कल है गंगा दशहरा। जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त, गंगा स्नान से धुलते हैं 10 तरह के पाप लेकिन इन गलतियां से बचें..
गंगा नदी में स्नान और दान-पुण्य की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाने वाला पर्व गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 9 जून बृहस्पतिवार को है। मान्यता है कि इस दिन भागीरथ अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए मां गंगा को धरती पर लेकर आए थे। इसलिए ही मां गंगा को मोक्षदायिनी, पतित पावनी गंगा के रूप में माना गया है। कहते हैं गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करने मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पाप धुल जाते हैं। गंगा दशहरे के अवसर पर देश के उन प्रमुख शहरों में, जहां मां गंगा बह रही हैं, मेलों का आयोजन होता है। इस अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन होता है और दान-पुण्य किया जाता है। आइए जानते हैं गंगा दशहरा का महत्व और इस दिन क्या-क्या दान करना चाहिए।
यह भी पढ़ेंः क्या आपकी कार है सुरक्षित? देखें भारत की 53 कारों की Safety Rating, NCAP ने जारी की रिपोर्ट…
गंगा दशहरा पर शुभ संयोग
ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि गंगा दशहरा पर इस साल दो शुभ संयोग बन रह हैं। गंगा दशहरा पर रवि योग बन रहा है। इस दिन सूर्योदय के साथ ही रवि योग शुरू हो जाएगा। इस शुभ योग में पूजा-पाठ और मांगलिक कार्यों को करना बहुत ही शुभ माना जाता है। गंगा ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में धरती पर उतरी थी। इस बार हस्त नक्षत्र 9 जून को सुबह 4 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होकर 10 जून को सुबह 4 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। माना जाता है कि रवि योग में किया गया दान और अन्य शुभ कार्य बेहद शुभफलदायी होते हैं।
यह भी पढ़ेंः उत्तराखंडः यहां निकली प्राचार्य, व्याख्याता, एलटी के पदों पर भर्ती, देखें विज्ञापन। जल्द करें आवेदन…
गंगा दशहरा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है, मानसिक शांति मिलती है और शरीर शुद्ध होता है। इस दिन गंगा पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस अवसर पर गंगा स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है, जैसा कि पौराणिक कथा में भी बताया गया है कि राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों का उद्धार करने और मोक्ष दिलाने के लिए अपनी कठोर तपस्या से मां गंगा को पृथ्वी पर लाए थे।
यह भी पढ़ेंः मुख्यमंत्री धामी के औचक निरीक्षण के दौरान नदारद मिले थे अधिकारी, नोटिस हुए जारी…
गंगा दशहरे पर दान करें ये वस्तु
गंगा दशहरा ऐसे वक्त में मनाया जाता है कि जब कि गर्मी अपने चरम पर होती है। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को ठंडी चीजों का दान आपको विशेष पुण्य की प्राप्ति करवाता है। इस अवसर पर सुराही, पंखा, वस्त्र, चप्पल, छाता, खरबूजा, कच्चे आम और पके आम आदि चीजों का दान करना सबसे उत्तम माना जाता है। इसके अलावा इस दिन आप आटा, चावल, घी, सब्जियां और नमक का भी दान कर सकते हैं।
यह भी पढ़ेंः Populer Tourist Spot: न तो डाकू रहे, न अंग्रेजों का शासन। लेकिन रॉबर्स कैव आज भी मौजूद है साथ ही मशहूर भी..
गंगा दशहरे पर पूजन विधि
गंगा दशहरा के दिन पवित्र गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाने का विधान है। यदि आप गंगा के तट पर जाने में असमर्थ हैं तो आस-पास के तालाब या नदी में भी मां गंगा का नाम लेकर डुबकी लगाई जा सकती है। डुबकी लगाते समय ‘ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः’ मंत्र का उच्चारण जरूर करें। आप चाहें तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।
गंगा में 10 डुबकी
गंगा दशहरा के अवसर पर गंगा स्नान के समय कम से कम 10 डुबकी लगानी चाहिए। ये करने से पाप मिटते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है।
यह भी पढ़ेंः उत्तराखंडः 186 युवाओं ने पास की गाइड लाइसेंस परीक्षा, देश-दुनिया की नदियों में करेंगे राफ्ट का संचालन..
