आपका डॉक्‍टर असली है या फर्जी? अब सिर्फ एक क्लिक में QR कोड खोलेगा राज..

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आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (Ayushman Bharat Digital Mission) के तहत अब देश भर में केवाईडी (KYD) यानी नो योर डॉक्टर की शुरुआत हो चुकी है। KYD के तहत देश भर के डॉक्टरों को सरकार की ओर से डिजिटल प्रमाण पत्र (Digital Certificate) जारी किए जाएंगे। ये डिजिटल प्रमाण पत्र सभी पंजीकृत या रजिस्टर्ड डॉक्टर्स (Registered Doctors) को जारी किए जाएंगे। इन सर्टिफिकेट को सभी डॉक्टर्स को अपने क्लिनिक (Doctors Clinic) पर लगाना होगा। इस सर्टिफिकेट में क्यूआर कोड (QR Code) भी होगा। बता दें कि प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों के साथ ही शहर में मलिन बस्तियों व समीपवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप सक्रिय हैं। इनके जाल में फंसकर लोग अपना आर्थिक नुकसान तो करवाते ही हैं, उनका मर्ज भी कई बार और बढ़ जाता है। पर विभाग इन पर लगाम लगा पाने में विफल रहा है।

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QR कोड स्कैन करते ही होगा खुलासा
आम लोग अक्सर जानकारी के आभाव में उपचार के लिए किसी झोलाछाप के पास पहुंचकर अपना शारीरिक व आर्थिक नुकसान करवा बैठते हैं। लेकिन ऐसे नकली डाक्टरों से अब छुटकारा मिलने जा रहा है। अब चिकित्सक की पहचान क्यूआर कोड से की जा सकेगी। इसी क्रम में आयुष चिकित्सकों को डिजिटल प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है। दरअसल, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत अब प्रदेशभर में आयुष चिकित्सकों को राष्ट्रीय चिकित्सा प्राधिकरण एवं भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग की ओर से डिजिटल प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। केवाईडी यानी नो यार डाक्टर की पहल के तहत यह शुरुआत हो चुकी है। पंजीकृत चिकित्सकों को यह प्रमाण पत्र अपने क्लीनिक पर लगाना होगा। ताकि मरीज सर्टिफिकेट के क्यूआर कोड को स्कैन कर चिकित्सक की डिग्री, पंजीकरण आदि की जानकारी ले सके। इससे फर्जी चिकित्सक से बचाव के साथ ही उनकी शिकायत भी आसानी से की जा सकेगी।

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भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के अध्यक्ष डा जेएन नौटियाल ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य है कि देश के डिजिटल हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देना है। इसी श्रृंखला में बारकोड से जांच की पहल शुरू की गई है। मरीज कोड को स्कैन करके फर्जी चिकित्सकों की पहचान, शिकायत कर सकता है। उन्होंने प्रदेश में पंजीकृत सभी आयुष चिकित्सकों से अपील की है कि वह शीघ्र आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के पोर्टल पर जाकर अपना आनलाइन पंजीकरण करें। जिसे भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड सत्यापित करेगा। इसके बाद उनको केंद्र सरकार से डिजिटल प्रमाण पत्र जारी होगा।

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