उत्तराखंड़ः 33 हजार लोग सालों से खा रहे गरीबों का राशन, सरकारी नौकरी और व्यवसाय करने वाले भी शामिल। रिपोर्ट ने विभाग को भी चौंकाया..
उत्तराखंडः प्रदेश में सरकारी राशन की दुकानों से गरीबों को मुफ्त एवं बहुत कम कीमत पर मिलने वाले राशन को 33 हजार से अधिक लोग अपात्र होते हुए भी वर्षों से खा रहे थे। हैरानी की बात यह है कि इसमें शिक्षक, बैंक और सैन्यकर्मी, अच्छा खासा व्यवसाय करने वाले और पांच लाख या इससे भी अधिक की वार्षिक आय वाले आयकरदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है। प्रदेश में राशन कार्ड में गड़बड़ी की विभाग को पिछले काफी समय से शिकायत मिलती रही हैं। जिसके बाद विभाग की ओर से इस तरह के लोगों खिलाफ पूरे राज्यभर में ‘अपात्र को न, पात्र को हां’ अभियान शुरू किया गया।
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विभाग की ओर से चलाए गए अभियान के तहत अब तक जिस तरह के मामले सामने आए हैं वह चौंका देने वाले हैं। विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक पांच लाख से अधिक की वार्षिक आय वाले 825 आयकरदाता भी सरकारी राशन की दुकानों से सस्ता राशन लेते मिले हैं। जिसमें सबसे अधिक 217 परिवारों के 868 लोग नैनीताल जिले के हैं, जबकि दूसरे नंबर पर पिथौरागढ़ जिला है। इस जिले के पांच लाख या इससे अधिक की वार्षिक आय वाले 192 परिवार अपने कार्ड सरेंडर कर चुके हैं।
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वहीं देहरादून में 187, टिहरी गढ़वाल में 81, हरिद्वार में 19, अल्मोड़ा में 33 सहित विभिन्न जिलों के कई आयकरदाताओं ने अपने राशन कार्ड सरेंडर किए हैं जबकि अंत्योदय के 491 और प्राथमिक परिवारों के 6996 राशन कार्ड सरेंडर हुए हैं। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक जो लोग गलत तरीके से राशन ले रहे थे उसमें सभी तरह के नौकरी पेशा और विभिन्न व्यवसाय से जुड़े लोग शामिल हैं। अभियान के तहत शनिवार तक 8312 परिवारों के कार्ड सरेंडर हुए हैं। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि सरकार इस मामले में गंभीर है, किसी भी अपात्र व्यक्ति को गरीबों को मिलने वाला राशन नहीं खाने दिया जाएगा। गरीबों के साथ न्याय हो इसे सुनिश्चित किया जाएगा।
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