उत्तराखंड में UCC के नियमों में बड़ा बदलाव, आधार कार्ड की अनिवार्यता खत्म..

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uniform civil code uttarakhand. Hillvani

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समान नागरिक संहिता यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) में सरकार ने पहचान पत्र सहित लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े नियमों को सरल बनाते बड़े बदलावों को मंजूरी दी है। अब यूसीसी पोर्टल में पंजीकरण के लिए आधार कार्ड के साथ पासपोर्ट, वोटर आईडी, राशन कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस भी मान्य होंगे। इसके साथ लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए सुरक्षा उपायों को बढ़ाया गया है। बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता (चतुर्थ संशोधन) नियमावली को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री की हरी झंडी के बाद गृह विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी। इसके तहत नई नियमावली को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। इसमें विवाह पंजीकरण व लिव इन संबंधी कई अहम संशोधन किए गए हैं।

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लिव इन में रहने वालों के लिए हुए कई संशोधन
उत्तराखंड में अब लिव इन में रहने वाले युगल की गोपनीयता और बढ़ाई गई है। इसके तहत अब लिव इनमें रहने वाले युगल के माता-पिता को इन संबंधों की जानकारी देने की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है। पुलिस को भी इनकी सूचना केवल जानकारी के लिए ही दी जाएगी। लिव इन संबंधों की समाप्ति पर युवती के गर्भवती होने अथवा बच्चे होने की सूचना देना अनिवार्य नहीं होगा। लिव इन में रहने वालों को मकान मालिक से प्रमाण पत्र लेना भी जरूरी नहीं होगा। साथ ही नियमावली से अब वैवाहिक पंजीकरण के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता को हटा दिया गया है। प्रदेश में इस वर्ष फरवरी से समान नागरिक संहिता लागू हो चुकी है। इसके क्रियान्वयन के लिए नियमावली भी बनाई गई है। इस नियमावली के कई प्रविधानों पर निजता के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा था। इस पर कई व्यक्तियों ने हाईकोर्ट में दस्तक दी थी। हाईकोर्ट के निर्देशों के क्रम में गृह विभाग ने अब इस नियमावली में संशोधन कर दिया है। इसे समान नागरिक संहिता चतुर्थ संशोधन नियमावली नाम दिया गया है।

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विवाह पंजीकरण, उत्तराधिकार में संशोधन
विवाह पंजीकरण और विधिक उत्तराधिकारियों की घोषणा के मामलों में उप-निबंधक को पंजीकरणकर्ताओं से अतिरक्ति सूचना मांगने के लिए पांच दिन का समय दिया गया है। इसके अलावा तत्काल के मामलों में यह समय 24 घंटे निर्धारित कर दिया गया है। सचिव गृह विभाग शैलेश बगौली ने कहा कि समान नागरिक संहिता (चतुर्थ संशोधन) नियमावली, उत्तराखंड 2025 को मुख्यमंत्री ने विचलन के माध्यम से मंजूरी दी है। विधिवत संस्तुति के लिए इसे अगली कैबिनेट बैठक में लाया जाएगा।
अपील के लिए अब मिलेंगे 45 दिन
लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण से संबंधित नियमों में भी बदलाव किए गए हैं। पंजीकरण आवेदन की प्राप्ति के 30 दिनों के भीतर महानिबंधक नामित अधिकारी से संक्षप्ति जांच करवाएंगे। पंजीकरण आवेदन अस्वीकार होने करने पर निबंधक को आदेश में यह उल्लेख करना होगा कि महानिबंधक के समक्ष 45 दिनों के भीतर अपील की जा सकती है। पहले यह अवधि 30 दिन थी। लिव इन में पंजीकरण कराने वालों की सुरक्षा की दृष्टि से अन्य बदलाव भी किए गए हैं।

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आधार की अनिवार्यता खत्म
अब यूसीसी में पहचान का प्रमाण का अर्थ केवल आधार कार्ड तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पासपोर्ट, वोटर आईडी, राशन कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, केंद्र या राज्य सरकार की ओर से जारी अन्य वैध दस्तावेजों को भी जोड़ दिया गया है। नए संशोधन के तहत, कई नियमों में जहां पहले आधार संख्या या आधार शब्द का उल्लेख था, वहां अब इसे ‘पहचान का प्रमाण’ शब्द से बदल दिया गया है।
लिव इन के लिए किए गए संशोधन
1- 21 वर्ष से कम उम्र वाले बालिगों के माता-पिता या अभिभावकों को सूचना देना जरूरी नहीं।
2- विवाह पंजीकरण के बाद किए गए धर्म परिवर्तन की सूचना देना जरूरी नहीं।
3- लिव इन में धर्म परिवर्तन की जानकारी देना आवश्यक।
4- लिव इन में अब पांच दिनों के स्थान पर पंजीकरण अधिकारी 24 घंटे में मांगेगे वांछित जानकारी।
5- लिव इन में आने के लिए मृतक पत्नी अथवा पूर्व सहवासी के बारे में जानकारी देना स्वैच्छिक।
6- लिव इन के दौरान अपनी जातियों से संबंधित जानकारी देना ऐच्छिक।
7- लिव इन में धर्म गुरूओं से प्रमाण पत्र लेने की बाध्यता नहीं।
8- लिव इन में पंजीकरण के लिए आधार नंबर के ओटीपी को भरने की अनिवार्यता भी समाप्त।
9- लिव इन में पुलिस द्वारा जांच की व्यवस्था की व्यवस्था समाप्त।

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