गंगा में स्नान के नियम
– गंगा स्नान करते समय मां गंगा को प्रणाम करके गंगा में डुबकी लगाना चाहिए। शरीर का मैल रगड़कर गंगा में नहीं डालना चाहिए। न ही अपने कपड़ों को पवित्र गंगा में धोना चाहिए।
– गंगा स्नान करने से पहले सबसे पहले सूर्य देव और अपने इष्ट देव का ध्यान करें, फिर मां गंगा को प्रणाम करें और गंगा में हर हर गंगे बोलकर डुबकी लगाएं। आप चाहें तो गंगा मैया के मंत्र ‘ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः’ मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
– गंगा आपके पापों को दूर करती है, इसलिए गंगा में डुबकी लगाने के बाद कभी भी शरीर को पोंछना नहीं चाहिए। स्वाभाविक रूप से शरीर को सूखने दें और वस्त्र धारण करें।
– जन्म सूतक या मृत्यु सूतक के समय भी पवित्र गंगा का स्नान किया जा सकता है। लेकिन महिलाओं को अपवित्र स्थिति में गंगा स्नान नहीं करना चाहिए।
यह भी पढ़ेंः बड़ी खबरः उत्तराखंड़ शिक्षा विभाग का बड़ा एक्शन! 600 अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन पर लगी रोक। जाने कारण..
– गंगा स्नान के बाद मां गंगा का विधिवत पूजन करना चाहिए। उन्हें रोली, पुष्प, माला, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करें और गंगा मंत्रों और स्तुति को पढ़ें। इसके बाद जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए।
– किसी भी तरह की गंदगी, प्लास्टिक, कूड़ा और कचरा गंगा नदी में न डालें। इससे गंगा मैली होती हैं और इसे मां गंगा का निरादर माना जाता है।
– अगर आप किसी कारण से गंगा स्नान के लिए घाट पर नहीं जा पा रहे हैं तो सामान्य जल में गंगा जल मिलाकर उसे पवित्र करें। मां गंगा का ध्यान करें और हर हर गंगे बोलकर स्नान करें। इसके बाद मां गंगा की घर पर ही स्तुति करें। इससे भी आपको गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त होगा।
यह भी पढ़ेंः Loan की EMI होगी महंगी। समीक्षा बैठक में बड़े फैसले लेगा RBI, इतनी बढ़ा सकती है ब्याज दर..
गंगा स्नान से धुलते हैं 10 तरह के पाप
गंगा मैय्या को बहुत ही पवित्र माना गया है। मान्यता है कि गंगा स्नान मात्र से व्यक्ति के तमाम पाप धुल जाते हैं। शास्त्रों में गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का महत्व बताते हुए 10 तरह के पाप मिटने की बात कही गई हैं। इन 10 तरह के पापों को तीन तरह के वर्गों में बांटा गया है।
दैहिक पाप: किसी की वस्तु को बिना अनुमति के रखना, निषिद्ध हिंसा, परस्त्री संगम, इन तीन तरह के पापों को दैहिक पाप माना गया है।
वाणी पाप: किसी को कटु वचन कहना, झूठ बोलना, चुगली करना और वाणी द्वारा मन को दुखाना। ये चार तरह के पाप वाणी से होने वाले पाप हैं।
मानसिक पाप: दूसरे के धन को लेने का विचार करना, मन से किसी का बुरा सोचना और असत्य वस्तुओं में आग्रह रखना। ये तीन गलत विचार मानसिक पाप माने गए हैं। मान्यता है कि गंगा स्नान से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं।
यह भी पढ़ेंः बेहतरीन टूरिस्ट स्पॉट है सहस्त्रधारा, यह अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए है मशहूर..