हलचल: क्या पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त? प्रीतम की हरक काऊ से मुलाकात। सुने क्या कहा वीडियो में..

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देहरादून: प्रदेश में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे दलबदल तेज हो गया है कांग्रेस और बीजेपी ने दल बदल को ही सत्ता की चाबी समझ लिया है इसलिए दोनों दलों से नेताओं का कभी इधर तो कभी उधर जाना जारी है। उत्तराखंड में विधायकों के एक दल से दूसरे दल में जाने के क्रम में जिस प्रकार 3 विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है उसके बाद डबल इंजन सरकार में मंत्री यशपाल आर्य और नैनीताल से उनके विधायक रहे बेटे संजीव आर्य ने कांग्रेस ज्वाइन की है।

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इसी क्रम में आज देहरादून में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह कि एक बार फिर हरक सिंह रावत और उमेश शर्मा काऊ से तकरीबन 1 घंटे तक लंबी बातचीत चली है हरीश रावत द्वारा बागियों पर नरमी दिखाने के बाद आज की मुलाकात के कई सियासी मायने हैं। विधानसभा के नज़दीक डिफेंस कॉलोनी में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, रायपुर विधायक उमेश शर्मा काउ, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और हरिद्वार से आये कांग्रेसी नेता ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी की गुफ़्तगू कुछ गुल खिलाती दिख रही है।

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यह मुलाकात लगभग एक घंटे पहले शुरू हुई इस मुलाक़ात के लिए सबसे पहले आने वालों में ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी थे। उनके बाद नेता विरोधी दल प्रीतम सिंह पहुँचे और उमेश शर्मा काउ सबसे बाद में पहुंचे। यह मुलाक़ात आने वाले दिनों में उलटफेर करेगी यह तय है। एआईसीसी जनरल सेक्रेटरी हरीश रावत के बाग़ियों को लेकर हाल में दिये गए बयानों के बाद उक्त चारों नेताओं की मुलाक़ात काफ़ी अहम हो गई है। देखना यह होगा कि यशपाल आर्य और संजीव आर्य के कांग्रेस में शामिल होने के बाद हरक सिंह रावत और उमेश शर्मा काऊ को लेकर हुई आज की बैठक कब असर दिखाती है और क्या भारतीय जनता पार्टी डैमेज कंट्रोल कर पाती है।

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आपको बता दें कि उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं का पार्टी बदलने का सिलसिला शुरू हो गया है। कुछ नेता अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी में जा रहे हैं तो कुछ वापसी कर रहे हैं। उत्तराखंड कांग्रेस में कई नेता वापसी करना चाह रहे हैं, लेकिन सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस बात से खफा हैं। हरीश रावत बागियों को ‘महापापी’ बता चुके हैं। हरीश रावत ने कहा कि जिन महापापी लोगों ने 2016 में कांग्रेस की सरकार गिराने का महापाप किया है, जब तक वो सार्वजनिक रूप से अपनी गलती मानते हुए माफी नहीं मांगते, तब तक वो उनको कांग्रेस में वापस लेने के पक्ष में नहीं हैं।

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