क्या पूरे होंगे आपके सपने?

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लेख: संदीप गुसाईं, फाउंडर रूरल टेल्स
विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके है। उत्तराखंड की जनता उम्मीद कर रही है कि जो भी सरकार आएगी वो उनके सपने पूरे करेगी लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा। क्या हर बेरोजगार को अपने ही पहाड़ और अपने ही इलाके में रोजगार मिल पायेगा।विभिन्न मीडिया श्रोत और मेरे व्यक्तिगत अनुभव से यह साफ है कि इस बार जनादेश सत्ता बदल रहा है तो क्या कांग्रेस जनता के सपने पूरे कर सकेगी? नेता और पार्टियां नारे और वादे करते है। चुनाव से पहले कांग्रेस द्वारा ओपीएस यानी पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की घोषणा की गई। हर साल 4 लाख रोजगार देने का वादा किया है। गैस सिलेंडर को 500 के नीचे लाने का सियासी जुमला दिया है। ये जुमला ऐसे ही जैसे किसी आम नागरिक को बिना तैयारी और शारिरिक दक्षता के एवरेस्ट चढ़ने को कहा जाए।

क्या उत्तराखंड जैसे राज्य में बीजेपी, कांग्रेस और आप ने राजस्व और कमाई की बात की है। जब कोई भी आपको चुनाव के समय फ्री या लोक लुभावन बाते कहता है तो आप जरूर पूछिये कि इसकी धनराशी कहाँ से आएगी? खैर चुनाव निकल चुका है और सत्ता में वापसी कांग्रेस कर रही है तो फिर बात उसकी घोषणा की पहले कर लेते है। उत्तराखंड पर 70 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज है। 2022 से इस कर्ज के ब्याज को देने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। त्रिवेंद्र सरकार ने पहाड़ में निवेश का सपना दिखाया था। निवेश कितना हुआ अभी इसका आंकड़ा नहीं आया है और रोजगार कितने पैदा हुए यह भी स्पष्ट नहीं है लेकिन पर्यटन के क्षेत्र में पहाड़ में कई कई बड़े होटल, रिसोर्ट खुले है।

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भू कानून में बदलाव के क्या परिणाम हुए वो आने वाले समय में स्पष्ट होगा लेकिन खैरासैण के लाल का पहाड़ की जमीनों को बाहरी लोगों को देने से पहाड़ के बंजर जमीन में बेहतर विकल्प का उद्देश्य रहा होगा। पहाडों में कई जगह बड़े बड़े सौर ऊर्जा के प्लांट इसकी गवाही दे रहे है। खैर बीजेपी ने अपने सबसे लंबे समय तक सीएम रहे त्रिवेंद्र को ही पूरे चुनाव में गैर जरूरी कर दिया जबकि उनके कार्यकाल में सबसे ज्यादा सरकारी नौकरियों की परीक्षा हुई। पिछले 5 साल में 8 हजार से ज्यादा भर्तियाँ हुई और नई भर्तियों से करीब 1200 करोड़ सैलरी नए कर्मियों को देनी होगी। अब सवाल खड़ा होता है कि जब पुराने कर्मचारियों को देने के लिए सैलरी के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है तो नहीं फिर ओपीस कैसे लागू होगी?

यही नहीं कांग्रेस ने कई लोकलुभावन घोषणाएं की है। अब राजस्व कैसे और कहाँ से आएगा? क्या चुनाव के बाद कोई नए राजस्व बढ़ाने की कोशिश होगी। उत्तराखंड में राजस्व वैट, जीएसटी, खनन और शराब ही प्रमुख श्रोत है। बड़े बांध का लागातर विरोध हो रहा है। अब पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश की जा सकती है लेकिन इसके लिए सरकार का उदासीन रवैय्या देखिये। यही हालात इतने खराब है कि वित्त सचिव अमित नेगी भी केंद्र जाने की तैयारी कर रहे है कारण मंत्री और सीएम ने घोषणाओं की बौछार कर दी है। केवल पुष्कर सिंह धामी ही नहीं घोषणा वीर सभी सीएम रहे।

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अब आते है बीजेपी की सरकार अगर बनती है तो क्या वो अपने घोषणा पत्र में जो लोक लुभावन वादे किए है उसे पूरा कर पायेगी। पुलिस कर्मियों की 46 सौ ग्रेड पे को पूरा करने के लिए वादे को अपने घोषणा पत्र में जगह दी है। किसानों को हर साल 6 हजार, गरीबों को 3 गैस सिलेंडर फ्री सहित कई वादे अपने दृष्टि पत्र में लिखा है। सवाल उठता है कि पिछले 5 साल से जो डबल इंजन था उसने रेवेन्यू बढ़ाने के लिए क्या किया या फिर क्या उपाय किये। पहाड़ में क्या व्यवस्था बदली। रोजगार के अवसर पैदा हुए या नहीं। उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था पहले ही केंद्र पर निर्भर रही है। विकास कार्यों के लिए हर साल बजट कम हो रहा है। शासन में बैठे अधिकारी भी एक एक कर दिल्ली जा रहे है।

उत्तराखंड में सबसे बड़ा विंटर ट्रैक केदारकांठा है जो पूरे देश का सबसे ज्यादा पॉपुलर ट्रैक है। विंटर में इस ट्रैक पर बड़ी संख्या में युवा देश के अलग अलग राज्यों से एयरलाइंस से आते है और अच्छा रेवेन्यू राज्य को मिलता है लेकिन सुविधाएं ना के बराबर। मोरी से आगे सड़क मार्ग, संचार और लो बोल्टेज की दिक्कत आती है। उत्तराखंड में केवल पर्यटन ही एक क्षेत्र है जो पूरे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बदल सकता है।  उम्मीद रखिये की आने वाली सरकार आपके सपनो को पूरा करने के लिए कुछ बुनियादी नीतियां अपनाए। वरना जल्द ही पहाड़ में भू कानून और शराब बंदी के लिए बड़ा आंदोलन होगा।

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