UCC पर तेजी से कदम बढ़ा रहा उत्तराखंड। लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ेगी, संपत्ति हक, हलाला पर रोक। पढ़ें..
Uniform Civil Code: देशभर में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर चल रही बहस के बीच यूसीसी लागू करने की दिशा में उत्तराखंड तेजी से कदम आगे बढ़ा रहा है। यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने को गठित विशेषज्ञ समिति आमजन से सुझाव लेने के साथ ही राजनीतिक दलों व प्रवासियों से भी संवाद कर रायशुमारी की प्रक्रिया पूरी कर चुकी है। अब ड्राफ्ट में जनसुझाव जोड़े जा रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अपेक्षा के अनुसार समिति 30 जून के आसपास इस ड्राफ्ट को सरकार को सौंपने की तैयारी कर रही है। प्रदेश सरकार इसके आधार पर राज्य में यूसीसी लागू करेगी।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया था एलान
विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एलान किया था कि भाजपा के दोबारा सत्ता में आने पर राज्य में यूसीसी लागू की जाएगी। फिर से सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने इस वादे को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए जस्टिस रंजना देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया। यह समिति अब तक 51 बैठकें कर चुकी है। ये बैठकें आमजन के साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय, प्रदेश की विभिन्न जनजातियों व महिलाओं के साथ भी की गई है। समिति के सदस्यों ने सुदूरवर्ती क्षेत्रों में जाकर भी जनता से संवाद किया, तो सभी धर्मों के धर्मगुरुओं के साथ विमर्श कर उनकी राय जानी।
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लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ेगी, संपत्ति में बराबरी का हक
समाज के सभी वर्गों और समुदायों ने खुले मन से अपनी बात समिति के समक्ष रखते हुए सुझाव दिए। इन सुझावों में महिलाओं को बराबरी का हक देने, लड़कियों के विवाह की उम्र बढ़ाने, पिता की संपत्ति में बेटी का अधिकार सुनिश्चित करना आदि शामिल हैं। इसके साथ ही समिति को आनलाइन व आफलाइन सवा दो लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए हैं। प्रदेश सरकार समिति का कार्यकाल दो बार बढ़ा चुकी है। अभी यह कार्यकाल सितंबर तक के लिए है। समिति अब ड्राफ्ट को अंतिम रूप दे रही है। समिति के सदस्य व उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह का कहना है कि समान नागरिक संहिता पर समिति जन संवाद व जनसुनवाई का अपना कार्य पूरा कर चुकी है। अब यूसीसी के ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। 30 जून अथवा उसके आसपास सरकार को रिपोर्ट सौंपने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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इन विषयों पर रखा समिति ने फोकस
विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट तैयार करते हुए व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने संबंधी सभी कानूनों की जांच की है। इसके साथ ही विवाह, तालाक, संपत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार से संबंधित कानूनों पर अपने सुझाव, साथ ही गोद लेने व रखरखाव वाले कानूनों में मौजूदा समय के हिसाब से बदलाव पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
शादी का पंजीकरण नहीं तो सरकारी सुविधा नहीं
यूसीसी की समिति इस सुझाव पर भी गंभीरता विचार कर रही है कि राज्य में शादी का पंजीकरण अनिवार्य हो। साथ ही जो व्यक्ति शादी का पंजीकरण नहीं कराएगा तो उसे सरकारी सुविधाओं का लाभ न दिया जाए।
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बूढ़े माता-पिता के भरण पोषण की जिम्मेदारी तय होगी
नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की जिम्मेदारी तय हो सकती है। समिति इस सुझाव पर भी गंभीरता से विचार कर रही है। यदि पत्नी पुनर्विवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता का हिस्सा भी हो। यदि पत्नी की मौत होती है, उसके माता-पिता का कोई सहारा नहीं है तो उनके भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति की हो। इन सभी सुझावों पर भी समिति गहन मंथन कर रही है।
हलाला और इदद्त पर लग सकती है रोक
समिति प्रदेश में हलाला और इदद्त पर रोक लगाने के सुझाव पर भी विचार कर रही है। इस्लाम में महिला को तीन तलाक देने के बाद दोबारा उसी और से विवाह करने की प्रक्रिया को निकाह हलाला कहते हैं। इसके अलावा राज्य में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने और मुस्लिम महिलाओं को गोद लेने का अधिकार मिलेगा।
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