वित्त मंत्रालय ने दिए विधायक उमेश कुमार के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश, जानें क्या है पूरा मामला..
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने खानपुर के पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के शिकायती पत्र पर खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार के खिलाफ विदेशी मुद्रा से जुड़े मामले में मुख्य सचिव और डायरेक्टर ईडी को आवश्यक कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है। खानपुर के पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने 2 दिसंबर 2022 को प्रधानमंत्री को शिकायती पत्र भेजा था। उन्होंने 2018 में प्रमुख सचिव उत्तराखंड द्वारा प्रवर्तन निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय नई दिल्ली को भेजे गए पत्र का हवाला दिया था। आरोप लगाया था कि उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य और समाचार एजेंसी के सीईओ उमेश कुमार अकूत संपत्ति के मालिक हैं। पत्र में उमेश कुमार पर कई आरोप लगाते हुए बताया गया था कि उन पर उत्तराखंड समेत कई राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं।
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पत्र में यह भी बताया है कि विधायक उमेश कुमार के पास अवैध विदेशी मुद्रा पाई गई थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीएमओ कार्यालय से यह पत्र केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भेजा गया। इसके बाद मंत्रालय के राजस्व विभाग ने 29 मार्च 2023 को मुख्य सचिव उत्तराखंड को पूर्व विधायक के पत्र पर आवश्यक कार्रवाई के लिए कहा है। इसकी प्रति डायरेक्टर ईडी, कमिश्नर सीबीआईसी और कमिश्नर सीबीडीटी को भेजी गई है। आपको बता दें कि यह मामला त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के समय विधायक उमेश कुमार के यहां हुई छापेमारी से जुड़ा है। इसमें कई संपत्तियों के कागजात एवं विदेशी मुद्रा बरामद हुई थी। मामले में राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। साथ ही मनी लांड्रिंग के तहत ईडी ने भी जांच की थी।
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पूर्व विधायक खानपुर कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय को साक्ष्य के साथ पत्र भेजा गया था। विदेशी मुद्रा मिलने समेत कई अन्य आरोपों के बाबत मुकदमा दर्ज किया गया था। लेकिन कई शासकीय अधिकारियों के सपोर्ट के चलते जांच और कार्रवाई को दबा दिया गया था। इस अब इस मामले में कार्रवाई के आदेश किए गए हैं। वहीं निर्दलीय विधायक खानपुर उमेश कुमार का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के समय में मेरे यहां छापेमारी हुई थी। इसमें करेंसी मिली थी। ईडी की ओर से 21 दिसंबर 2018 को मुझे पहला नोटिस जारी हुआ था। मामले में दो साल जांच चली लेकिन कुछ नहीं मिला। अब ऐसे में जिस मामले की जांच पहले हो चुकी है, उसकी दोबारा जांच का क्या औचित्य है। यह शिकायत के आधार पर रूटीन में जारी होने वाले आदेश हैं। बावजूद इसके मैं किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हूं।
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