नई आशा: महिला समूह की मेहनत लाई रंग, आर्गेनिक कलर लोग खूब कर रहे पसंद..
भानियावाला: देशभर में होली की धूम है। होली गायन के साथ-साथ लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर होली की बधाई देते हैं तो वहीं दुकानों में सिंथेटिक रंग भी खूब बिक रहे हैं लेकिन ये रंग बहुत ही नुकसानदायक होते हैं। इसी को देखते हुए एक महिला समूह पिछले सालों से होली के त्योहार में आर्गेनिक रंग बनाती आ रही है। नई आशा स्वयं सहायता समूह ने पिछले सालों से आर्गेनिक रंगों को बनाने का जिम्मा उठाया है। रसोई में मौजूद रोजमर्रा की चीजों और फूलों के इस्तेमाल करके यह आर्गेनिक कलर्स बनाए जाते हैं।
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इन आर्गेनिक कलर्स को बनाने के लिए चुकंदर, आटा, पालक, गेंदा व गुलाब समेत कई चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इन रंगों को पैकेट में ठीक तरह से पैक करके नई आशा स्वयं सहायता समूह द्वारा बेचा जाता है जिससे समूह की आर्थिकी बढ़ती है साथ ही यह समूह रंगों को क्षेत्र की दुकानों के साथ ही अन्य जगह भी भेजते हैं। नई आशा स्वयं सहायता समूह का गठन मार्च 2015 में किया गया। इस समूह में कुल 12 सदस्य हैं जिनमें अध्यक्ष आशा सेमवाल, कोषाध्यक्ष लक्ष्मी राणा हैं और अन्य सदस्य उषा भट्ट, कमला पवार, सीमा राणा, अनीता राणा, निर्मला राणा, पिंकी राणा, भूमा रावत, सीमा राणा, भागवती जैठुडी, पूनम सेमवाल हैं।
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नई आशा स्वयं सहायता समूह द्वारा 2017 में इंदिरा अम्मा कैंटीन विकास भवन परिसर देहरादून का संचालन भी किया गया। 2018 में 12 बीघा में गेंदे के फूलों की खेती। दिवाली में खुशबूदार कैंडल बनाकर बेचना। शुद्ध मसाले तैयार करना व उनकी सफाई व पैकिंग का कार्य करना। होली के लिए ऑर्गेनिक रंग बनाना। पिछले 2 वर्ष से नई आशा स्वयं सहायता समूह गरीब महिलाओं की भी मदद कर रही है, पेंशन लगवाना, गरीब लड़कियों की शादी में मदद करना आदि। इस समूह द्वारा बनाए गए दीवाली पर खुशबूदार कैंडल और होली पर ऑर्गेनिक रंग लोगों को खूब पसंद आता है।
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