरुआत की गई परंतु शिक्षक नहीं होने से कक्षा शुरू नहीं हो पाई। वर्तमान में कृषि महाविद्यालय चिरबटिया में संचालित होने वाली कक्षाओं का संचालन कृषि महाविद्यालय रानीचोरी टिहरी में किया जा रहा हैं। आपको बताते चलें कि कांग्रेस सरकार ने यहां भवन निर्माण का कार्य शुरू तो किया लेकिन सरकार बदलने के बाद भाजपा सरकार से बजट पास न होने के कारण भवन निर्माण कार्य रोक दिया गया। भवन का निर्माण कार्य जस का तस रह गया जो अब खण्डरों में तब्दील हो गया है। जिसमें करोड़ों रुपए स्वाह हो गए।

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25 करोड़ के बजट की मिली मंजूरी, 5 करोड़ रुपए ही हुए अवमुक्त
आपकों बता दें कि चिरबटिया में वर्षों से खाली पड़ी उद्यान विभाग की लगभग 8.3 हेक्टेयर जमीन को कृषि महाविद्यालय भवन निर्माण के लिए चयनित किया गया। चयनित जमीन को कृषि महाविद्यालय के नाम आवंटित कर भवन निर्माण के लिए आगणन तैयार कर शासन को भेजा गया। जिसके बाद तत्कालीन प्रदेश सरकार ने कृषि महाविद्यालय भवन निर्माण के लिए 25 करोड़ के बजट को मंजूरी मिली। इस बजट से पांच करोड़ रुपए अवमुक्त भी किए गए। शासन ने टेंडर के माध्यम से उत्तर प्रदेश निर्माण निगम को निर्माण का जिम्मा दिया गया था। कार्यदायी संस्था ने यहां पर टाइप थ्री व टू के आवास का निर्माण किया और महाविद्यालय का मुख्य भवन भी तैयार किया। लेकिन आधे-अधूरे निर्माण के बाद यह पूरा भवन लावारिस हाल में पड़ा है।

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विधायक और जन प्रतिनिधियों नहीं ले रहे सुध
भवन निर्माण के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए बजट की दूसरी किस्त न मिलने से कार्यदायी संस्था ने निर्माण कार्य बंद कर दिया है। उत्तराखंड में भाजपा की सरकार दोबारा प्रचंड बहुमत से सत्ता में काबिज हो गई है साथ ही रुद्रप्रयाग विधानसभा से भाजपा के विधायक भरत सिंह चौधरी भी दूसरी बार चुन कर विधानसभा पहुंच गए हैं लेकिन आज तक क्षेत्र के विधायक ने कृषि महाविद्यालय की सुध नहीं ली। आलम यह है कि कृषि महाविद्यालय के भवन निर्माण में करोड़ों का बजट तो स्वाह हो गया लेकिन हमारें प्रतिनिधियों ने वहां खराब होते करोड़ों की प्लाई, फॉम, एंगल और लकड़ी की तरफ ध्यान नहीं दिया। जिसके कारण करोड़ों का सामान आज खराब हो गया है। कृषि महाविद्यालय चिरबटिया के प्रति क्षेत्र के विधायक की उदासीनता के साथ क्षेत्र के अन्य जनप्रतिनिधियों की अनदेखी युवा के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। जहां युवाओं ने शिक्षण कार्य करना था वह जगह विरान पड़ी है।

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कर्मचारियों का 5 महीने से नहीं आया वेतन
पर्वतीय कृषि महाविद्यालय में उपनल के माध्यम से कई कर्मचारी रखे गए हैं। लेकिन उन युवाओं को भी समय पर उनका वेतन नहीं दिया जाता है। जानकारी के अनुसार उपनल के माध्यम से लगे युवाओं को पिछले 5 महीने से वेतन न मिलने के कारण उनके घर चलाने में मुश्किल पैदा हो गई हैं।
पानी की भी समस्या
यहां कृषि महाविद्यालय में पानी की कमी से भी कर्मचारी परेशान हैं यहां जो भी प्लॉनटेशन किया गया है। उन पौधों के लिए प्रयाप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पाता साथ ही चिरबटिया ग्रामवासियों को भी पीने के पानी से जूझना पड़ रहा है।

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झूठे वादों में विकास का सपना
1- साल 2018 में चिरबटिया वासियों में तब खुशी की लहर दौड़ उठी थी जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशनों में चिरबटिया के नाम को भी शामिल किया था। सरकार ने उस समय दावा किया था कि चिरबटिया को अब एक नए एडवेंचर हब के रूप में जाना जायेगा और यह सैलानियों की पहली पसंद बनेगा। साथ ही सरकार ने रेई झील के संरक्षण, वन संरक्षण और जल संरक्षण के साथ साथ किसानों को बेहतर फसल और उत्पादन मूल्य की भी घोषणा की थी जो कि आज तक सिर्फ एक कागजी वादा ही रही। जो सरकार की चुनावी फाइलों में कहीं सिमट कर रहा गया और गांव वासियों का सपना बस सपना ही रह गया।
2- कुछ सालों पहले तक चिरबटिया और उसके आसपास के इलाकों में रहने वाले छात्रों के पास यहां पर अपना एक आईटीआई हुआ करता था। जो की यहां ओर आस पास के छात्रों के पास बारहवीं पास करने के बाद एक बहतरीन विकल्प हुआ करता था। जो कि आज बंदी की कगार पर है, स्थानीय विधायक द्वारा उसको शुरू तो करवा दिया गया है लेकिन अभी वह किसी के निजी भवन में संचालित किया जा रहा है जो कभी भी बंद हो सकता है। न तो आईटीआई के पास अपना भवन है न ही शिक्षक।
3- चिरबटिया के निवासी सालों से अपने पैतृक गांव लुठियाग के लिए सड़क की भी मांग कर रहे हैं पर लेकिन आज तक लुठियाग गांव को सड़क मार्ग से नहीं जोड़ा गया है। चुनाव आते गए विधायक बनते गए लेकिन सभी नेताओं ने कुर्सी पर काबिज होने के लिए जनता से खूब झुठे वादे किए लेकिन सड़क न पहुंच पाई। ग्रामवासियों का यह सपना भी सपना ही बनकर रहेगा या कभी यहां के पैतृक गांव में सड़क पहुंचेगी।

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